उदयपुर। राजस्थान में बांसवाड़ा जिला जेल से भागे तीन विचाराधीन कैदियों के मामले की जांच के लिए उप महानिरीक्षक (डीआईजी) कैलाश त्रिवेदी शुक्रवार को मौका मुआयना करने बांसवाड़ा पहुंचे। जांच के बाद उन्होंने इस मामले में जेल प्रशासन की लापरवाही माना और इसके लिए डिप्टी जेलर सहित चार कर्मियों को निलंबित कर दिया।
डीआइजी जेल कैलाश त्रिवेदी ने करीब तीन घंटे तक जेल की छानबीन की। हर चीज को बारीकी से देखा। खास तौर उस घटनास्थल को देखा, जहां से विचाराधीन बंदी जेल की दीवार फांदकर भाग निकले। डीआईजी जेल के साथ उदयपुर सेंट्रल जेल के अधीक्षक राजेंद्र बैरवा व प्रतापगढ़ जेलकर्मी थे।
जेल से फरार कैदियों के मामले की जांच के लिए जयपुर से महिला उप अधीक्षक भी आई थी।
डीआईजी बोले, लापरवाही के कारण जेल से भागे कैदी :-
मामले की जांच को लेकर डीआईजी त्रिवेदी ने जेल प्रशासन की लापरवाही बताई, जिसको लेकर डिप्टी जेलर मानसिंह बारहठ, कांस्टेबल तरूण मायल, रामेश्वर जाट एवं उमेश लबाना को निलंबित कर दिया गया।
उन्होंने कहा कि मामले की विधिवत जांच होगी। गलती किस स्तर पर हुई है। करंट के तारों के बीच से अपराधी इतनी ऊंचाई वाली जेल की दीवारों को कैसे पार कर गए। इसमें तथ्यों को जांचने के बाद आगे से इस तरह का अपराध फिर से नहीं हो। इस बारे में पूरी सावधानी रखी जाएगी।
उल्लेखनीय है कि पुलिस ने जेल से भागे तीन कैदियों में से एक कैदी प्रवीण को 19 घंटे बाद बांसवाड़ा जिले मोटागांव क्षेत्र से पकड़ लिया।
ऐसे फरार हुए थे कैदी :-
बांसवाड़ा की जिला जेल से गुरुवार अलसुबह तीन कैदी फरार हो गए। जेल की 22 फीट ऊंची दीवार पर करंट के तारों का जाल लगा होने के बावजूद उनके फरार होने से हड़कंप मच गया। फरार कैदियों में से एक मध्य प्रदेश का, जबकि दो राजस्थान के हैं।
फरार कैदियों की तलाश के लिए समूचे जिले में नाकाबंदी कड़ी कर दी गई है। कैदियों के बुधवार रात बारह बजे से गुरुवार सुबह चार बजे के बीच भागे जाने की जानकारी है।
जो कैदी जेल से फरार हुए, उनमें रतलाम-मध्य प्रदेश निवासी परमेश पुत्र रमेश, बांसवाड़ा निवासी कमलेश (20) पुत्र मान सिंह भाभोर और प्रवीण (19) पुत्र कमलेश निनामा शामिल है। कुछ दिन पहले ही इन बंदियों को यहां लाया गया था।