नाबालिग का बहला फुलाकर अपहरण और बलात्कार करने वाले आरोपी को 10 वर्ष का सश्रम कारावास और जुर्माना

NEEMUCH HEADLINES April 5, 2022, 6:30 pm Technology

नीमच। विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट, नीमच द्वारा 17 वर्षीय नाबालीग बालीका का अपहरण कर उसका बलात्कार करने वाले आरोपी हरीश पिता शिवलाल मेघवाल, उम्र 22 वर्ष, निवासी-ग्राम जावी, थाना नीमच सिटी, जिला नीमच को धारा 376, 376/511, 366, 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 एवं धारा 3 (ग) / 4 सहपठित धारा 18 लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 के अंतर्गत दोषी पाते हुए 10 वर्ष के सश्रम कारावास एवं कुल 5000 रू. जुर्माने से दण्डित किया।

विशेष लोक अभियोजक जगदीश चौहान द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि 17 वर्षीय पीडिता ग्राम बड़ौली में रहती हैं तथा उसके पिता उसको सिलाई सिखाने के लिए रोज की तरह दिनांक 30.06.2020 को भी सुबह के 8 बजे ग्राम थड़ौली छोडकर वापस आ गये थे। पीडिता रोज लगभग 11 बजे तक सिलाई सिखकर वापस घर आ जाती हैं, किन्तु वह 11:30 बजे तक भी घर वापस नहीं आई तो उसके पिता ग्राम थडौली गये जहाँ से पता चला कि वह तो 09:30 बजे ही वहां से चली गई थी।

पीडिता की काफी तलाश करने पर भी उसका पता नहीं चला तो उसके पिता ने थाना नीमच सिटी में प्रथम सूचना रिपोर्ट लेख कराई, जिस पर से अपराध क्रमांक 248/2020, धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत पंजीबद्ध किया गया। दिनांक 01.07.2020 को पीडिता को उसके पिता थाने पर लेकर उपस्थित हुए, जहाँ पीडिता से पुलिस द्वारा पुछताछ किये जाने पर उसके द्वारा बताया गया कि वह आरोपी को पहले से ही जानती हैं तथा आरोपी ने पूर्व में उसके साथ बलात्कार किया था।

पीडिता ने आगे बताया कि दिनांक 30.06.2020 को भी जब वह वापस उसके घर जा रही तो आरोपी रास्ते में उसको मिला तथा पीडिता को शादी करने का झांसा देकर बोला की मेरे साथ चल नहीं तो में जहर खा लुंगा और तुझे बदनाम कर दूंगा। ऐसे बोलकर वह पीडिता को मोटरसाईकल पर जबरन बैठाकर नीमच लाया, फिर वहा से निम्बाहेडा ले गया जहाँ रास्तें में उसके साथ बलात्कार करने का प्रयास किया।

इसके बाद वह पीडिता को उदयपुर ले गया, जहाँ शादी किये जाने हेतु दस्तावेज नहीं होने से वह वापस पीडिता को लेकर नीमच आ गया, जहाँ पीडिता के परिवार वालो को देखकर वह भाग गया। पीडिता के कथनों के आधार पर प्रकरण में धारा 376, 376/511, 366 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 एवं धारा 3 (ग) / 4, 18 लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 का ईजाफा किया गया।

विवेचना के दौरान पुलिस द्वारा पीडिता का मेडिकल कराया गया, उसकी उम्र 18 वर्ष से कम होने के संबंध में आवश्यक दस्तावेजी साक्ष्य को एकत्रित कर व आरोपी को गिरफ्तार कर अभियोग-पत्र माननीय विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान पीड़ित बालीका, उसके परिवार के सदस्य, उम्र को प्रमाणित करने वाले साक्षीगण, पीडित व आरोपी का मेडिकल करने वाले साक्षीगण एवं विवेचक सहित भी महत्वपूर्ण साक्षीयों के बयान कराते हुए पीडिता के साथ बलात्कार की पुष्टि करने वाली डी.एन.ए. रिपोर्ट को भी प्रमाणित कराकर आरोपी द्वारा 17 वर्षीय पीडित बालिका का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किये जाने के अपराध को प्रमाणित कराते हुए उनको कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया।

माननीय विशेष न्यायाधीश द्वारा आरोपी को धारा 376 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रू. जुर्माना, धारा 366 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रू. जुर्माना, धारा 376/511 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रू. जुर्माना, धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 07 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रू. जुर्माना एवं धारा 3 (ग) / 4 लैंगिक अपराधों से बालको का सरंक्षण अधिनियम, 2012 में 10 वर्ष का सश्रम कारावास व 1000 रू जुर्माने से दण्डित किया।

इसके अतिरिक्त माननीय न्यायालय द्वारा जुर्माने की कुल रकम 5000 रु. को पीडित बालिका को प्रतिकर के रूप में प्रदान किये जाने का आदेश भी दिया गया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक जगदीश चौहान द्वारा की गई व सहयोग चंद्रकांत नाफडे, एडीपीओ द्वारा किया गया।

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