कर्नाटक का मुख्यमंत्री कौन बनेगा? राजनीति में दिलचस्पी रखने वाला एक-एक इंसान इस सवाल के जवाब के इंतजार में है। दरअसल, कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस ने बंपर जीत हासिल की। विधानसभा में 135 सीटों पर कब्जा करने के चार दिन बाद भी कांग्रेस ने सीएम की घोषणा नहीं की है। सूबे के दो कद्दावर नेता सीएम की कुर्सी के लिए दावेदारी ठोंक रहे हैं। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और कर्नाटक कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार को लेकर आलाकमान कंफ्यूजन की स्थिति में नजर आ रही है।
सूत्रों के हवाले से यह बताया गया कि आलाकमान ने सिद्धारमैया की ताजपोशी का फैसला लिया है। हालांकि कांग्रेस ने ही इस बात को खारिज करते हुए कहा कि अभी सीएम पद को लेकर कोई फैसला नहीं लिया गया है। ऐसे में कर्नाटक सीएम की कुर्सी के फैसले के बाद राजस्थान का एक बहुत बड़ा संकट दूर हो सकता है।
राजस्थान का संकट होगा दूर:-
गौरतलब है कि जो स्थिति अभी कर्नाटक में है कुछ वैसी ही स्थिति कुछ साल पहले राजस्थान में भी थी। राजस्थान में साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल की आलाकमान ने सूबे के जादूगर' अशोक गहलोत को सीएम बनाया। वहीं मुख्यमंत्री की दावेदारी ठोकने वाले सचिन पायलट को डिप्टी सीएम बनाया गया। तभी से लेकर अब तक राजस्थान में गहलोत और पायलट के बीच कुछ भी ठीक नहीं चल रहा है। गाहे-बगाहे दोनों दिग्गज नेता एक-दूसरे पर शब्द बाण' चलाते रहते हैं। कुछ ही महीनों बाद राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। चुनाव से पहले सचिन पायलट खुलकर सीएम गहलोत का विरोध कर रहे हैं। आलम यह है कि सचिन पायलट अपनी ही सरकार के खिलाफ अनशन और यात्रा निकाल रहे हैं। नाराज पायलट को मनाने में कांग्रेस जुटी हुई है। ऐसे में कर्नाटक के सीएम की घोषणा के बाद यह माना जा रहा है कि पायलट - गहलोत विवाद शांत हो सकता हैं।
सूत्रों का यह कहना है कि सूबे का सीएम सिद्धारमैया को बनाया जाएगा। वहीं डीके शिवकुमार को डिप्टी सीएम बनाकर कई मंत्रालय दिए जाएंगे। हालांकि कांग्रेस आलाकमान की ओर से इस बात की पुष्टि नहीं की गई है। लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि सिद्धारमैया सीएम की रेस में डीके से कहीं आगे हैं। कांग्रेस एक अनुभवी और बेदाग छवि वाले चेहरे को सीएम बनाना चाहती है। ऐसे में अगर सिद्धारमैया कर्नाटक के सीएम बनते हैं तो इससे राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की एक बड़ी टेंशन दूर हो सकती है।
गहलोत की टेंशन होगी दूरा:-
कर्नाटक में अगर कांग्रेस सिद्धारमैया को सीएम बनाती है तो इससे यह साफ संदेश जाएगा कि पार्टी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए एक अनुभवी नेता को तरजीह दिया है। बीते कुछ महीनों से राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट अशोक गहलोत के लिए चुनीती बनते जा रहे हैं। पायलट समर्थक विधायक यह दावा कर रहे हैं कि अगले चुनाव में सीएम फेस पायलट को बनाया जाए। पायलट भी अनशन और यात्रा के माध्यम से अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहे हैं। दोनों दिग्गज नेताओं का मनमुटाव बढ़ता ही जा रहा है। पायलट के अनशन को आलाकमान ने पार्टी विरोधी बताया था। हालांकि पार्टी की ओर से पायलट पर कोई एक्शन नहीं लिया गया। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि पायलट की नाराजगी कांग्रेस से नहीं है, वह बस सीएम गहलोत से खफा है। ऐसे में अगर सिद्धारमैया सीएम बनते हैं तो एक बात और साफ हो जाएगी कि राजस्थान में भी गहलोत को ही सीएम फेस बनाया जाएगा क्योंकि सूबे में कांग्रेस के पास गहलोत से बड़ा कोई नेता और नहीं है।
पायलट पर गिर सकती है गाज:-
सचिन पायलट राजस्थान में एक बार बगावत कर चुके हैं। कुल 18 विधायकों के साथ पायलट दिल्ली के काफी करीब पहुंच गए थे। ऐसे में कर्नाटक के सीएम की घोषणा की ओर पायलट की भी निगाहें हैं। पायलट यह जानना चाहते हैं कि किस आधार पर आलाकमान कर्नाटक में सीएम का चुनाव करती है। गौरतलब है कि इस साल के अंत तक राजस्थान में चुनाव होंगे। ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि जो फॉर्मूला कांग्रेस कर्नाटक में इस्तेमाल करेगी वही फॉर्मूला राजस्थान में भी देखने को मिलेगा। ऐसे में अगर सिद्धारमैया को सीएम बनाया जाता है तो इससे यह बिलकुल साफ हो जाएगा कि राज्य के वरिष्ठ और अनुभवी नेता को ही प्राथमिकता दी जाएगी। ऐसे में पायलट गुट के विधायकों पर इससे गाज गिर सकता है।
हालांकि कर्नाटक में क्या होगा इसे लेकर कांग्रेस चुप्पी साध हुए है।