मनासा। अखिलेश कुमार धाकड़, प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश, मनासा, जिला नीमच द्वारा नाबालिग का अपहरण कर बलात्कार करने वाले आरोपी मोतीलाल पिता मोहनलाल भील, उम्र 24 वर्ष, निवासी ग्राम गोपालपुरा, जिला चित्तौड़गढ राजस्थान को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366, 344, 506 (2) व पॉक्सो एक्ट की धारा 5/6 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास व कुल 2600 रू जुर्माने से तथा उसका इस अपराध में सहयोग करने वाले आरोपी देवीलाल पिता उदाजी भील, उम्र 25 वर्ष, निवासी ग्राम गोपालपुरा, जिला चित्तौड़गढ राजस्थान को भारतीय दण्ड संहिता, 1860 की धारा 363, 366, 344, 506 (2) के अंतर्गत 04 वर्ष के सश्रम कारावास व कुल 1800 रू जुर्माने से दण्डित किया।
जगदीश चौहान, विशेष लोक अभियोजक द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि घटना लगभग 3 वर्ष पूर्व दिनांक 02.08.2019 को शाम के लगभग 7 बजे थाना कुकडेश्वर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम टामोटी की हैं। घटना दिनांक को 15 वर्षीय पीडिता तलाई पर हाथ-मुह धोने के लिए गई थी, तो वहा पर आरोपी मोतीलाल व उसका दोस्त देवीलाल खडे हुए थे, जिन्होंने पीडिता को जान से मारने व बदनाम करने की धमकी देकर जबरन दोनो के बीच मोटर साईकल पर बिठाकर उसका अपहरण कर लिया तथा आरोपी मोतीलाल पीडिता को उसके घर पर ले गया।
पीडिता के भाई द्वारा उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट पुलिस थाना कुकडेश्वर में की गई। आरोपी मोतीलाल द्वारा लगभग 01 माह तक पीडिता को उसके घर पर जबरन रखा गया तथा उसका रोज रात को बलात्कार किया गया, इस अपराध में आरोपी देवीलाल द्वारा उसका सहयोग किया।
दिनांक 11.09.2019 को पीडिता को पुलिस कुकडेश्वर द्वारा दस्तयाब किया गया, तब पीडिता द्वारा उसके साथ हुई घटना के संबंध में बताये जाने पर आरोपीगण के विरूद्ध पुलिस थाना कुकडेश्वर में अपराध क्रमांक 171/19, धारा 363, 366, 376, 344, 506 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 व धारा 5/6 पॉक्सों एक्ट, 2012 के अंतर्गत प्रथम सूचना रिपोर्ट पंजीबद्ध की गई।
विवेचना के दौरान आरोपीगण को गिरफ्तार कर पीडिता के उम्र के संबंध में आवश्यक दस्तावेजी साक्ष्य एकत्रित करके अन्य आवश्यक अनुसंधान पूर्णकर अभियोग पत्र मनासा न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान पीडिता सहित सभी महत्वपूर्ण साक्षीगण के बयान कराकर आरोपी मोतीलाल द्वारा नाबालिग पीडिता का अपहरण कर उसके साथ बलात्कार किये जाने के अपराध को तथा आरोपी देवीलाल द्वारा इस अपराध में सहयोग किये जाने के अपराध को प्रमाणित कराया गया।
अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य व तर्को से सहमत होकर माननीय न्यायालय द्वारा आरोपी मोतीलाल को धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 3 वर्ष के सश्रम कारावास व 500 रू जुर्माना, धारा 366 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 4 वर्ष के सश्रम कारावास व 700 रू जुर्माना, धारा 344 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 01 वर्ष के सश्रम कारावास व 300 रू जुर्माना, धारा 506 (2) भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 01 वर्ष का सश्रम कारावास व 300 रू जुर्माना तथा धारा 5/6 पॉक्सों एक्ट, 2012 के अंतर्गत 10 वर्ष के सश्रम कारावास व 800 रू जुर्माने से दण्डित किया।
इसी प्रकार आरोपी देवीलाल को धारा 363 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 3 वर्ष के सश्रम कारावास व 500 रू जुर्माना, धारा 366 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 के अंतर्गत 4 वर्ष के सश्रम कारावास व 700रू जुर्माना, धारा 344 भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 01 वर्ष के सश्रम कारावास व 300 रू जुर्माना व धारा 506 (2) भारतीय दण्ड संहिता, 1860 में 01 वर्ष का सश्रम कारावास व 300 रू जुर्माने से दण्डित किया।
दोनो आरोपीयों को सभी सजाये साथ-साथ भुगताये जाने का आदेश भी पारित किया। इसी प्रकार जुर्माने की कुल राशि 4400 रू में से 3500 रू पीडिता को प्रतिकर के रूप में प्रदन किये जाने का आदेश भी पारित किया गया।
न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी जगदीश चौहान, विशेष लोक अभियोजक द्वारा की गई।