भोपाल। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सोमवार को लोक निर्माण विभाग द्वारा आयोजित ‘पर्यावरण से समन्वय’ विषयक संगोष्ठी-सह प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि हर विभाग के कार्यों में पर्यावरण के साथ संतुलन और सामंजस्य अनिवार्य है। इसी उद्देश्य से यह कार्यशाला आयोजित की गई है और इसमें प्राप्त निष्कर्ष सार्थक और दूरगामी परिणाम देने वाले होंगे। इस आयोजन में अखिल भारतीय संयोजक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि गोपाल आर्य, लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह, और भास्कराचार्य संस्थान के महानिदेशक टी.पी. सिंह सहित कई गणमान्य हस्तियां शामिल हुईं। यह संगोष्ठी प्रदेश के लगभग 1500 इंजीनियर्स को एक मंच पर लाई है, जो पर्यावरण-अनुकूल निर्माण तकनीकों से परिचित होंगे। ‘पर्यावरण से समन्वय’ विषय पर संगोष्ठी मुख्यमंत्री मोहन यादव ने ‘पर्यावरण से समन्वय’ पहल को सराहनीय बताते हुए कहा कि भारत की स्थापत्य कला का इतिहास सदियों पुराना है और यह प्रकृति के साथ सामंजस्य पर आधारित है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भोपाल का बड़ा तालाब इसका उत्कृष्ट नमूना है। प्रदेश में सड़कों के निर्माण में भी कई बार पर्यावरण संरक्षण को विशेष महत्व दिया गया है। उन्होंने कहा कि हमारा स्थापत्य ज्ञान परिस्थितिजन्य नहीं बल्कि प्रकृतिजन्य है। प्रदेश में सड़क निर्माण कार्य में पर्यावरण संरक्षण को प्राथमिकता दी गई है। सीएम ने कहा कि जब निर्माण की बात हो तो इस कार्य में कई चुनौतियां आती हैं। ऐसे में गणित, विज्ञान और तकनीक में सिद्धहस्तता रखने वाले अभियंताओं के लिए इस तरह की संगोष्ठी बेहद सार्थक साबित हो सकती है। बहुत हो गया अब देश का समय और बर्बाद नहीं होने देंगे, हमने देख लिया राहुल गांधी सुधर नहीं सकते, बोले किरेन रिजिजू इंजीनियर्स के लिए पर्यावरण संरक्षण पर ट्रेनिंग इस संगोष्ठी का मुख्य लक्ष्य इंजीनियर्स को पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक करना और उनकी तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ाना है। तकनीकी सत्रों में नवीनतम पर्यावरण-अनुकूल निर्माण तकनीकों पर चर्चा की जा रही है। भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष उपयोग एवं भू-सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG-N), गांधीनगर के विशेषज्ञ पीएम गतिशक्ति योजना के तहत डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) निर्माण और जीआईएस पोर्टल पर सड़कों व पुलों की भौगोलिक मैपिंग पर प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं।