तेलंगाना के खम्मम जिले में एक ऐसा मंदिर है जो इन पारंपरिक मान्यता को एक नया आयाम देता है। ये मंदिर न सिर्फ हनुमान जी की पूजा के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यहां उनकी पत्नी सुवर्चला की भी पूजा होती है। हनुमान जी की प्रतिमा सुवर्चला के साथ स्थापित है।
यहां दूर-दूर से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। श्री हनुमान के विवाह की मान्यता हनुमान जी को लेकर हिंदू धर्म में व्यापक रूप से यह मान्यता है कि वे बाल ब्रह्मचारी थे और उन्होंने अपना जीवन प्रभु श्रीराम की भक्ति और सेवा में समर्पित कर दिया। रामायण, महाभारत और वाल्मीकि या तुलसीदास की कृतियों सहित अधिकांश प्रमुख हिंदू ग्रंथों में हनुमान जी को अविवाहित और ब्रह्मचर्य व्रत का पालन करने वाला बताया गया है। हालांकि, कुछ क्षेत्रीय और कम प्रचलित ग्रंथों..खासकर दक्षिण भारत में ये उल्लेख भी मिलता है कि हनुमान जी का विवाह सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला से हुआ था। यह मान्यता तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे क्षेत्रों में अधिक प्रचलित है। कुछ दक्षिण भारतीय ग्रंथों, विशेष रूप से पराशर संहिता और अन्य स्थानीय परंपराओं में हनुमान जी के विवाह की कथा का उल्लेख मिलता है। यह कथा मुख्य रूप से तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में प्रचलित है, और इसके केंद्र में सूर्य देव की पुत्री सुवर्चला हैं।
पोस्टर विवाद: दिग्विजय सिंह ने कहा ‘गद्दारों को पहचानों’, वक्फ कानून पर विरोध के बाद उनके खिलाफ लगाए गए थे पोस्टर हनुमान जी के विवाह से जुड़ी पौराणिक कथा हनुमान जी ने सूर्यदेव को अपना गुरु बनाया और उनसे ‘नव विद्याओं’ (नौ प्रकार की विद्याओं) का ज्ञान प्राप्त करना चाहा। सूर्यदेव ने हनुमान जी को पांच विद्याएं तो सिखा दीं, लेकिन शेष चार विद्याएं केवल विवाहित शिष्यों को ही दी जा सकती थीं।यह नियम हनुमान जी के लिए एक चुनौती था क्योंकि उन्होंने ब्रह्मचर्य का व्रत लिया था। सूर्यदेव ने इस समस्या के समाधान के लिए हनुमान जी को अपनी पुत्री सुवर्चला से विवाह करने का सुझाव दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुवर्चला एक तपस्वी और तेजस्वी कन्या हैं और यह विवाह सिर्फ आध्यात्मिक और शैक्षिक उद्देश्य के लिए होगा। सूर्यदेव ने यह भी कहा कि विवाह के बाद सुवर्चला तपस्या में लीन हो जाएंगी, जिससे हनुमान जी का ब्रह्मचर्य व्रत प्रभावित नहीं होगा।
इसके बाद हनुमान जी ने अपने गुरु की आज्ञा का पालन किया और सुवर्चला से विवाह किया। कथा के अनुसार, यह विवाह सिर्फ औपचारिक और आध्यात्मिक था। विवाह के तुरंत बाद सुवर्चला तप में चली गईं और हनुमान जी ने शेष विद्याओं का ज्ञान प्राप्त किया। इस प्रकार, हनुमान जी ने अपने ब्रह्मचर्य को बनाए रखा क्योंकि यह विवाह गृहस्थ जीवन की शुरुआत के लिए नहीं, बल्कि ज्ञान प्राप्ति के लिए था। पराशर संहिता में इस विवाह को ब्रह्मांड के कल्याण और हनुमान जी की शिक्षा पूर्ण करने के लिए आवश्यक बताया गया है। यह ग्रंथ इस बात पर जोर देता है कि हनुमान जी का ब्रह्मचर्य अखंड रहा क्योंकि सुवर्चला के साथ उनका संबंध केवल गुरु-शिष्य परंपरा को पूरा करने के लिए था। इस मंदिर में होती है श्री हनुमान और उनकी पत्नी सुवर्चला की पूजा तेलंगाना के खम्मम जिले के येल्नाडु गांव में स्थित श्री सुवर्चला सहित हनुमान मंदिर विश्व में अपनी तरह का एकमात्र मंदिर माना जाता है। हैदराबाद से लगभग 220 किलोमीटर की दूरी पर बने इस प्राचीन मंदिर में हनुमानजी अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ गृहस्थ के रूप में विराजमान हैं। मंदिर में दोनों की प्रतिमाएं एक साथ स्थापित हैं और हर साल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की दशमी को उनके विवाह का उत्सव बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। यह आयोजन स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक और सांस्कृतिक अवसर होता है। मान्यता है कि जो भी भक्त यहां हनुमान जी और सुवर्चला के दर्शन करते हैं, उनके वैवाहिक जीवन की सभी समस्याएं दूर हो जाती हैं।