डबरा में आदिवासी किसानों ने एकदिवसीय धरना दिया। इस दौरान उन्होंने सरकार द्वारा चलाई जा रही। किसानों आदिवासियों के लिए योजनाएं उनका लाभ दिलाने की मांग रखी। उन्होंने बताया कि गरीब आदिवासियों की जमीनों पर दबंग और रसूखदार लोग अपना कब्जा जमाए हुए हैं। इसके अलावा, पीएम आवास योजना के अंतर्गत भी उन्हें कोई लाभ नहीं मिल रहा। बड़ी बात तो यह है कि ऐसे सैकड़ों आवेदन डबरा प्रशासन के समक्ष आ चुके हैं, लेकिन अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई है।
सरकार को दी चेतावनी सरकार एक तरफ खुले में शराब बेचने और पीने पर पाबंदियां लगाने का दावा करती है लेकिन दूसरी ओर आदिवासी बस्तियों, गांव में खुलेआम शराब बेची जारही है, जिससे कई आदिवासी परिवार उजड़ गए हैं। इसी कड़ी में वह डबरा SDM के समक्ष सरकार के नाम ज्ञापन दे रहे हैं लेकिन उनके फरियाद सुनने के लिए कोई भी प्रशासनिक अधिकारी तैयार नहीं है। इसी संबंध में किसान आदिवासियों ने सरकार को चेतावनी दी है कि अगर जल्द ही उनकी मांगे नहीं मानी गई, तो वह अनिश्चितकालीन धरने पर बैठेंगे। जमीनी स्तर पर परेशान किसान किसान और आदिवासी यह दोनों ऐसे हैं शब्द जिनके हितों की बात करते हुए ना तो वर्तमान सरकार थकती है और ना तो विपक्षी दल। जब-जब चुनाव नजदीक आता हैं, तब-तब पक्ष और विपक्ष दोनों ही किसान और आदिवासियों को साधने लग जाते हैं। साथ ही अपनी योजनाओं को गिनाते हैं लेकिन अगर इनकी वास्तविक हकीकत जमीनी स्तर पर देखी जाए, तो सबसे ज्यादा परेशान यही नजर आते हैं।