नीमच। डॉक्टर भीमराव आंबेडर की आज पुण्यतिथि है। 6 दिसंबर 1956 यानी आज ही के दिन भारत मां के इस महान सपूत ने अंतिम सांस ली थी। उन्हें बाबासाहेब आंबेडर के नाम से भी जाना जाता है।
डॉक्टर आंबेडकर की याद में उनकी पुण्यतिथि महापरिनिर्वाण दिवस के रूप में मनाई जाती है। उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक बुराइयों जैसे छुआछूत और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष में लगा दिया। इस दौरान बाबा साहेब गरीब, दलितों और शोषितों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते रहे। आजाद भारत के वो पहले विधि एवं न्याय मंत्री बने। आंबेडकर ही भारतीय संविधान के जनक हैं।
आइए जानते हैं उनसे जुड़ी पांच अहम बातें।
1. बाबा साहेब आंबेडकर का जन्म मध्य प्रदेश के एक गांव में हुआ। हालांकि, परिवार मूल रूप से महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले से था। पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल और माता का नाम भीमाभाई थी। आंबेडकर महार जाति से थे। उनके साथ भेदभाव किया जाता था।
2. आंबेडकर स्कूली दिनों से ही पढ़ाई में अव्वल थे लेकिन तत्कालीन समाज में उन्हें जाति के आधार पर कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। कहा जाता है कि इसकी वजह से उन्हें में एडमिशन के लिए भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, उनकी कुशाग्रता की वजह से उनके अध्यापक उनसे काफी स्नेह रखते थे।
3. मुंबई से डिग्री लेने के बाद उनका चयन अमेरिका की विश्व प्रसिद्ध कोलंबिया यूनिवर्सिटी में हो गया। यहां से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस यानी राजनीतिक विज्ञान में ग्रेजुएशन किया। 1916 में उन्हें पीएचडी अवॉर्ड की गई और यहीं से उनके नाम के आगे डॉक्टर लग गया।
4. आंबेडकर सिर्फ राजनीतिक विज्ञान के ही महारथी नहीं थे बल्कि उन्हें इकोनॉमिक्स यानी अर्थशास्त्री का भी काफी ज्ञान था। वो इसमें डॉक्टरेट हासिल करना चाहते थे लेकिन स्कॉलरशिप खत्म हो जाने की वजह से यह उपलब्धि हासिल नहीं कर सके। कुछ वक्त बाद वो मुंबई के एक कॉलेज में प्रोफेसर हो गए।
5. आंबेडकर ने 1936 में लेबर पार्टी का गठन किया। डॉक्टर आंबेडकर विद्वान व्यक्ति थे। उन्होंने समाज में व्याप्त बुराइयों के लिए आजीवन संघर्ष किया। देश की आजादी की बारी आई तो उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया।
देश की आजादी के बाद वो पहले केंद्रीय कानून मंत्री भी बने।