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वैश्विक महामारी ऑनलाइन क्लासेस और अभिभावको सहित बच्चों के लिए चुनोती

दर्शना जैन October 21, 2020, 8:02 am Technology

 जैन कोरोना वायरस महामारी के कारण देश भर में स्कूल और कॉलेज बंद हो गए हैं।

इन परिस्थितियों में ऑनलाइन कक्षाओं या ई लर्निंग ने शिक्षण प्रणाली में बहुत सारे परिवर्तन किए हैं जो कि पारंपरिक कक्षाओं से बिल्कुल अलग है। कई डिजिटल प्लेटफार्म की मदद से शिक्षा को हर बच्चे तक पहुंचाने का पूरा प्रयास किया जा रहा है।

यद्यपि यह छात्रों और शिक्षकों दोनों के लिए एक चुनौती है फिर भी इसकी मदद से बच्चों को पाठ्यक्रम में व्यस्त रखा जा रहा है और शिक्षा को कम से कम प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।

इन चुनौतियों में से कुछ प्रमुख इस प्रकार है :-

* शिक्षक एवं छात्रों में डिजिटल कौशल का पूर्ण रूप से ज्ञान ना होना:-

कई शिक्षक एवं छात्र डिजिटल प्लेटफार्म का उपयोग प्रथम बार कर रहे होंगे उन्हें इन का पूर्ण रूप से ज्ञान नहीं है, इस कारण से उन्हें इनका उपयोग करने में कई दिक्कतें आ रही होंगी।

अध्यापक इनका उपयोग करके अपने पाठ्यक्रम को ऑनलाइन , बच्चों को पूर्ण रूप से कैसे समझाएं और क्या बच्चे ने समझा उसे महसूस ही नहीं कर पा रहे होंगे जोकि पारंपरिक कक्षाओं में बच्चे सामने ही बैठे होते हैं तो वह आसानी से कर लेते हैं। वही कुछ बच्चे इस चीज का भी लाभ ले रहे हैं कि अब सामने हमारे शिक्षक है ही नहीं तो हमें डांटेगा कौन!

* इंटरनेट का उपयोग:-

हमारे भारत देश में जहां एक रिपोर्ट के मुताबिक 55000 से भी ज्यादा गांव में अभी मोबाइल नेटवर्क ही उपलब्ध नहीं है वहां इंटरनेट की सुविधाएं तो दूर की बात है। ऐसे हालातों में क्या शिक्षा वहां तक पहुंच पा रही है! नहीं इसके अलावा भी कई घरों में अभी भी इंटरनेट का उपयोग नहीं किया जाता है इस कारण कई हजारों छात्र अभी भी शिक्षा की पहुंच से काफी दूर है।

* डिवाइस की उपलब्धता:-

ऑनलाइन कक्षाओं के लिए आवश्यक सामग्री जैसे कंप्यूटर, लैपटॉप या स्मार्टफोन हाल में कई लोगों के पास नहीं है जिसके कारण वे अपने बच्चों को ऑनलाइन कक्षाओं से जोड़ने में असमर्थ है । यहां तक की कई जगह तो अनिश्चित रूप से इलेक्ट्रिसिटी का आना जाना भी ऑनलाइन कक्षाओं को बहुत बुरी तरह प्रभावित करता है। यह समस्याएं ना सिर्फ छात्रों को आती है अपितु शिक्षकगण भी इन्हीं समस्याओं से झुलस रहे हैं। यहां तक की शिक्षक एक फोन पर सभी छात्रों को एक साथ देख भी नहीं सकते हैं जिससे उन्हें यह मालूम हो कि उनका बच्चा कितना एक्टिव होकर पढ़ रहा है या ध्यान दे रहा है! घर में एक ही फोन होने पर उसका उपयोग कब और कौन करें या तो छात्र अपनी शिक्षा के लिए या उनके पालक किसी कार्य हेतु या कोई कॉल आने पर करें या ना करें यह भी एक बड़ी समस्या है ।

* अभिभावकों के लिए चुनौती:-

बच्चों के लिए e-education हालांकि एक नया अवतार है किंतु यह उनके पालको के लिए काफी हद तक चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि स्कूल द्वारा दिए गए असाइनमेंट को उन्हें पूर्ण करवाना होता है जो कि रोजमर्रा के कार्यों के बीच समय निकाल पाना एवं बच्चों को समझाना बहुत कठिन होता है। कई जगह बच्चों के मां और पिता दोनों ही या तो जॉब पर हैं होते हैं या उनमें से कई महिलाएं कम पढ़ी-लिखी होने के कारण अपने बच्चों को पूर्ण रूप से पढ़ा नहीं सकती है, इन हालातों में बच्चा सिर्फ शिक्षक द्वारा समझाएं हुए कुछ प्रश्न उत्तर या पाठ्यक्रम पर ही आधारित रह जाता है। स्कूल में 7 से 8 घंटे व्यतीत करने पर छात्र ना सिर्फ किताबों का ज्ञान अर्जित करता है किंतु फिजिकल एक्टिविटीज, गेम्स और कई अन्य एक्टिविटीज भी करता है किंतु ऑनलाइन मैं सिर्फ एक या 2 घंटे ही पढ़ाया जाता है जिसमें दूसरी एक्टिविटीज तो हो ही नहीं पाती है। और बच्चे बचा हुआ समय टीवी के आगे व्यतीत कर देते हैं। हालांकि अचानक से आई इस महामारी से बचाव के लिए online शिक्षा प्रणाली काफी हद तक सही है किंतु अभी इसमें कई सारी चुनौतियां हैं जिनका सामना अभी छात्र, शिक्षक एवं अभिभावक सभी को करना पड़ रहा है और यहां तक की इन सब के बावजूद न तो बच्चे पूर्ण रूप से अध्ययन कर पा रहे हैं और अभिभावकों को भी स्कूल की पूरी फीस भी भरनी पड़ रही है। इन हालातों में समन्वय बिठाना थोड़ा मुश्किल सा है किंतु शिक्षा का अभ्यास में कराते रहना भी जरूरी है इसलिए सभी स्कूल यह प्रयास में है कि वह अपनी तरफ से उचित कदम उठा सकें एवं ज्यादा से ज्यादा बच्चों तक शिक्षा पहुंचाएं।

इसमें सरकारी एवं प्राइवेट संस्थानों द्वारा इंटरनेट को ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंचाना आवश्यक बन गया है, और उनका सहयोग अपेक्षित है ताकि हर गांव और गली तक शिक्षा पहुंच सके।

इस महामारी में सावधानी ही बचाव है इसलिए सावधान रहें सुरक्षित रहें।

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