आयकर की धारा 80-C में इतने ज्यादा निवेश विकल्प शामिल हैं कि लोग भ्रमित रहते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसकी 1.5 लाख रुपये की सीमा बहुत कम है और इसकी वजह से लोग इसका पूरा फायदा नहीं उठा पाते. ऐसे में लोग इस बात की पूरी उम्मीद कर रहे हैं कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस बार के बजट में 80-सी से कुछ चीजों को बाहर करेंगी और इसकी छूट सीमा बढ़ाकर कम से कम 3 लाख रुपये तक करेंगी.
इसके पहले साल 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इसे 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये कर दिया था. टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि पिछले 18 साल में धारा 80-सी के तहत निवेश की सीमा 1 से 1.5 लाख हुई है. महंगाई अगर 6 फीसदी फीसदी भी मान लें तो भी इसे कम से कम 3 लाख रुपये होना चाहिए. इंडस्ट्री चैंबर फिक्की ने भी यह सीमा बढ़ाकर 3 लाख तक करने की मांग की है.
क्या है धारा-80 सी:-
आयकर की धारा 80-सी के तहत 1.5 लाख रुपये तक के निवेश को कर योग्य आय से घटाया जा सकता है यानी इसके बदले इनकम टैक्स में छूट हासिल की जा सकती है. अगर किसी की सालान आय 6 लाख रुपये है और उसने 1.5 लाख रुपये 80-सी के तहत आने वाले निवेश साधनों में लगाया है तो उसकी टैक्सेबल आय 4.5 लाख रुपये ही मानी जाएगी.
क्या-क्या आता है:-
इसके तहत लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, होम लोन का प्रिंसिपल एमाउंट, इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ELSS), पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF), इम्प्लॉयीज प्रोविडेंट फंड, स्टाम्प ड्यूटी, प्रॉपर्टी खरीदने का रजिस्ट्रेशन चार्ज, सुकन्या समृद्धि योजना, नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट, सीनियर सिटीजन सेविंग स्कीम, पेंशन (जैसे एनपीएस में निवेश), यूलिप, पांच साल तक के टैक्स सेविंग एफडी या बॉन्ड में निवेश आदि आते हैं.
होम लोन को अलग करना चाहिए:-
टैक्स एक्सपर्ट बलवंत जैन कहते हैं कि सेक्शन 80-सी में ही होम लोन के मूलधन को रख देने से कई समस्याएं हैं. इसकी लिमिट पहले से ही काफी कम है. इतना तो अकेले होम लोन का मूल धन ही हो जाता है, तो लोग बाकी कोई फायदा नहीं उठा पाते. इसलिए होम लोन के मूलधन के बदले टैक्स छूट के लिए किसी अलग सेक्शन में प्रावधान करना चाहिए. जैसे कि साल 2019 में होम लोन के ब्याज पर पहली बार मकान खरीद रहे लोगों के लिए डिडक्शन की एक अलग धारा 80EEA लाई गई थी.
इसमें इतने सारे आइटम हैं कि सबका लाभ नहीं मिल पाता. कई आइटम जैसे बच्चों की स्कूल फीस, पीएफ तो अनिवार्य रूप से हैं. तो कई लोगों का ये मैंडेटरी खर्च ही 1.5 लाख रुपये हो जाता है. अब इसमें अगर होम लोन का रीपेमेंट भी जोड़ दिया जाए तो यह सीमा से बाहर हो जाएगा, इसलिए लोगों को इस सेक्शन का बहुत फायदा नहीं मिल पाता. इसलिए होम लोन के मूलधन भुगतान को इस छूट सीमा से बाहर करना चाहिए.