जावद। श्रीमान अनुज कुमार मित्तल, विशेष न्यायाधीश (एन.डी.पी.एस. एक्ट, 1985) जावद के द्वारा अवैध मादक पदार्थ अफीम को अवैध रूप से घर में रखने वाले आरोपी मुकेश पिता प्रेमचन्द्र पाटीदार, उम्र-40 वर्ष, निवासी-ग्राम सुठोली रामनगर, तहसील जावद, जिला नीमच को एन.डी.पी.एस. एक्ट, 1985 की धारा 8/18(बी) के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1,50,000 रू. जुर्माने से दण्डित किया। सुशील ऐरन, विशेष लोक अभियोजक, केंन्द्रीय नारकोटिक्स ब्यूरों, नीमच द्वारा घटना की जानकारी देते हुुए बताया कि घटना लगभग 5 वर्ष पूर्व दिनांक 10.03.2017 को रात्री के लगभग 04 बजे थाना जावद क्षैत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम सुठोली रामनगर स्थित आरोपी के घर की हैं। कार्यालय उप-नारकोटिक्स आयुक्त, नीमच में पदस्थ निरीक्षक अतनु चटर्जी को मुखबीर ने सूचना दी कि आरोपी ने उसके घर पर लगभग 8 से 10 किलो अफीम उसके घर पर छुपा कर रखी हुई हैं, जिसको जल्द ही व बेचने वाला हैं। इस सूचना को अधीक्षक बी. एन. कुमार को बताया गया, जिस पर से उनके द्वारा स्वयं के नेतृत्व में आरोपी के घर पर दबिश देकर कार्यवाहीं किये जाने हेतु दल का गठन कर एस.आई. सुमित कुमार शर्मा को कार्यवाही किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। इसके पश्चात् आरोपी के घर पर देर रात्री दबीश दिये जाने पर उसके घर के एक कमरे में पलंग का गद्दा व प्लाई हटाकर देखने पर उसके एक बक्से में दो प्लास्टीक की थैलीयों में क्रमशः लगभग 6 किलो 500 ग्राम व 3 किलोग्राम, इस प्रकार कुल 9 किलो 500 ग्राम अवैध मादक पदार्थ अफीम मिली, जिसको जप्त कर व आरोपी को गिरफ्तार कर उनके विरूद्ध अपराध क्रमांक 01/2017, धारा 8/18(बी) एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 के अंतर्गत पंजीबद्ध कर विवेचना उपरांत परिवाद विशेष न्यायालय, जावद में प्रस्तुत किया गया। सुशील ऐरन, विशेष लोक अभियोजक द्वारा न्यायालय में विचारण के दौरान विवेचक, जप्ती अधिकारी, फोर्स के सदस्यों सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराते हुवे आरोपी द्वारा उसके घर पर 9.5 किलोग्राम अवैध मादक पदार्थ अफीम उसके घर अवैध रूप से रखे जाने के अपराध को प्रमाणित कराते हुए आरोपी को कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया। माननीय न्यायालय द्वारा अभिलेख पर आयी साक्ष्य के आधार पर आरोपी को अपराध का दोषी पाते हुये तथा वर्तमान में विशेषकर युवाओं में फैल रही नशे की प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए धारा 8/18(बी) एन.डी.पी.एस. एक्ट 1985 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 1,500,00रू. जुर्माने से दण्डित किया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी सुशील ऐरन, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।