नीमच। श्रीमान् विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सों एक्ट), जिला-नीमच द्वारा अनुसूचित जनजाति की नाबालिग बालिका का अपहरण कर बलात्कार करने वाले आरोपी दिलिप पिता अशोक नायक, उम्र-23 वर्ष, निवासी-ग्राम जवासा, थाना नीमच सिटी, जिला नीमच को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366, 376(2)(एन), अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(वी) व पाॅक्सो एक्ट की धारा 5(एल)/6, के अंतर्गत तीहरे आजीवन कारावास एवं कुल 5000 रू जुर्माने से दण्डित किया।
जगदीश चौहान, विशेष लोक अभियोजक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना लगभग 2 वर्ष पूर्व दिनांक 26.06.2020 की रात्रि के समय थाना जावद क्षैत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम मोरका की हैं। पीडिता की उम्र 16 वर्ष की होकर वह अनुसूचित जनजाति की सदस्या हैं तथा उसका गांव थाना जावद क्षैत्र के अंतर्गत आता हैं। वह दिनांक 26.06.2020 को देर रात्री को परिवार को बिना बतायें कहीं चली गई थी, जो वह वापस नहीं आई तो पीडिता के माता-पिता व परिवार के सदस्यों ने उसकी गांव व रिष्तेदारी में काफी तलाश की किन्तु उसका कोई पता नहीं फिर उन्हें तलाष के दौरान पता चला कि ग्राम जवासा का दिलिप नायक भी उस दिन गांव में उसके रिश्तेदार से मिलने आया था, जिस कारण उन्होंने संदेह के आधार पर आरोपी के विरूद्ध पुलिस थाना जावद में रिपोर्ट लिखाई, जिस पर से अपराध क्रमांक 219/2020, धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई।
पुलिस जावद ने विवेचना के दौरान दिनांक 30.06.2020 को आरोपी द्वारा पीडिता को लेकर उपस्थित होने पर उसे दस्तयाब किया। पीड़िता द्वारा पुलिस को बताया गया कि वह आरोपी को जानती थी तथा आरोपी उसके पास आया था और शादी करने का झाँसा देकर उसे अपने साथ ले जाकर उसको मंदसौर जिले के किसी गांव के पास के मंदिर पर ले जाकर उसे शादी की तथा पास हि के जंगल में उसके साथ बलात्कार किया था।
पीडिता के बयानों के आधार पर पुलिस जावद द्वारा प्रकरण में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 366, 376(2)(एन), अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(वी) व पाॅक्सो एक्ट की धारा 5(एल)/6, की वृद्धि की गई। विवेचना के दौरान आरोपी को गिरफ्तार किया गया, पीडिता व आरोपी का मेडिकल कराया गया व दोनो के डी.एन.ए. सेंपल लिये गये।
बाद विवेचना पुर्ण कर अभियोग-पत्र माननीय विषेष न्यायालय (पाॅक्सों एक्ट), जिला नीमच के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान जब पीडिता व उसके माता-पिता के बयान कराये गये तो सभी के द्वारा घटना को पूर्ण रूप से नहीं बताते हुए रूपयों के लेन-देन के विवाद के कारण आरोपी के विरूद्व रिपोर्ट लिखाये जाने का बयान दिया गया। इन सब के बावजूद भी घटना के बाद आरोपी व पीडिता के जो डी.एन.ए. सैम्पल लिये गये थे, उसकी रिपोर्ट पोजेटीव आई तथा यह प्रमाणित पाया गया कि आरोपी द्वारा 16 वर्षीय नाबालिग पीडिता के साथ संभोग किया गया था।
अभियोजन द्वारा इस डी.एन.ए. रिपोर्ट के आधार पर यह तर्क रखा गया कि पीडिता के बयान को मान्य न करते हुए इस वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर यह मान्य किया जाये की आरोपी द्वारा 16 वर्षीय नाबालिग पीडिता बालिका का अपहरण कर बलात्कार किया गया गया था।
माननीन न्यायालय द्वारा उक्त तर्क को स्वीकार कर इस वैज्ञानिक साक्ष्य से सहमत होकर आरोपी के विरूद्ध अपराध को संदेह से परे प्रमाणित पाया। माननीय विषेष न्यायालय द्वारा आरोपी को धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 7 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000रू जुर्माना, धारा 366 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000 रू जुर्माना तथा तीन धाराओं, धारा 376(2)(एन) भारतीय दण्ड संहिता, 1860, धारा 5(एल)/6 पाॅक्सो एक्ट व धारा 3(2)(वी) अनुसूचित जाति/जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम 1989 में आजीवन कारावास एवं 1000-1000 रूपये जुर्माने से दण्डित किया।
इसी प्रकार जुर्माने की कुल राषि 5000 रू को पीडिता को प्रतिकर के रूप में प्रदन किये जाने का आदेश भी पारित किया गया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी जगदीश चौहान, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।