भोपाल। चुनाव आयोग के आदेश के बाद 3 आईपीएस अधिकारियों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ है। उसके बाद पैसे के लेनदेन की जद में शिवराज सरकार के कई मंत्रियों के नाम भी आ रहे हैं। इसमें ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक ज्यादा हैं। कमलनाथ सरकार के कार्यकाल में पड़े आयकर विभाग के छापों के दौरान जब्त दस्तावेजों की आंच में कई बड़े अधिकारी भी झुलसेंगे। वहीं, मध्यप्रदेश की सरकार सीबीडीटी की सिफारिश पर इसमें शामिल लोगों पर केस करने की तैयारी है लेकिन कुछ नाम सत्ताधारी दल से जुड़े हुए हैं।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार जांच का जिम्मा ईओडब्ल्यू को सौंप दिया जाएगा। मगर अभी तक ये तय नहीं है कि शुरुआती जांच की जाएगी या एफआईआर दर्ज की जाएगी। राज्य की मुख्य निर्वाचन अधिकारी वीरा राना ने आगे की कार्रवाई के लिए सीबीडीटी की रिपोर्ट सामान्य प्रशासन विभाग को भेज दी है।
904 पेज की है रिपोर्ट:-
904 पेज की रिपोर्ट में 2019 के लोकसभा चुनावों में 281 करोड़ रुपये की बेहिसाब नकदी के संग्रह और लेनदेन के रेकॉर्ड हैं। इसमें कई व्यक्तियों की भूमिका है। इनमें कुछ लोग अब बीजेपी के मंत्री हैं।
बीजेपी में भी फूट:-
सीबीडीटी की रिपोर्ट पर बीजेपी भी दो खेमों में बंट गई है। एक खेमा चाहता है कि इसमें जिन लोगों के नाम हैं, उनके खिलाफ तुरंत एफआईआर हो। वहीं, दूसरा खेमा चाहता है कि पहले इसकी जांच की जाए। इस सूची में ज्यादातर नाम कांग्रेस से आए लोगों के है।
दरअसल, 8 अप्रैल 2019 को सीबीडीटी ने अपने बयान में कहा था कि आयकर अधिकारियों ने छापे में 14.6 करोड़ रुपये बेहिसाब बरामद किए हैं। इसके साथ ही संदिग्ध भुगतानों की डायरी और कंप्यूटर फाइलें भी जप्त की थीं। इसमें कथित तौर पर एक प्रमुख राजनीतिक दल के मुख्यालय में संदिग्ध 20 करोड़ रुपये की नगदी ले जाने का भी जिक्र है।
जांच से क्यों मुकरी सीबीआई:-
दरअसल, सीबीडीटी की रिपोर्ट प्रतीक जोशी की डायरी, दस्तावेज, कंप्यूटर फाइल, व्हाट्सएप मैसेज के साथ प्रतीक और ललित चेलानी के बीच चैट के आधार पर है। ये सत्यापित करना एक बड़ी चुनौती है। इसके साथ ही सीबीडीटी की रिपोर्ट में जिन लोगों के नाम हैं, उन्हें कोई समन जारी नहीं हुआ है। सचिवालय में कार्यरत एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीबीआई ने चुनाव आयोग की सिफारिश लेने से इंकार क्यों किया? ये सभी जानते हैं कि हवाला कांड कैसे चला गया।
इस मामले में स्वतंत्र साक्ष्यों के आधार पर एफआईआर संभव है। किसी के भी खिलाफ आपराधिक मामले के लिए महत्वपूर्ण साक्ष्य ढूंढने होंगे। वहीं, चुनाव आयोग के इस कदम ने कइयों को हैरानी में डाल दिया है। सूत्रों के अनुसार,
सीबीडीटी की रिपोर्ट पर आपराधिक मामलों के लिए सिफारिशें मध्यप्रदेश सरकार को दी गई हैं। रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा चुनावों एक आईपीएस अधिकारी के 25 लाख रुपये के कथित योगदान का जिक्र है। वहीं, आयकर विभाग के छापे के दौरान प्रतीक जोशी की डायरी और व्हाट्सएप संदेशों में भी ये है। सीबीडीटी की रिपोर्ट में नामित एक अधिकारी ने कहा कि अगर सरकार सीबीडीटी की रिपोर्ट को ध्यान में रखती है, तो उसे 2013 के विधानसभा चुनावों से पहले एवं कंपनी की तरफ सीएम के ओएसडी को मिले 10 करोड़ रुपये की रिश्वत को भी शामिल करना चाहिए। मशहूर वकील प्रशांत किशोर ने 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगा कर इस मामले में जांच की मांग की थी।
अधिकारी ने नाम नहीं बताने की शर्त पर कहा कि अगर 2019 लोकसभा चुनावों के बारे में आईटी रिपोर्ट पर ध्यान दिया जा रहा है तो अन्य विधानसभा चुनावों पर आईटी रिपोर्ट को शामिल क्यों नहीं किया जाता है। एक साथ दोनों रिपोर्टों पर कुछ निष्पक्ष जांच होने दें।
सीबीटीडी की जिस रिपोर्ट को चुनाव आयोग ने आधार बनाया है, वह 52 स्थानों पर आयकर विभाग के छापे पर आधारित है। इसमें एमपी के तत्कालीन सीएम कमलनाथ के सहयोगी और उनके पूर्व ओएसडी प्रवीण कक्कड़, सलाहकार राजेंद्र मिगलानी और भांजे रतुल पुरी शामिल थे।
इनके हैं नाम:-
सीबीडीटी की रिपोर्ट में तत्कालीन कांग्रेस नेता बिसाहूलाल सिंह, प्रद्युमन सिंह तोमर, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, ऐंदल सिंह कंषाना, गिर्राज दंडोतिया, रणवीर जाटव, कमलेश जाटव, रक्षा संतराम सिरौनिया, प्रद्मुन लोधी, राहुल गांधी नारायण सिंह पटेल, सुमित्रा देवी कास्डेकर, मनोज चौधरी, रामबाई, संजीव सिंह समेत कई दिग्गजों के नाम हैं। इनमें कई अब शिवराज सरकार में मंत्री और विधायक हैं।