20 हजार की रिश्वत लेने वाले नीमच जिले के भ्रष्ट पटवारी को 4 वर्ष का सश्रम कारावास और जुर्माना

NEEMUCH HEADLINES January 20, 2022, 1:03 pm Technology

नीमच। श्रीमान अजय सिंह ठाकुर, विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम), नीमच द्वारा फरियादी के पक्ष में फैसला कराने के नाम पर 20000 रुपये की रिश्वत लेने वाले आरोपी पटवारी कमल किशोर पिता चिमनलाल चोधरी, उम्र 50 वर्ष, निवासी- 177, शिक्षक कॉलोनी, नीमच रोड़, तहसील मनासा, जिला नीमच को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7/13 (1) (डी) सहपठित धारा 13(2) के अंतर्गत दोषी पाते हुए 04 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 20000 रू. जुर्माने से दण्डित किया।

विशेष लोक अभियोजक विवेक सोमानी द्वारा घटना की जानकारी देते हुए बताया कि फरियादी बाबूलाल धाकड़, निवासी-चैकड़ी का निवासी है, उसके द्वारा दिनांक 11.03.2015 को लोकायुक्त कार्यालय उज्जैन में उपस्थित होकर आवेदन दिया गया की उसकी ग्राम चैकड़ी में बाडे से लगी हुई जमीन हैं, जिसके संबंध में छोगालाल धाकड़ से विवाद चल रहा हैं, जिसके संबंध में तहसील न्यायालय में प्रकरण लंबित हैं। इस संबंध में वह हल्का नंबर 46 एवं 47 टप्पा कुकडेश्वर के पटवारी कमल किशोर चैधरी से मिला था, जिसके द्वारा फैसला उसके पक्ष में कराये जाने हेतु उससे 20000 रूपये रिश्वत की मांग करी थी। आवेदन पर से फरियादी को आवेदन की सत्यता की जांच हेतु एक वाईस रिकार्डर दिया था, जिसमें आरोपी द्वारा फरियादी से 20000 रूपये रिश्वत की मांग किये जाने की रिर्काडिंग प्राप्त होने पर अपराध पंजीबद्ध कर टेप दल का गठन निरीक्षक कमल निगवाल द्वारा किया गया।

दिनांक 13.03.2015 को आरोपी द्वारा फरियादी को 20000 रूपये रिश्वत देने के लिए तहसील कार्यालय मनासा के पास पुरोहित होटल में बुलाया जहां पर फरियादी ने 20000 रूपये आरोपी देकर होटल से बाहर निकल कर टेप दल को इशारा किया, जिस पर से टेप दल द्वारा आरोपी की जैकेट से 20000 रूपये के जप्त कर शेष विवेचना पूर्णकर अभियोग पत्र विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया। अभियोजन द्वारा माननीय न्यायालय के समक्ष विचारण के दौरान फरियादी सहित सभी आवश्यक गवाहों के बयान कराकर आरोपी द्वारा 20000 रूपये रिश्वत लेकर प्रमाणित कराकर उसको कठोर दण्ड से दण्डित किये जाने का निवेदन किया गया।

माननीय विशेष न्यायाधीश द्वारा आरोपी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 7/13 (1) (डी) सहपठित धारा 13 (2) के अंतर्गत दोषी पाते हुए 04 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 20000रू. जुर्माना से दण्डित करते हुए, जुर्माने की रकम 20000 रु को फरियादी को प्रतिकर के रूप में प्रदान किये जाने का आदेश भी दिया गया। न्यायालय में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक विवेक सोमानी, एडीपीओ द्वारा किया गया।

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