नीमच। श्रीमान् विशेष न्यायाधीश (पॉक्सों एक्ट), जिला-नीमच द्वारा नाबालिग का अपहरण कर बलात्कार करने वाले आरोपी गोविन्दराम पिता मोहनलाल भील, उम्र-21 वर्ष, निवासी- ग्राम चड़ौल, थाना जावद, जिला नीमच को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366, 376(2)(एन) व पॉक्सो एक्ट की धारा 5(एल)/6, 3/4 के अंतर्गत तीहरे आजीवन कारावास एवं कुल 5000 रू जुर्माने से दण्डित किया। जगदीश चौहान, विशेष लोक अभियोजक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना लगभग 2 वर्ष पूर्व दिनांक 05.07.2020 से 19.07.2020 के मध्य की थाना जीरन क्षैत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम भीलो का खेड़ा व थाना जावद क्षैत्र में आने वाले ग्राम चड़ौल की हैं। पीडिता की उम्र 17 वर्ष हैं तथा उसका गांव थाना जीरन क्षैत्र के अंतर्गत आता हैं। वह दिनांक 05.07.2020 को रात्री के समय हाथ-मुह धोने व शौच जाने का बोलकर उसके घर से गई तो बहुत समय बाद भी वह वापस नहीं आई। पीडिता के माता-पिता व परिवार के सदस्यों ने उसकी गांव व रिश्तेदारी में काफी तलाश की किन्तु उसका कोई पता नहीं फिर उन्हें तलाश के दौरान पता चला कि ग्राम चड़ौल का गोविन्दराम भील भी उस दिन गांव में आया था, जिस कारण उन्होंने संदेह के आधार पर आरोपी के विरूद्ध पुलिस थाना जीरन में रिपोर्ट लिखाई, जिस पर से अपराध क्रमांक 158/2020, धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई। पुलिस जीरन ने विवेचना के दौरान दिनांक 20.07.2020 को पीडिता को दस्तयाब किया, जिसके द्वारा पुलिस को बताया गया कि आरोपी उसके पास आया था और शादी करने का झाँसा देकर उसे अपने साथ ले जाकर उसको ग्राम चड़ौली स्थित उसके कुॅवे पर 14 दिन तक रखा और उसके साथ कई बार बलात्कार किया, फिर वह मोटरसायकल से उसको वापस उसके गॉव छोडकर चला गया। पीडिता के बयानों के आधार पर पुलिस जीरन द्वारा प्रकरण में भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 366, 376(2)(एन) व पॉक्सो एक्ट की धारा 5(एल)/6, 3/4 की वृद्धि की गई। विवेचना के दौरान आरोपी को गिरफ्तार किया गया, पीडिता व आरोपी का मेडिकल कराया गया व दोनो के डी.एन.ए. सेंपल लिये गये। बाद विवेचना पुर्ण कर अभियोग-पत्र माननीय विषेष न्यायालय (पॉक्सों एक्ट), जिला नीमच के न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान जब पीडिता व उसके माता-पिता के बयान कराये गये तो सभी के द्वारा पीडिता के साथ हुई घटना से इंकार कर दिया व आरोपी को पहचानने से भी इंकार कर दिया और न्यायालय में यह बयान दिये की घटना वाले दिन पीडिता का उसकी माता से झगडा हो गया था, इसलिए वह गुस्सा होकर उसकी मौसी के वहां मनासा चली गई थी। इन सब के बावजूद भी घटना के बाद आरोपी व पीडिता के जो डी.एन.ए. सैम्पल लिये गये थे, उसकी रिपोर्ट पोजेटीव आई तथा यह प्रमाणित पाया गया कि आरोपी द्वारा 17 वर्षीय नाबालिग पीडिता के साथ संभोग किया गया था। अभियोजन द्वारा इस डीएनए रिपोर्ट के आधार पर यह तर्क रखा गया कि पीडिता के बयान को मान्य न करते हुए इस वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर यह मान्य किया जाये की आरोपी द्वारा 17 वर्षीय नाबालिग पीडिता बालिका का अपहरण कर बलात्कार किया गया गया था। माननीन न्यायालय द्वारा उक्त तर्क को स्वीकार कर इस वैज्ञानिक साक्ष्य से सहमत होकर आरोपी के विरूद्ध अपराध को संदेह से परे प्रमाणित पाया। माननीय विषेष न्यायालय द्वारा आरोपी को धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 7 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000 रू जुर्माना, धारा 366 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 1000रू जुर्माना तथा तीन धाराओं धारा 376(2)(एन) भारतीय दण्ड संहिता, 1860 व धारा 5(एल)/6 व 3/4 पॉक्सो एक्ट में आजीवन कारावास एवं 1000-1000 रूपये जुर्माने से दण्डित किया। इसी प्रकार जुर्माने की कुल राषि 5000रू को पीडिता को प्रतिकर के रूप में प्रदन किये जाने का आदेश भी पारित किया गया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी जगदीश चौहान, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।