नीमच।पुलिस अधीक्षक कार्यालय में ग्राम दुदरसी निवासी जितेंद्र परिहार ने पहुंच एसपी अमित तोलानी के नाम एक शिकायती आवेदन प्रस्तुत किया। जिसमें बताया कि पीड़ित फोटोग्राफी का कार्य करता है और कुछ वर्ष पूर्व कम्प्यूटर के सामान खरीदने के लिए यू शेप मार्केट में स्थित जोरबा इन्फोटेक पर आता जाता रहता था। कुछ सालों पहले जोरबा इन्फोटेक पर बैठे व्यक्ति स्वामी प्रेमसागर से अच्छा व्यवहार हो गया था। जो कि अपने आप को जोरबा इन्फोटेक का मालिक बताया करता था। जिसके चलते मैंने कुछ सामान खरीदी उधार रुपयों में की थी और कुछ नगद लेन देन भी किया था। किंतु उधार रुपए व दुकान से खरीदे माल के बदले मुझसे स्वामी प्रेमसागर बैंक के चेक लिया करता था क्योंकि वह कहता था कि मैं ऐसे विश्वास पर उधार पैसे व सामान नहीं दूंगा। मुझे भी लिए सामान व पैसे के बदले में चेक देने में कोई दिक्कत नहीं थी और मेरे द्वारा कभी भी स्वामी प्रेम सागर के पैसे खाने की कोशिश नहीं की, किंतु घर की परेशानी व काम नहीं चलने के कारण कुछ समय तक बाकी पैसे नहीं दे पाया। फिर जब कुछ समय बाद पैसे देने गया तो उक्त व्यक्ति द्वारा मुझसे कहा गया कि तुम्हारे पैसे डबल हो चुके हैं व मुझे ब्याज चाहिए।
कहीं बार मेरे द्वारा इनको पैसे देने गया तो इनके द्वारा मुझे कहा जाता था कि मैं तो ब्याज समेत ही लूंगा जिसके बाद उनके द्वारा मेरे चेक कुछ समय बाद आईडीबीआई बैंक में लगाए जिसकी जानकारी मुझे नहीं प्राप्त होने पर वह बाउंस हो गए। व स्वामी प्रेमसागर ने कोर्ट में 62,152 रुपये की मांग की व न्यायालय ने मेरे साथ न्याय करते हुए मुझे चेक की राशि जो की 25000 थी सीसीडी में जमा करने का आदेश दिया एवं चेक अनादरण व न्यायालय उठने तक के कारावास से दंडित किया। फिर स्वामी प्रेमसागर ने चाल चलते हुए एक केस और उसके नाम से लगाया एवं कम्प्यूटर से फर्जी बिल बनाकर मुझे 45,874 रुपए की राशि उधार बताकर नोटिस जारी किया। मुझे इनकी चाल समझ में नहीं आई और मैंने नोटिस का जवाब लेन देन को स्वीकार कर जमा पैसे जो न्यायालय में सीसीडी में जमा किए थे वह जानकारी देते हुए स्वीकार किया। न्यायालय ने इस बात पर एडमिट किया कि वह तो पुष्पा देवी से लेन-देन का था जो कि इनकी पत्नी है और यह स्वामी प्रेमसागर की दुकान का है। इस कारण मुझे न्यायालय ने 58,408 रुपए देने का आदेश किया। ना समझी में हुई भूल के कारण मुझे यह भी देने पड़ गए। जिनको मैं 20000 नगद व 4000 किस्तों में देने की अनुमति ली है जो अभी तक 44000 दे चुका हूं। व 25000 के चेक दे चुका हूं। अब यह व्यक्ति व उनकी पत्नी मुझे मानसिक रूप से परेशान कर रहे हैं।
एक बार फिर पुनः झूठा केस बाकी पैसे बता कर नोटिस दे रहे हैं। पीड़ित ने आवेदन देकर मांग की है कि उक्त व्यक्ति पर उचित कार्रवाई कर मुझे न्याय दिलाया जाए। इनके द्वारा कई लोगों के साथ इस प्रकार की धोखाधड़ी की जा रही है व झूठे कैस लगाकर पैसे ऐंडे जा रहे हैं। उक्त मामले में स्वामी प्रेमसागर ने जानकारी देते हुए बताया कि जितेंद्र परिहार द्वारा मेरे ऊपर लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं जितेंद्र परिहार द्वारा जोखा इन्फोटेक कंप्यूटर जो कि मेरी कंप्यूटर की दुकान है से 46374 रुपए का सामान खरीदा था लंबे समय तक पैसा नहीं दिया गया तो मेरे द्वारा वर्ष 2016 में जितेंद्र परिहार के ऊपर केस दायर किया गया था जिसका 28 फरवरी 2018 में फैसला मेरे पक्ष में आया और कोर्ट ने कोर्ट फीस सहित मेरी बकाया राशि कुल मिलाकर 54 हजार 91 रू देने के आदेश जितेंद्र को दिए, इसी प्रकार दूसरा कैस मेरी पत्नी पुष्पा देवी के नाम से दर्ज है जिसमें मेरे द्वारा जितेंद्र परिहार को उसके बैंक के खाते में अलग-अलग दिन अलग-अलग राशि 75000 दी गई है जो कि अब तक 10753 बन चुकी है मेरे द्वारा कोई धोखाधड़ी नहीं की गई है मैं अपनी उदारी का रुपया ही मांग रहा हूं।