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बैंकों की हडताल शत प्रतिशत सफल बैंकों के ताले भी नहीं खुले, निजीकरण के विरोध में बैंक कर्मी रहे 2 दिन की हड़ताल पर

Neemuch Headlines March 16, 2021, 6:37 pm Technology

नीमच। सरकार की बैंकों को निजी हाथों में बेचने की नीति के विरोध में यूनाईटेड फोरम आफ बैंक युनियन्स की राष्ट्रव्यापी हडताल के दूसरे दिन भी नीमच जिले की सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों में शत-प्रतिशत हडताल रही। बेंको के ताले भी नहीं खुले। दो दिन की हडताल में नीमच जिले की 50 शाखाओं में लगभग 150 करोड का व्यापार व्यवसाय प्रभावित हुआ। हडताल के दूसरे दिन भी पंजाब नेशनल बैंक टैगोर मार्ग की शाखा के समक्ष जिले भर के बैंक कर्मचारी अधिकारियों ने जमकर प्रदर्शन किया एवं सरकार की निजीकरण की नीति के खिलाफ खूब नारेबाजी की। हडताली कर्मचारियों को सम्बोधित करते हुए यूनाईटेड फोरम ऑफ़ बैंक यूनियन्स के जिलाध्यक्ष किशोर जेवरिया ने कहा कि मोदी सरकार एक-एक कर सभी सार्वजनिक उपक्रमों को बरबाद कर रही है और निजी कम्पनियों को बढ़ावा दे रही हैं। मोदी सरकार का मकसद आम आदमी का हित देखना नहीं पूंजीपतियों व कारपोरेट घरानों को लाभ पहुंचाना रहा है। इसका उदाहरण बीएसएनएल को बर्बाद कर जिओ को बढ़ावा देना है। एलआईसी जिसने सरकार के कई प्रोजेक्ट में करोडों रूपयों की सहायता की उसे भी बर्बाद कर निजी हाथों में सौंपने की तैयारी कर रही है। आने वाले समय में जनता को मोदी सरकार की नीतियों के कारण जमा पर बहुत कम ब्याज और बहुत ज्यादा सेवा शुल्क का सामना करना पडेगा। जेवरिया ने बैंक कर्मचारियों को जनता का विष्वास जीतने के लिये सर्विस विथ स्माईल का मंत्र दिया और कहा कि हम जनता से और अच्छा व्यवहार करें और बेहतर सेवाएं दें। ग्राहकों से बैंक है, बैंकों से ग्राहक नहीं यह बात हमें सदैव याद रखना है। जिला सचिव सतीष भटनागर ने कहा कि देषभर में बैंक हडताल पूरी तरह सफल रही है। यह हडताल सरकार को इस बात की चेतावनी है कि वह सार्वजनिक क्षेत्र को बेचने का विचार त्याग दे और इसकी मजबूती के लिये जो बडे-बडे घराने बैंकों का हजारों करोड रूपया डकार कर बैठे हैं, उनसे वसूली करवाए। यदि सरकार सौ बडे चूककर्ताओं से भी वसूली करवा देती है तो बैंकों को किसी सहायता की जरूरत नहीं पडेगी। बैंक कर्मचारी ने सरकार की हर योजनाओं को जी जान से पूरा किया है और सरकार उन्हीं बैंक कर्मचारियों को बदनाम करने पर तुली हुई क्योंकि वह बैंकों को बेचना चाहती है। क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के अनिल पाठक ने कहा कि बैंक कर्मचारियों ने इस हडताल में जो एकता दिखाई है वह बताती है कि हम सार्वजनिक क्षेत्र की बैंकों जो कि जनता की बैंक हैं किसी भी कीमत पर चंद हाथों में नहीं बिकने देंगे। कर्मचारियों को राज अजमेरा, संजय सांखला, मनीष नागदा, पुष्कर बैरागी, जितेन्द्र मीणा, दिनेश चारण, गायत्री पांडा, भानुमती यादव, निर्मला मीणा, अशोक शर्मा आदि ने भी सम्बोधित किया। इस अवसर पर कैलाश माली, देवीलाल बैरवा, नरेश जाट, सदाकत हुसैन, रागिनी जैन, आकांक्षा सिंह, किरण मोरिया, अल्पना खरे, उर्वशी शर्मा, निशा सोलंकी, कामिनी परिहार, विनीता विक्टर, प्रिया अनखिया, सोनू मीणा, रूचिका शर्मा, जयन्त मोटवानी, एडविन जोसेफ, हिमांशु खंडुजा, योगेन्द्रसिंह, गोविन्दसिंह गेहलोत, राजनाथ धाकड, दीपेन्द्रसिंह शक्तावत आदि कई बैंकों के कर्मचारी अधिकारी उपस्थित थे। उक्त जानकारी समाजसेवी किशोर जेवरिया द्वारा दी गयी!

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