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जिला विधिक सहायता अधिकारी के शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले 2 भाईयों को 2-2 वर्ष का कारावास।

Neemuch headlines March 28, 2023, 9:52 pm Technology

नीमच। श्रीमती डॉ. रेखा मरकाम, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, नीमच ने न्यायालय में पदस्थ जिला विधिक सहायता अधिकारी के कार्यालय में घुसकर शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न करने वाले 2 भाईयों (1) प्रमोद पिता सज्जनलाल खण्डेलवाल एवं (2) अनिल पिता सज्जनलाल खण्डेलवाल, दोनों निवासीगण-फतेह चौक, बघाना, जिला नीमच को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की विभिन्न धाराओं में दोषसिद्ध पाते हुए धारा 353 में 2-2 वर्ष के कारावास एवं अर्थदण्ड के दण्ड से दण्डित किया।

प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी करने वाले एडीपीओं श्री पारस मित्तल द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि जिला विधिक सेवा प्रधिकरण, नीमच के जिला विधिक सेवा अधिकारी सुभाष चौधरी ने आरक्षी केंद्र नीमच केंट पर रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि दिनांक 10.11.2014 को दोपहर 2 बजे वे अपने कर्तव्य पर उपस्थित थे और उस समय श्रीमती प्राची पति प्रमोद जोकि उसके पति से तलाक के विषय पर परामर्श एवं विधिक सलाह हेतु स्वेच्छा से कार्यालय में आई थी, तभी उसका पति प्रमोद एवं उसका जेठ अनिल अंदर आ गया और प्राची द्वारा लाये गये एक लिखित दस्तावेज एवं 500 मुल्य के कोरे स्टॉम्प को फरियादी से छीनकर उसमें से स्टॉम्प को फाडकर उसके टुकडे कर दिये और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए गाली-गलोच करने लगे और फरियादी को अश्लील गालियां दी और कहने लगे की प्राची को भडका रहे हो, तब फरियादी द्वारा समझाने पर दोनों भाई नहीं माने और फरियादी के हाथ में लिये दस्तावेज बलपूर्वक छीनकर स्टॉम्प फडाकर फरियादी के मुंह पर फेक दिये और शासकीय कार्य में बाधा उत्पन्न की एवं फरियादी को जान से खत्म करने की धमकी दी। प्रकरण में पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया। जहां पर आरोपीगण के विरूद्ध भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 447, 353, 294 एवं 506 के आरोप विरचित किये गये और आरोपीगण का विचारण किया गया।

प्रकरण के विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराते हुए अपराध को प्रमाणित कराकर न्यायालय परिसर के अंदर स्थित शासकीय कार्यालय में पदस्थ शासकीय अधिकारी के साथ किये गये उक्त अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपीगण को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया, जिससे सहमत होकर न्यायालय द्वारा आरोपीगण भादवि की धारा 447 में 3-3 माह का साधारण कारावास एवं 500-500रू अर्थदण्ड, धारा 353 में 2-2 वर्ष का साधारण कारावास एवं 1000-1000 रू अर्थदण्ड, धारा 294 में 3-3 माह का साधारण कारावास एवं 500-500रू अर्थदण्ड एवं धारा 506 में 6-6 माह का साधारण कारावास एवं 1000-1000 रू अर्थदण्ड से दण्डित किये जाने का दण्डादेश पारित किया गया।

न्यायालय ने आरोपीगण को दण्डित करते हुए निर्णय में यह लेख किया की महिलाओं के साथ बढते हुए अत्याचार को देखते हुए शासन ने विभिन्न कानून बनाये हैं तथा विधिक सहायता प्राप्त करने का अधिकार प्राप्त हैं, किंतू जब कोई महिला विधिक सहायता प्राप्त करना चाहती हैं तो उसे सहायता देने वाले अधिकारी के साथ यदि ऐसा अपराध गठित होता हैं तो समाज की सामाजिक व्यवस्था भंग होती हैं और विधिक सेवा प्रधिकरण का कार्यालय न्यायालय परिसर के अंदर हैं, जहां न्यायालय में लोग न्याय प्राप्त करने आते हैं और गांव की चौपाल पर भी लोगों को कहते हुए सुना जाता हैं कि किसी भी अधिकार के हनन होने पर या अत्याचार होने पर कहां जाता हैं कि हम न्यायालय के शरण में जायेगें और ऐसी स्थिति में यदि न्यायालय परिसर के अंदर ही ऐसे अपराध होते हैं तो वे अत्याधिक निंदनीय एवं अशोभनीय हैं।

प्रकरण में शासन की ओर से पैरवी पारस मित्तल, एडीपीओ द्वारा की गई।

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