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5 वर्ष पूर्व एटीएम मे तोड-़फोड़ कर शासकीय संपत्ति को पहुचाया था नुकसान, अब न्यायालय ने आरोपी को दिया 03 वर्ष का सश्रम कारावास और जुर्माना

NEEMUCH HEADLINES June 13, 2022, 12:29 pm Technology

नीमच। सुश्री संध्या मरावी, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, नीमच द्वारा पंजाब नेशनल बैंक के ए.टी.एम. में तोड़-फोड़ करने वाले आरोपी योगेश पिता राजुलाल गेहलोत, उम्र-26 वर्ष, निवासी-नयापुरा रोड़, मन्दसौर को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 451 व लोक सम्पत्ति को नुकसानी का निवारण अधिनियम, 1984 की धारा 3 के अंतर्गत 03 वर्ष के कठोर कारावास व कुल 2000रू. जुर्माने से दण्डित किया।

रितेश कुमार सोमपुरा, एडीपीओ द्वारा घटना की जानकारी देते हुुए बताया कि घटना 5 वर्ष पूर्व की होकर दिनांक 29.11.2017 को दोपहर के लगभग 4 बजे की कमल चैक, टैगोर मार्ग स्थित पंजाब नेशनल बैंक के ए.टी.एम. कक्ष की हैं। आरोपी योगेश गेहलोत व दिपेश पंवार दोनो ए.टी.एम. कक्ष में रूपये निकालने के लिए गये थे, किन्तु मशीन में से रूपये नहीं निकलने के कारण आरोपी योगेश ने मशीन की स्क्रीन पर मुक्का मारकर उसे क्षतीग्रस्त कर दिया।

आरोपीयों को ऐसा करते हुए चपरासी विकास ने देख लिया जिस कारण उसने कक्ष का दरवाजा बंद करके मैनेजर विनोद धाकड़ को घटना की सूचना दी, जिसके पश्चात् मैनेजर द्वारा पुलिस को बुलाया गया तथा पुलिस द्वारा दोनो आरोपीयों को थाना नीमच केंट पर ले जाकर उनके विरूद्ध अपराध क्रमांक 568/2017, धारा 451 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 व धारा 3 लोक सम्पत्ति को नुकसानी का निवारण अधिनियम, 1984 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई। प्रकरण की विवेचना ए.एस.आई. कन्हैयालाल सौलंकी द्वारा की गई, जिनके द्वारा ए.टी.एम. मशीन में हुए लगभग 1 लाख रूपये के नुकसान के संबंध में नुकसानी पंचनामा बनाया गया तथा ए.टी.एम. कक्ष के सीसीटीवी फुटेज को प्राप्त कर शेष आवश्यक अनुसंधान पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया।

प्रकरण के विचारण के दौरान एक आरोपी दिपेश पंवार की मृत्यु हो जाने से आरोपी योगेश के विरूद्ध विचारण हुवा। विचारण के दौरान अभियोजन की ओर से न्यायालय में फरियादी व चश्मदीद साक्षीगण सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराये गये तथा घटना की सीसीटीवी फुटेज को न्यायालय के समक्ष चलाया गया, जिसमें आरोपी मुक्का मारकर ए.टी.एम. की स्क्रीन को तोड़ते हुए दिखाई दे रहा था। अभिलेख पर आई साक्ष्य के आधार पर अभियोजन द्वारा अपराध को संदेह से परे प्रमाणित कराकर आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया।

माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 451 के अंतर्गत 01 वर्ष के कठोर कारावास व 1000रू. जुर्माना तथा धारा 3 लोक सम्पत्ति को नुकसानी का निवारण अधिनियम, 1984 में 03 वर्ष के कठोर कारावास व 1000रू. जुर्माने से दण्डित करते हुए दोनो सजायें एक साथ भुगताये जाने का आदेश किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी रितेश कुमार सोमपुरा, एडीपीओ द्वारा की गई।

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