नीमच । बच्चों को जीवन में किस प्रकार नया सिखाते हुए आगे बढ़ना विषय को लेकर सहज योग ध्यान केंद्र नीमच के तत्वाधान में 15 नवंबर को प्रथम सत्र9.30 से 1.30 बजे तक स्थानीय जो चोक्कना बालाजी के समीप कमल अग्रसेन भवन सभागार में 2 दिवसीय कार्यशाला में कुंडलिनी जागरण द्वारा आत्म साक्षात्कार सहज योग आज का महायोग विषय पर निर्मल टीचर्स एंड पैरंट्स प्रोग्राम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभजय माताजी निर्मला देवी के चित्र के समक्ष दीपक प्रज्वलित कर किया गया कार्यक्रम में इंदौर, उज्जैन, रतलाम, बडौदा, प्रतापगढ़ राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र सहित देशभर से आए 150 से अधिक लोगों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में महिला पुरुष सहभागी बने। इस अवसर पर बच्चों को किस प्रकार प्रोत्साहन करें का तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया। जिसमें प्रशिक्षक कोच योगेश भाई आगीवाल हैदराबा द्वारा माता-पिता और बच्चों के बीच में अभिभावक और संतान के संवाद प्रश्न उत्तर पर आधारित विभिन्न विषयों पर विस्तार से मार्गदर्शन प्रदान किया गया जिसमें सहज योग आज का महायोग स्वयं को जाने बिना हम उस शक्ति को नहीं जान सकते जिसने हमें बनाया आगीवाल ने कहा कि यदि हम खुशियां देते हैं तो खुशियां मिलती है। बच्चों को मंच पर पहली बार आने में कई बार उदासी छा जाती है और परेशानी आती है बच्चों में आत्मविश्वास जागरूक करने के लिए हमें उनकी संवेदनाओं को समझना होगा और उनके उस कारण को जानना होगा जिस कारण से वह मंच पर नहीं आ पाते हैं और अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। जैसे कक्षा में एक बच्चा बहुत मस्ती करता है तो टीचर उसे मॉनिटर बना देती है तो उसकी ऊर्जा का मार्ग परिवर्तन होने से उसकी ऊर्जा सही जगह लगती है और वह सफल भी हो होता है। मंच पर जो बच्चे प्रस्तुति नहीं दे पाते हैं उनकी इस धारणा को हमें बदलना होगा तभी वह मंच पर प्रस्तुति दे पाएंगे। जीवन में हर सफल व्यक्ति को कहीं ना कहीं कहीं से प्रोत्साहन मार्गदर्शन मिलता है तभी वह अपने क्षेत्र में सफल होता है। क्रोध को भी खुशी में परिवर्तन किया जा सकता है लेकिन उस पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता होती है और क्रोध के कारण को खुशी में बदलना बहुत सरल होता है लेकिन उसे दिमाग से सोचने की आवश्यकता होती है। अधिकतर परिवार जनों में यही होता है कि माता-पिता कहते हैं कि बेटा बेटी नहीं सुनते हैं। सास कहती है की बहू नहीं सुनती है लेकिन दोनों एक दूसरे के कारण को जाने बिना ही इस प्रकार का निर्णय ले लेते हैं जो कि अनुचित होता है।
दोनों एक दूसरे के विचार नहीं मिलने का कारण जाने तो वह समस्या दूर हो सकती है। रिश्तो के प्रति सकारात्मक सोच हो तो वैचारिक मतभेद दूर हो सकते हैं। सहज योगी व्यक्ति दुनिया का श्रेष्ठ शिक्षक हो सकता है माता-पिता अभिभावक के साथ-साथ एक कुशल शिक्षक की भूमिका का निर्वहन करते हैं तभी उनकी संतान सफलता की ऊंचाई की ओर अग्रसर होती है भावनात्मक बुद्धिमत्ता को हमें प्रयोग कर किसी भी विषय को गहराई से समझते हैं तो हमें उस समस्या का निराकरण करने में सफलता मिल सकती है। हमारे सामने कुत्ता या बेल आता है तो हम भयभीत हो जाते हैं और सुरक्षित स्थान ढूंढने लगते हैं और सुरक्षित स्थान पर पहुंच भी जाते हैं लेकिन हमने कुत्ते और बैल की भावनात्मक बुद्धिमत्ता को समझना होगा तभी हम उसे अपना भय दूर कर सकते हैं। प्रशिक्षण का दूसरा सत्र 2:30 बजे प्रारंभ हुआ जो 8 बजे विश्राम हुआ। सहजयोग द्वारा स्वयं को जाने व जीवन को सफल बनाने के विभिन्न तकनीक की जानकारी प्रदान की गई।