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जलकर की राशि बढ़ाने का फैसला वापस ले नगर परिषद प्रशासन वरना कांग्रेस करेगी आंदोलन- विनोद दक

विकास सुथार March 28, 2021, 7:59 am Technology

जीरन। नगर परिषद जीरन द्वारा पिछले दिनों एक तुगलकी फरमान जारी करते हुए जीरन में जलकर, स्वच्छता कर में सौ प्रतिशत की वृद्धि करते हुए नगरवासियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है। प्रशासक की आड़ में भाजपा नेताओं की मिलीभगत से जनता पर डाले जा रहे इस अनावश्यक बोझ से गरीब और दिहाड़ी मजदुरी करने वाले लोगो पर भारी असर पड़ने वाला है। ब्लॉक कांग्रेस कमेटी जीरन के अध्यक्ष विनोद दक ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि जीरन नगर परिषद द्वारा एक अप्रेल से जलकर और स्वच्छता कर को बढ़ा कर दोगुना कर दिया गया है। कहने को तो नगर परिषद में प्रशासक का राज पाट है लेकिन गुपचुप तरीके से भाजपा नेताओं की सहमति से ही काम किये जा रहे है। भाजपा गरीबों के हितैषी होने का आडम्बर रचती है उनकी कथनी और करनी में कितना अंतर है वो आम जनता देख सकती है। प्रशासन द्वारा जलकर के दाम दोगुना कर दिए जाने के बाद भी भाजपा नेताओं की चुप्पी यह दर्शाती है कि जनता को लूटने के इस प्लान में भाजपा की भी मौन स्वीकृति है।  नगर परिषद जीरन द्वारा जलकर जो पहले मात्र 60 रुपये लिया जा रहा था उसे बढाकर 120 रुपये कर दिया गया है, व्यावसायिक जलकर को 150 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया गया है। जल जो हर आम आदमी की मुख्य जरूरत में शामिल है। ब्लॉक अध्यक्ष विनोद दक ने कहा कि वर्तमान समय में आम जनमानस को रियायत देने के बजाय उनके ऊपर करो का भार डाला जा रहा है जबकि शासन प्रशासन को अभी संकट के समय जनता के हितों की रक्षा करने के साथ-साथ करों में रियायत देनी चाहिए पिछले साल भर से लोग कोरोना के संकट के चलते बेरोजगारी और व्यापार व्यवसाय मंदा होने से परेशान चल रहे है। ऐसे में दो वक्त की रोजी रोटी जुटाने के लिए आम आदमी को काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। उस पर जलकर का यह बोझ व्यक्ति कैसे सहन कर पाएगा। स्वच्छता के नाम पर बेवजह खर्च किए जा रहे हैं पुराने डस्टबिन को हटाकर जो वर्तमान में भी उपयोगी थे उनकी जगह नया डस्टबिन लगाए जा रहे हैं शासन के पैसों का निरंतर दुरुपयोग किया जा रहा है जीरन नगर परिषद प्रशासन से अनुरोध है कि तुगलकी फरमान के तहत जो जलकर बढ़ाने का आदेश जारी किया गया है तुरन्त वापस ले अन्यथा कांग्रेस इस मुद्दे पर नगर की जनता के हित मे नगर की जनता को साथ लेकर नगर परिषद का घेराव कर आंदोलन करेगी। अगर जलकल की राशि कम नहीं की गई तो उसके बाद होने वाले आंदोलन के लिए प्रशासन स्वंय जिम्मेदार होगा।

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