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MP स्थापना दिवस विशेष : जानिए मध्यप्रदेश के मध्य भारत की कहानी

Neemuch Headlines November 1, 2020, 10:33 am Technology

नीमच। मध्यप्रदेश का 65वां स्थापना दिवस आज रविवार 01 नवंबर 2020 को मनाया जाएगा। प्रदेशभर में इसे लेकर खास तैयारियां चल रही हैं। हालांकि, इस बार के उत्साह के बीच कोरोना नियमों का भी खास ध्यान रखा जा रहा है। वैसे तो राजधानी भोपाल में प्रदेश का सबसे बड़ा और ऐतिहासिक आयोजन होता है, लेकिन इस बार इस आयोजन बहुत कम स्तर पर कोरोना नियमों के साथ आयोजित किया जाएगा। इसके अलावा, प्रदेश की कई सरकारी और गैर सरकारी इमारतों को इस दिन को जश्न के रूप में मनाया जाएगा। इस मौके पर नीमच हेडलाइंस परिवार आपको मध्य प्रदेश के निर्माण और राजधानी के रूप में भोपाल को चुने जाने के कारण के पीछे की सच्चाई बताने जा रहा है, जिसके बारे में अब तक बहुत कम लोग ही जानते हैं।

मध्यप्रदेश के अस्तित्व की सच्चाई:-

भारत की आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को कुछ चुनिंदा इलाकों को छोड़कर देशभर में संविधान लागू हुआ। इसके बाद सन् 1951-1952 में देश में पहली बार आम चुनाव कराए गए। जिसके कारण संसद और विधान मंडल कार्यशील हुए। प्रशासन की दृष्टि से इन्हें श्रेणियों में विभाजित किया गया। सन् 1956 में राज्यों के पुर्नगठन के फलस्वरूप 1 नवंबर, 1956 को नए राज्य के रूप में मध्य प्रदेश की स्थापना की गई। इस राज्य का पुर्नगठन भाषीय आधार पर किया गया। इसके घटक राज्य मध्य प्रदेश, मध्य भारत, विन्ध्य प्रदेश एवं भोपाल थे जिनकी अपनी विधानसभाएं थीं। इस राज्य का निर्माण तत्कालीन सीपी एंड बरार, मध्य भारत, विंध्य प्रदेश और भोपाल राज्य को मिलाकर हुआ। बता दें कि, देश के मध्य में होने के कारण पहले इसे मध्य भारत के नाम से भी जाना गया था।

भोपाल को राजधानी चुने जाने का सफर:-

1 नवंबर, 1956 को मध्य प्रदेश के गठन के साथ ही इसकी राजधानी और विधानसभा का चयन भी किया गया। लंबी कशमकश के बाद आखिरकार देश-प्रदेश का दिल कहे जाने वाले भोपाल शहर को प्रदेश की राजधानी के रूप में चुना गया। हालांकि, उस समय भोपाल को जिला घोषित नहीं किया गया था। साल 1972 में इसे जिला घोषित किया गया। इससे पहले भोपाल सीहोर जिले में आता था। मध्य प्रदेश के गठन के समय प्रदेश में कुल 43 जिले ही बनाए गए थे। लेकिन, वर्तमान में बढ़ती आबादी के कारण व्यवस्थाओं को सुचारू ढंग से चलाने के लिए अब तक मध्य प्रदेश में कुल 52 जिले बनाए जा चुके हैं।

इन शहरों के बीच असमंजस के बाद भोपाल चुना गया राजधानी:-

मध्य प्रदेश की स्थापना होने से पहले इसकी राजधानी को लेकर लंबी खीचतान भी चली। राज्य के कई बड़े शहरों को राजधानी के स्तर पर रखकर आंका गया। कई क्षेत्रीय विवाद भी सामने आए। भोपाल से ज्यादा ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर का नाम इस दौरान काफी आगे रहा। इसी को देखते हुए जबलपुर में हाई कोर्ट की स्थापना भी कर दी गई थी। लेकिन फिर कुछ क्षेत्रीय कारणों और यहां नवाबी भवनों की संख्या ज्यादा होने के चलते सरकारी कामकाज के लिए उपयुक्त जगह होने के कारण भोपाल को राजधानी चुना गया।

भोपाल को राजधानी चुने जाने के अन्य कारण :-

भोपाल को राजधानी के रूप में चुने जाने के पीछे यहां का क्लाइमेट भी बहुत महत्व रखता है। पहाड़ी इलाके यानी ऊंचाई पर बसे इस शहर का हर मौसम अनुकूल रहता है। ना यहां अन्य शहरों के मुकाबले ज्यादा गर्मी पड़ती है, ना ही सर्दी और ना ही थोड़ी सी बारिश से यहां बाढ़ के हालात बनते हैं, इसलिए यहां अन्य शहरों के मुकाबले विकसित किये जाने के ज्यादा मौके थे। इसके अलावा जिस तरह मध्य प्रदेश देश के बीचो बीच स्थित है, ठीक उसी तरह भोपाल भी प्रदेश के बीचों बीच स्थित है। यहां से प्रदेश में चारों और के हालात ज्यादा बेहतर ढंग से जाने जा सकते थे।

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