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रतनगढ़ के करीब 11 दिनों से बीमार पड़ ऊंट, बेजुबान प्राणी प्रतिदिन यमराज से मांग रहा अपनी ही मौत की भीख

निर्मल मूंदड़ा August 21, 2025, 8:33 pm Technology

ऊंट मालिक और वन विभाग ने ईलाज से झाड़ा पल्ला, रतनगढ गौरक्षा दल रोज कर रहा ऊंट के चारे, पानी एवं दवाई की व्यवस्था

रतनगढ़। डिकैन और रतनगढ़ के बीच स्थित बरैखन घोशाला एवं मक्खन दोस के कुएं के बीच में नीमच सिंगोली रोड से मात्र 500 मीटर जंगल की तरफ एक ऊंट पिछले 11 दिनों से भूखा प्यासा बीमार अवस्था में पड़ा हुआ है।किसी गंभीर बीमारी की वजह से वह अपने पैरों पर खड़ा भी नहीं हो पा रहा है। पिछले 10 दिनों से गौ रक्षा दल के पदाधिकारी गण गुलाबचंद प्रजापत अनिल प्रजापत एवं साथीगण ऊंट के इलाज के लिए प्रतिदिन रतनगढ से चिकित्सक को ले जा रहे हैं। साथ ही खाने पीने व दवाईयों के लिए भी व्यवस्था कर रहे हैं।इन सबके बीच में जहां ऊंट के मालिक जो की पाली जिले के खांड गांव का रहने वाला है।जिसका नाम गणेश है।ने भी अपने ऊंट का इलाज कराने में लापरवाही बरतते हुए बूरी तरह से तड़फ कर मरने के लिए अपने हाल पर छोड़ दिया है।और ऐसा लग रहा है कि शायद बेजुबान और मजबूर प्राणी ऊंट भी अब तो प्रतिदिन यमराज से अपने ही मौत की भीख मांग रहा है। जबकि ऊंट मालिक ने अपने साथियों के साथ अभी डिकैन रामनगर सुठोली के पास लापिया पेमा खेड़ा में अपना डेरा डाल रखा है।वही वन विभाग के आला अधिकारियों के अनुसार यह प्राणी हमारे वन विभाग के अंतर्गत नहीं आता है। कहकर आसानी से ऊंट के इलाज एवं खाने पीने की व्यवस्था से अपना पल्ला जाड़ लिया है।गोरक्षा दल के पदाधिकारीयो के कहने पर पशु चिकित्सक डॉक्टर पाटीदार प्रतिदिन ऊंट का निःशुल्क उपचार कर उसे ठीक करने का प्रयास कर रहे हैं।लेकिन पशु चिकित्सक डॉक्टर पाटीदार के अनुसार इस ऊंट के उपचार के लिए पाली के पास स्थित ऊंट उपचार केंद्र पर ही ले जाना पड़ेगा।जहां पर ही इसका उपचार सम्भव है।बताया जा रहा है।कि जिसका खर्चा लगभग 25 से ₹30,000 के करीबन आएगा।शायद इसीलिए ऊंट मालिक ने भी इस बेजुबान प्राणी को मरने के लिए जंगल मे अकेला छोड़ दिया है।अब देखना यह है।कि प्रशासनिक अधिकारी इस बेजुबान प्राणी ऊंट के इलाज के लिए ऊंट मालिक को कहकर क्या व्यवस्था करवाते हैं।

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