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त्याग के बिना शांति नहीं मिलती है - रामानंद पुरी, श्री मद्भागवत कथा का महाकुंभ प्रवाहित।

Neemuch headlines January 8, 2025, 7:59 pm Technology

नीमच त्याग के बिना शांति नहीं मिलती है। त्याग के साथ संतोष का होना भी जरूरी है। ज्ञान भक्ति बैराग्य तीनों साथ होते हुए भी विचार आपस में नहीं मिलते हैं चिंतन का विषय है। सत्संग के बिना विवेक नहीं मिलता है। त्याग बिना जीवन का कल्याण नहीं हो सकता है। विनम्रता बिना जीवन का कल्याण नहीं होता है। यह बातश्री पंचमुखी बालाजी मंदिर कानाखेड़ा के तत्वाधान में आयोजित धर्म कथा में बाबा विश्वनाथ गुरुकुलम उजडखेडा उज्जैन के व्याकरणाचार्य रामानंद पुरी जी महाराज ने कही। वे पंचमुखी बालाजी के दशम स्थापना दिवस एवं मकर सक्रांति के पावन उपलक्ष्य में पंचमुखी बालाजी मंदिर भक्ति पांडाल में आयोजित श्री मद्भागवत कथा एवं अखंड रामायण पाठ आयोजन धर्म कथा में बोल रहे थे।

उन्होंने कहा कि कुंभ का मेला और भागवत मृत्यु का स्वागत करने का संदेश देते हैं जो मृत्यु का चिंतन कर लेता है। उसका जीवन आनंदमय हो जाता है। जो मृत्यु को समझ समझता है वह मृत्यु से डरता नहीं है क्योंकि मृत्यु का चिंतन करने वाला मरकर भी जीवन जीता है। जिसने मृत्यु को समझ लिया उसे मोक्ष प्राप्त हो जाता है। त्याग बिना मोक्ष नहीं मिलता है। परीक्षित ने सब कुछ त्याग दिया था तभी मोक्ष प्राप्त हुआ था। अच्छे कार्यो में हमेशा परेशानी आती है। परमात्मा की दृष्टि में जो व्यक्ति अच्छा होता है उसी के सामने ज्यादा कठिनाईयां आती है। क्योंकि संघर्ष में ही जीवन जीने का आनन्द होता है। हमारे पास यह सब कुछ है तो परमात्मा को धन्यवाद देना चाहिए। देवता भी अच्छे कार्य करते थे उन्हें भी परेशानी का सामना करना पड़ता था संसार में रहते हुए मनुष्य में स्वार्थ के लोभ में आकर अपना धन को भी खो देता है और ठगी का शिकार हो जाता है। देवासुर संग्राम बरसों चलता रहा युद्ध भी हुआ लेकिन जिनके साथ भगवान और संत थे उनके साथ धोखा नहीं हुआ। उन्हें अमृत तत्व प्राप्त हुआ था जो राक्षसी प्रवृत्ति के थे उन्हें कुछ भी नहीं मिला।

जिस घर परिवार पर प्रेम रहता है वह घर मंदिर बन जाता है। कथा को व्यापार नहीं बनाना चाहिए। व्यापार होगा तो मोक्ष कहां से होगा । लाखों वर्ष पूर्व संतो के अनुसंधान से सनातन धर्म बना था भारत की माता बहनों का जो चरित्र है संसार में कहीं और नहीं है। जिस परिवार में हंसी खुशी नहीं होती वह घर शमशान के समान होता है। घर परिवार में लड़ाई झगड़ा होता है। लेकिन आपस में बातचीत बंद नहीं करना चाहिए। सभी संकट हमें जीवन में कठिनाइयों के साथ जीवन जीना सिखाते हैं। भागवत अनहोनी को टाल सकती हैं। प्रभु की आराधना कर जीवन में दुखों को दूर करना चाहिए। आधुनिक युग में लोग नेट को गुरु बना रहे हैं जबकि वास्तविक गुरु माता-पिता श्रेष्ठ होते हैं उनसे मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। शुद्ध आहार होगा तो समाज में प्रतिष्ठा बढ़ती है। क्षेत्र के बडी संख्या में ग्रामीणों ने आयोजन में दान राशि लिखवा कर प्रदान करने की घोषणा की गई जिसका प्रसारण किया । श्रद्धा और विश्वास ही शंकर और पार्वती का जीवन चरित्र सिखाता है श्री मद्भागवत कथा 8 से 14 जनवरी तक प्रतिदिन सुबह 11 से 4 बजे तक आयोजन किया जा रहा है। 14 जनवरी को पूर्णाहुति भंडारे के साथ कथा का विश्राम होगा। भागवत पोथी पूजन आरती के बाद प्रतिदिन प्रसाद वितरण किया जाएगा।

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