जयपुर। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सरकार जुआ और ऑनलाइन सट्टेबाजी को सामाजिक बुराई मानते हुए राजस्थान पब्लिक गैंबलिंग ऑर्डिनेंस-1949 के स्थान पर नया विधेयक ला रही है। राजस्थान पब्लिक गैंबलिंग (प्रिवेंशन) विधेयक- 202 में ऑनलाइन जुआबाजी और सट्टे को रोकने के कठोर प्रावधान किए गए हैं। राज्य में ऑनलाइन जुआबाजी को पहली बार संज्ञेय अपराध माना गया है। गृह विभाग के विधेयक को कैबिनेट ने सरकुलेशन के माध्यम से मंजूरी दे दी है।
सरकार मौजूदा विधानसभा सत्र में विधेयक को पेश कर सकती है। विधेयक में जुआबाजी रोकने के लिए अलग-अलग धाराओं में सजा की अवधि एवं आर्थिक दंड में बढ़ोतरी के प्रावधान में किये गये हैं। नया विधेयक राजस्थान पब्लिक गेम गैंबलिंग ऑर्डिनेंस-1949 का स्थान लेगा। संज्ञेय अपराध सामान्यतः गंभीर होते हैं। इनमें पुलिस को तुरंत कार्रवाई करनी होती है।
पुलिस हर साल 50 हजार मामले दर्ज करती है:-
प्रदेश में पुलिस हर साल जुआ एक्ट के तहत 50 हजार से ज्यादा मामले दर्ज करती है। इनमें हजारों लोग पकड़े जाते हैं। अभी जुआ या सट्टे को लेकर राजस्थान सार्वजनिक जुआ अध्यादेश-1949 के तहत कार्रवाई की जाती है। इसमें जुआ या सट्टे का अड्डा चलाने वालों के खिलाफ अलग से कठोर कार्रवाई के प्रावधान नहीं हैं। नए विधयेक में जुआ-सट्टाघर चलाने वालों एवं जुआ-सट्टा खेलने वालों को कड़ी सजा और जुर्माना का प्रावधान किया गया है।