मनासा। मालवा के प्रसिद्ध संगीतकार, गीतकार, लेखक एवं विचारक योगेन्द्र नागदा अल्हेड ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पेड़ो और पर्यावरण को बचाने एवं पेड़ो को सहेजने व बढ़ाने का एक नायाब तरीका बताया उन्होंने बताया कि बरगद, पीपल, नीम आदि के पेड़ विगत कुछ दशकों में हमारे देश मे तीव्र तरीके से कम हुवे हैं। जिससे आक्सीजन की कमी होना स्वाभाविक है साथ ही भविष्य में अन्य समस्या भी आ सकती हैं । बरगद का व्रक्ष तो व्रक्षो की एक कॉलोनी के समान होता हैं परन्तु भूमिस्वामी पेट पालने के लिये नगदी फसल लेने के लिये इसे नष्ट कर देते हैं क्योकि बरगद का पेड़ बहुत जगह घेरता हैं सभी पेड़ो के साथ भी ऐसा ही हो रहा हैं । हम तो बरगद की जड़ो पर झूला भी झूल लिये परन्तु आने वाली नस्ले ये आनन्द नही उठा पाएगी गिध्दों की तरह ही बरगद भी लगातार कम हो रहे हैं और वो दिन दूर नही की ये पेड़ विलुप्ति की और चला जाये । सभी व्रक्षो के साथ ऐसा हो रहा हैं। नागदा ने पेड़ो को बचाने एवं बढ़ाने का यह तरीका बताया कि यदि ऐसा हो कि जिसकी जमीन पर पेड़ हो या पेड़ लगाए तो उस भूमि स्वामी को प्रतिवर्ष मुआवजा दिया जाए क्योकि आक्सीजन और पर्यावरण सुख तो सभी लेंगे मुआवजा मिलेगा तो लोग पेड़ो को काटने पर नही पेड़ो को लगाने पर ध्यान देंगे। पेड़ो की गिनती होना चाहिये लम्बाई मोटाई व पेड़ की प्रजाति के आधार पर भूमि स्वामी को प्रतिवर्ष मुआवजा दिया जावे तो कोई पेड़ काटेगा नही बल्कि पेड़ भी लगाने लग जायेंगे और पर्यावरण अच्छा होने लगेगा घरों में भी पेड़ लगाने वालों को मुआवजा मिलने लगे तो ही यह समस्या हल होगी और तेजी से पेड़ो की संख्या बढ़ने लगेगी वरना आज की स्थिति हम सब देख ही रहे हैं । और वैसे भी सरकार न जाने कैसे कैसे मुआवजे तो देती ही हैं ये मुआवजा तो पर्यावरण शुद्धि करेगा जिससे बहुत सारी बीमारियां व समस्याएं कम होगी । अब नही सम्भले तो कब संभलेंगे । हम आने वाली पीढ़ी को क्या दे के जाएंगे सिर्फ पैसा जो ज्यादा काम का नही है ये हमने इस कोरोना काल मे देखा ही हैं। ये विचार जिम्मेदारों तक पहुचे और सरकार इस पर ध्यान दे ये ही एक मात्र कारगर तरीका है वरना नैतिकता की बात कर भूल जाना व्रक्ष लगाकर फ़ोटो खिंचाकर भूल जाना यही चलता रहेगा मुआवजा मिलेगा तो ही लोग ज़्यादा पेड़ लगाएंगे । इस बात पर ध्यान नही दिया गया तो हम इस भौतिकवाद में अपनी भूमि को रेगिस्तान बनते देखते रह जाएंगे |