मध्यप्रदेश में नाम बदलने की बसंती बयार, होशंगाबाद के बाद भोपाल का नाम बदलने की मांग, बोले मंत्री, गुलामी की याद को मिटाएंगे भोपाल होगा भोजपाल ?

NEEMUCH HEADLINES February 6, 2022, 11:07 am Technology

भोपाल। बदलते मौसम के साथ मध्यप्रदेश की सियासत में एक बार फिर नाम बदलने की सियासत अपने उफान पर आ गई है। भोपाल से सटे होशंगाबाद का नाम नर्मदापुरम और बाबई का नाम माखन नगर करने के सरकार के फैसले के बाद अब एक बार फिर राजधानी भोपाल का नाम बदलने की मांग फिर तेज हो गई है।

शिवराज सरकार में कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने राजधानी भोपाल का नाम बदलकर भोजपाल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि इसके लिए वह जल्द ही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखेंगे। कैबिनेट मंत्री विश्वास सारंग ने कहा कि गुलामी की याद दिलाने वाले नाम मध्यप्रदेश में नहीं रहे इसी संकल्प के साथ होशंगाबाद का नाम बदला गया है।

भाजपा सरकार गुलामी के हर प्रतीक को बदलेगी और भोपाल का नाम भोजपाल करने की मांग को लेकर वह पत्र लिखने जा रहे है। उन्होंने कहा कि अगर कांग्रेस के नेता इस भगवा एजेंडा कहते हैं तो इसमें उनको कोई दिक्कत नहीं है।

होशंगाबाद को अब नर्मदापुरम के नाम से जाना जाएगा। कांग्रेस के नेता यह मानते हैं कि यह हमारा भगवा ऐजेंडा है। हमें इससे कोई दिक्कत नहीं है। हम हर गुलामी के प्रतीक को बदलेंगे। में पुनः भोपाल का नाम भोजपाल करने हेतु सीएम शिवराज को पत्र लिखेगा।

नाम बदलो अभियान की इस बसंती बयार की शुरुआत पिछले साल भोपाल के कई साल पुराने हबीबगंज स्टेशन के नये रंग रूप में आते ही नया नाम रानी कमलापति रखने से हुई थी। आदिवासी और जनजातीय वोटरों पर फोकस करने के लिए भाजपा सरकार ने रानी कमलापति के नाम पर स्टेशन करने के साथ भोपाल की आखिरी हिंदू शासक के तौर पर पुनर्स्थापित कराने की मुहिम भी छेड़ दी है। वहीं राजधानी के ऐतिहासिक मिंटो हाल का नाम खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कुशाभाऊ ठाकरे हाल करने का एलान कर दिया था। वहीं इसके बाद इंदौर के पातालपानी रेलवे स्टेशन का नाम टंट्या मामा, इंदौर के भंवरकुआं चौराहे और एमआर टेन बस अड्डा का नामकरण भी टंट्या मामा के नाम से कर दिया गया। वहीं मंडला के महिला पॉलिटेक्निक का नाम रानी फूलकुंवर के नाम पर होगा तो मंडला की कंप्यूटर सेंटर और लाइब्रेरी भी अब शंकर शाह ओर रघुनाथ शाह के नाम पर जानी जायेगी। मध्यप्रदेश में नाम बदलो अभियान के तहत इन दिनों उसिल मुद्दा सध्यान भटकानें कालयें।

रोटी कपडा आर रोजगार देना अब सरकार के लिये मुश्किल होता है इसलिये अतीत के गौरव का अहसास कराइये और जनता को खुश रखिये। ये नया फंडा सारी राज्य सरकारें सीख गयीं हैं। तो तैयार रहिये कभी भी कुछ भी बदल सकता है।

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