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दुष्कर्म के इरादे से निकले थे तीन युवक, आदिवासी मासूम के साथ किया सामूहिक बलात्कार, माता पिता हाथ पैर जोड़ते रहे, दो हिरासत में

Neemuch headlines February 1, 2024, 4:10 pm Technology

ग्वालियर। ग्वालियर जिले से एक ऐसी खबर सामने आई है जिसने न सिर्फ मानवता को शर्मसार किया है बल्कि समाज में पनप रही ऐसी मानसिकता को उजागर किया है जिसपर गहराई से चिंता करने की जरूरत है, आप लगभग रोज ही दुष्कर्म की घटनाओं के बारे में पढ़ते और सुनते होंगे, इसके पीछे की जो वजह सामने आती है उनमें या तो कोई पुरानी रंजिश, कोई विवाद, बदला, प्यार में धोखा आदि होती है लेकिन ग्वालियर में एक 15 वर्षीय किशोरी के साथ हुई सामूहिक दुष्कर्म की वारदात की जो वजह सामने आई है उसने पुलिस को भी चौंका दिया है, जिस एक आरोपी को पुलिस ने हिरासत में लिया है उसने पूछताछ में बताया कि घटना वाले दिन हम तीनों दोस्तों ने तय किया था कि आज किसी का रेप करना है तो हमें आदिवासी मजदूर लड़की दिखी तो हमें उसके साथ रेप किया।

15 वर्षीय आदिवासी किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार की ये घटना ग्वालियर जिले के भंवरपुरा थाने के बरकोडा गांव की है , घटना 29 और 30 जनवरी की दरमियानी रात की है, गांव के पास मौजूद खदानों में काम करने के लिए शिवपुरी जिले के एक आदिवासी परिवार मजदूरी करने यहाँ रुका था, परिवार में पति, पत्नी, बेटी और बेटा थे। भाई को टॉयलेट कराने झोपड़ी से निकली मासूम के साथ शैतानों ने किया दुष्कर्म रात के समय भाई को टॉयलेट आई तो बहन उसे झोपड़ी के बाहर लेकर निकली, इसी समय तीन पिशाच वहां मोटर साइकिल से पहुंचे उन्होंने मासूम को अकेले देखा तो उनके अंदर का शैतान जाग गया। इन लोगों ने भाई बहन को पकड़ लिया और मारपीट शुरू कर दी, आवाजें सुनकर माता पिता बाहर आये तो बदमाशों ने उनके साथ भी मारपीट शुरू कर दी और कट्टा लगाकर चुप होने के लिए कहा। माता पिता रोते बिलखते रहे लेकिन नहीं पसीजा दरिंदों का दिल कट्टे से सहमे गरीब आदिवासी चुप हो गए, इतने में एक शैतान ने किशोरी को पकड़ा और खींचकर झोपड़ी के अंदर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया, वो बाहर आया तो दूसरा अंदर गया उसने भी मासूम के साथ दुष्कर्म किया। बाहर माता पिता रोते बिलखते रहे , बेटी को छोड़ने की गुहार लगाते रहे लेकिन शैतानों का दिल नहीं पसीजा।

ज्यादा शोर होने पर आसपास के और मजदूर जाग गए और वो इस परिवार के पास पहुंचे, भीड़ देखकर बदमाश कट्टा दिखाकर फरार हो गए। घंटों बेटी को कलेजे से लपेटे रोते रहे गरीब आदिवासी घटना के बाद माता पिता अपनी मासूम को सीने से लगाकर घंटों तक रोते रहे , उसे बिना किसी गुनाह की सजा मिली थी। डरा सहमा आदिवासी परिवार रात से दोपहर तक झोपड़ी से बाहर ही नहीं निकला। गाँव वालों ने दोपहर बाद डायल 100 को सूचना दी तब पुलिस वहां पहुंची और परिवार को घाटीगांव लेकर घाटीगांव आ गई फिर अज्ञात आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया। आरोपियों की मदद करने वाले को पुलिस ने तत्काल उठाया घटना की सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई, मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस तत्काल एक्शन में आई, एडिशनल एसपी ऋषिकेश मीणा ने मीडिया को बताया कि हमने आसपास पूछताछ शुरू की तो मालूम चला कि गाँव के ही एक व्यक्ति के यहाँ रात को तीन लोग बाइक से आये थे, उन्होंने ही घटना की है। पुलिस ने उस संदिग्ध को उठा लिया और उसने पूछताछ में इसे स्वीकार किया और उसकी निशानदेही पर एक आरोपी को हिरासत में ले लिया। हिरासत में आया आरोपी बोला – रेप करना तय किया था उस दिन हम तीनों तो कर दिया हिरासत में आये आरोपी ने जो कहानी पुलिस को सुनाई उसे सुनकर पुलिस चौंक गई, आरोपी ने बताया कि हम इस आदिवासी परिवार को जानते नहीं हैं न हमारा कोई विवाद है, उस दिन हम तीनों दोस्तों ने ये तय किया था कि आज किसी लड़की के साथ रेप करना है तो गांव में घूम रहे थे ये लड़की मिल गई तो उसके साथ हमने रेप किया।

पुलिस ने इस मानसिकता को बताया खतरनाक और चिंताजनक एडिशनल एसपी ने कहा कि ये जो मानसिकता सामने आई है वो बहुत खतरनाक है और चिंता करने वाली है क्योंकि दुष्कर्म के पीछे की ये वजह पहली बार आई है कि किसी ने तय किया कि आज दुष्कर्म करना है और वारदात कर दी, ये बच्ची नहीं होती तो कोई और दूसरी होती, इन्हें तो भूत सवार था, उन्होंने कहा कि हमने अभी आरोपियों की मदद करने वाले और एक आरोपी को पकड़ा है जल्दी ही घटना में शामिल शेष दो आरोपियों को भी पकड़ लिया जायेगा , पुलिस पार्टियाँ उनकी तलाश कर रही हैं। इस मानसिकता को बदलने के लिए समाज को पहल करने की जरुरत बहरहाल ये घटना सिर्फ चौंकाने वाली नहीं है बल्कि सोचने पर मजबूर करने वाली है कि क्या कोई व्यक्ति दुष्कर्म करने की इस तरह प्लानिंग कर सकता है? ये मानसिकता आखिर कहाँ से पनपरही है? इसके लिए कौन दोषी है? क्या समाज को इस तरह की मानसिकता वाले लोगों से सिर्फ सावधान रहने की ही जरुरत है या फिर इस सोच और मानसिकता को बदलने के लिए कोई पहल करने की जरुरत है, इस सबपर विचार करना ही होगा वर्ना आज ये मासूम आदिवासी शैतानों की शिकार बनी कल कोई और मासूम या फिर लड़की या महिला भी हो सकती है ।

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