महाराणा प्रताप का जन्म सोलहवीं शताब्दी में राजस्थान में हुआ था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार उनका जन्म 9 मई, 1540 को कुंभलगढ़ में हुआ था। इस दिन ज्येष्ठ मास की तृतीया तिथि थी, इसलिए हिंदी पंचांग के अनुसार महाराणा प्रताप जयंती 13 जून को मनाई जाएगी।
यह महाराणा प्रताप की 481वीं जयंति है। महाराणा प्रताप ने कई बार अकबर के साथ लड़ाई लड़ी। उन्हें महल छोड़कर जंगलों में रहना पड़ा। उनका पूरा जीवन संघर्ष में ही कट गया, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनका नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है।
आइए जानते हैं उनसे जुड़ी हुई खास बातें।
महाराणा प्रताप ने युद्ध कौशल अपनी मां से सीखा था। महाराणा प्रताप और अकबर के बीच सन 1576 ई. में बड़ा युद्ध लड़ा गया था। इस युद्ध में अकबर के पास बहुत बड़ी सेना और हथियार थे परंतु महाराणा प्रताप के पास उनका शौर्य, वीरता की थी। महाराणा के पास सैनिक कम जरूर थे, पर सबके सब शूर-वीर योद्धा थे। जिन्होंने महाराणा प्रताप का हर परिस्थिति में साथ दिया।
85 हजार सैनिकों से लड़े थे 20 हजार सैनिक:-
हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप के पास मात्र 20 हजार सैनिक थे और अकबर के पास 85 हजार सैनिकों की सेना थी। इसके बावजूद यह युद्ध न तो अकबर जीत सका और न ही महाराणा प्रताप पराजित हुए। अकबर कभी भी महाराणा प्रताप को अपना गुलाम नहीं बना पाया।
बहादुरी की मिसाल था चेतक:-
महाराणा प्रताप का सबसे चहेता घोड़ा चेतक भी उनकी तरह बहुत बहादुर था। आज भी उसकी कविताएं पढ़ी जाती हैं। चेतक ने युद्ध भूमि में महाराणा प्रताप को अपनी पीठ पर बिठाकर कई फीट चौड़े नाले से छलांग लगा दी थी। बाद में युद्ध में घायल होने के कारण चेतक की मृत्यु हो गई थी। चेतक की समाधि हल्दी घाटी में बनी हई है।
जंगलों में भटकते समय महाराणा प्रताप को कई बार भोजन नहीं मिल पाता था। ऐसे में उन्होंने घास की रोटी खाकर गुजारा किया, लेकिन कभी भी अकबर के सामने हार नहीं मानी। अकबर ने महाराणा प्रताप से समझौते के लिए कई दूत भेजे थे, लेकिन महाराणा प्रताप ने हर बार उनका प्रस्ताव ठुकरा दिया था।