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इंदौर 7वीं बार बना भारत का सबसे स्वच्छ शहर संयुक्त रूप से इंदौर और सूरत को मिला पहला पुरस्कार सातवें आसमान पर इंदौर

Neemuch headlines January 11, 2024, 12:09 pm Technology

इंदौर। इंदौर ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए लगातार सातवीं बार सफाई में देश में नंबर 1 बनने का का गौरव हासिल किया। संयुक्त रूप से इंदौर और सूरत को पहला पुरस्कार मिला है। 2016 में जब स्वच्छता सर्वे शुरू हुआ था तब इंदौर 25वें नंबर पर था। फिर मां अहिल्या की नगरी ने ऐसा संकल्प लिया कि स्वच्छता ही इसकी पहचान बन गई। मध्यप्रदेश को स्वच्छता सर्वेक्षण में विभिन्न श्रेणियों में कुल 6 अवार्ड मिले। कैंटोमेंट श्रेणी में सबसे स्वच्छ शहर महू केंट को चुना गया।

क्यों नंबर 1 है इंदौर :-

देश का पहला कचरा मुक्त शहर है इंदौर। 1900 टन कचरा रोज निकल रहा है। इसमें 1192 टन सूखा और 692 टन गीला कचरा। इसका सुरक्षित निपटान किया जा रहा है।

• कचरा मुक्त होने के साथ ही इंदौर डस्टबिन फ्री होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। शहर के 27 बाजार पूरी तरह प्लास्टिक मुक्त। इंदौर देश का पहला ऐसा शहर है जिसे वॉटर प्लस का खिताब मिला।

• रोबोटिक मशीनों से ड्रेनेज चेंबर की सफाई।

• शहर में जीरों वेस्ट वार्ड बनाए गए। इससे कचरा वार्ड में ही खत्म हुआ।

• वेस्ट टू वंडर पार्क से रिड्यूज रिसाइकल और रीयूज को बढ़ावा।

• करीब 150 आदर्श यूरिनल तैयार किए गए।

• सफाई मित्रों के प्रोत्साहन के लिए बेहतर काम करने वालों को पुरस्कृत किया गया।

इंदौर स्वच्छता में यूं ही नहीं है नंबर 1:-

दिवाली हो, रंगपंचमी या अनंत चर्तुदशी सभी त्योहार यहां धूमधाम से मनाए जाते हैं। इस दौरान सड़क पर कचरा भी होता है। शहरवासी जब सड़कों पर अंबार लगाकर आराम से कर रहे होते हैं, तब नगर निगम की सफाईकर्मियों की टीम सड़क पर उतरती है और देखते ही देखते सड़कें चकाचक हो जाती है। इस काम में न रात देखी जाती है ना दिन।

लगभग 8,500 'सफाई मित्र' (सफाई कर्मी) तीन पालियों में सुबह छह बजे से तड़के चार बजे तक लगातार काम करते हुए शहर को चकाचक रखते हैं। कचरे से निकला सफलता का रास्ता: इंदौर नगर निगम (आईएमसी) के अधिकारियों ने बताया कि अपशिष्ट की प्राथमिक स्रोत पर ही सुव्यवस्थित छंटाई से मध्यप्रदेश का यह सबसे बड़ा शहर न केवल स्वच्छ बना रहता है और आबो-हवा सुरक्षित रहती है, बल्कि यह 'कीमती' कचरा शहरी निकाय को करोड़ों रुपये की कमाई भी करा रहा है। उन्होंने बताया कि 'कचरा पेटी मुक्त शहर' की 35 लाख की आबादी औसत आधार पर हर रोज तकरीबन 1,200 टन सूखा कचरा और 700 टन गीला कचरा उत्पन्न करती है। शहरी क्षेत्र से निकलने वाले गीले कचरे से बायो-सीएनजी बनाने का एशिया का सबसे बड़ा संयंत्र लगाने के बाद इंदौर ने देश के अन्य शहरों को सफाई के मुकाबले में काफी पीछे छोड़ दिया है।

गंदे पानी का संयंत्रों में उपचार: शहर में निकलने वाले गंदे पानी का विशेष संयंत्रों में उपचार किया जाता है और इसका 200 सार्वजनिक बगीचों के साथ ही खेतों और निर्माण गतिविधियों में दोबारा इस्तेमाल किया जा रहा है। देवगुराड़िया ट्रेंचिंग ग्राउंड पर 15 एकड़ पर सार्वजनिक- निजी भागीदारी (पीपीपी) के आधार पर एक कम्पनी द्वारा चलाया जा रहा संयंत्र हर दिन 550 टन गीले कचरे (फल-सब्जियों और कच्चे मांस का अपशिष्ट, बचा या बासी भोजन, पेड़-पौधों की हरी पत्तियों, ताजा फूलों का कचरा आदि) से 17,000 से 18,000 किलोग्राम बायो- सीएनजी और 100 टन जैविक खाद बना सकता है। इस संयंत्र में बनी बायो-सीएनजी से 150 सिटी बसें चलाई जा रही हैं जो निजी कम्पनी द्वारा शहरी निकाय को सामान्य सीएनजी की प्रचलित बाजार दर से 5 रुपए प्रति किलोग्राम कम दाम पर बेची जाती है।

इस बीच कचरे से होने वाली कमाई से आईएमसी का खजाना लगातार बढ़ रहा है। महापौर से लेकर आम आदमी तक सब हीरो: इंदौर को नंबर 1 बनाने में महापौर, निगमायुक्त, सफाइकर्मियों से लेकर इंदौर में रहने वाले लोगों तक सभी का बराबर योगदान है। शहर ने स्वच्छता को आदत बनाकर एक ऐसी मिसाल पेश की है जो यहां आने वाले सभी लोगों को एक सबक दे जाती है। यहां कचरा सड़क पर नहीं फेंका जाता बल्कि हरे और नीले रंग के बक्सों को ढूंढ कर उसमें ही फेंका जाता है।

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