इंदौर। मध्यप्रदेश की सांवेर विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भाजपा उम्मीदवार तुलसीराम सिलावट ने इस क्षेत्र में हार-जीत के अंतर का नया रिकॉर्ड कायम करते हुए अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी एवं कांग्रेस प्रत्याशी प्रेमचंद गुड्डू को 53,264 वोट से मात दी है। सिलावट, भाजपा के राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के उन वफादार समर्थकों में गिने जाते हैं जिनकी साढ़े 7 महीने पहले कमलनाथ सरकार के तख्तापलट में अहम भूमिका रही थी।
निर्वाचन अधिकारियों ने मंगलवार देर रात घोषित अंतिम नतीजों के हवाले से बताया कि सांवेर सीट के लिए हुए उपचुनाव में सिलावट ने 1,29,676 वोट हासिल किए जबकि गुड्डू को 76,412 मतों से संतोष करना पड़ा।
सांवेर सीट के लिए हुए उपचुनाव में कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में थे। कोविड-19 के भय के बावजूद इस क्षेत्र के 2.70 लाख मतदाताओं में से 78 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला, जहां ग्रामीण आबादी बहुतायत में है। इस बीच सिलावट ने अपनी रिकॉर्ड जीत का श्रेय भाजपा संगठन को देते हुए कहा कि यह लड़ाई 'साधु और शैतान' तथा 'गद्दार और खुद्दार' के बीच थी। उन्होंने कहा कि हमने सिंधिया के नेतृत्व में कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया था जिस पर सूबे की जनता ने भी अपनी मुहर लगा दी है। अधिकारियों ने बताया कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सांवेर विधानसभा क्षेत्र में अब तक 16 बार चुनाव हुए हैं जिनमें 3 उपचुनाव शामिल हैं। उन्होंने बताया कि सांवेर सीट पर हार-जीत का सबसे बड़ा अंतर वर्ष 2003 के विधानसभा चुनाव में दर्ज किया गया था। इन समय भाजपा उम्मीदवार प्रकाश सोनकर ने अपने नजदीकी प्रतिद्वंद्वी एवं कांग्रेस प्रत्याशी राजेंद्र मालवीय को 19,637 वोट से परास्त किया था।
गौरतलब है कि सिलावट, कांग्रेस के उन 22 बागी विधायकों में शामिल थे जिनके सिंधिया की सरपरस्ती में विधानसभा से त्यागपत्र देकर भाजपा में शामिल होने के कारण तत्कालीन कमलनाथ सरकार का 20 मार्च को पतन हो गया था। इसके बाद शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में भाजपा 23 मार्च को सूबे की सत्ता में लौट आई थी।
पूर्ववर्ती कमलनाथ सरकार में लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री रहे सिलावट वर्ष 2018 के पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर सांवेर से ही विधायक चुने गए थे। लेकिन दल-बदल के चलते वे हालिया उपचुनावों में 'हाथ के पंजे' (कांग्रेस का चुनाव चिन्ह) के बजाय 'कमल के फूल' (भाजपा का चुनाव चिन्ह) के लिए वोट मांगते दिखाई दिए। कमलनाथ सरकार के तख्तापलट के बाद सूबे में वजूद में आई भाजपा सरकार में सिलावट को विधानसभा की सदस्यता के बगैर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के 5 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 21 अप्रैल को शामिल किया गया था।
उन्हें जल संसाधन विभाग सौंपा गया था। हालांकि सांवेर सीट पर 3 नवंबर को हुए मतदान से महज पखवाड़े भर पहले सिलावट को संवैधानिक प्रावधानों के तहत मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इसका कारण यह था कि वे 6 मास की तय अवधि बीतने के बाद भी विधानसभा के लिए निर्वाचित नहीं हो सके थे।