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जो अकड़ता है,यमराज उसे जल्दी पकड़ता है -संयम रतन विजय महाराज

केबीसी न्यूज़ October 5, 2020, 5:06 pm Technology

नीमच। विकास नगर के जैनश्वेताम्बर श्री महावीर स्वामी जिनालय की शीतल छाया में आयोजित चातुर्मास के दौरान आचार्य श्री जयन्तसेनसूरिजी के सुशिष्य मुनि श्री संयमरत्न विजय जी,मुनि श्री भुवनरत्न विजय जी ने कल्याण मंदिर स्तोत्र का भावार्थ समझाते हुए कहा कि

जिस प्रकार संसार में स्थित मिट्टी से युक्त धातुएं तीव्र अग्नि के संपर्क से पाषाणत्व को दूर कर तत्क्षण ही सुवर्णत्व को प्राप्त हो जाती है,शुध्द सोना बन जाती है,उसी तरह हे परमात्मा! संसारी प्राणी आपके ध्यान से शरीर का परित्याग कर क्षणमात्र में ही परमात्म दशा को प्राप्त हो जाते है।

अहंकारी कभी भी परमात्म दशा को प्राप्त नहीं होते।

अहंकार ही दुःख का बड़ा कारण है।

जीवन की मूलभूत समस्या अहंकार है।

मैं कुछ हूँ,ऐसा सोचना ही अहंकार है।

अहंकार धर्म को भी अधर्म बना देता है,पुण्य को पाप में बदल देता है।

अहंकारी को सत्य समझाना अत्यंत कठिन कार्य है।

अहंकार अंधा है।

अहंकारियों की स्थिति अंधों जैसी होती है।

उनके पास आँखें होती है,लेकिन फिर भी उन्हें दिखाई नहीं देता।

अहंकार के कारण ही रावण को राम की शक्ति,कंस को श्रीकृष्ण का सामर्थ्य व दुर्योधन को धर्म की जीत नहीं दिखाई दे रही थी।

अहंकार विवेक का नाश कर देता है।

अहंकार से ही क्रोध आता है।

अहंकार बड़ा खतरनाक है।

अहंकार मीठा जहर है।

अहंकार ठग है,

जो मानव को हर पल ठग रहा है।मानव में जो 'मैं'और 'मेरापन' है- यही अहंकार की जड़ है।

मैं ही परिवार का संरक्षक हूँ,मैं ही समाज का कर्णधार हूँ,मैं ही पत्नी और बच्चों का भरण-पोषण कर रहा हूँ,मैं ही परिवार, समाज व राष्ट्र को चला रहा हूँ,यही कर्तापन का अहंकार मानव को दुःखी करता है।मेरे बिना दुनिया अस्त-व्यस्त हो जाएगी-ऐसा झूंठा अहंकार ही मानव को दुःखी बनाता है।यदि पत्नी पति के प्रति और पति पत्नी के प्रति,पिता पुत्र के प्रति और पुत्र पिता के प्रति,शिष्य गुरु के प्रति और गुरु शिष्य के प्रति समर्पण व सहयोग का रुख अपनाए,तो जीवन में व्याप्त सारी विसंगतियाँ समाप्त हो जाए।

अहंकार का समाधान समर्पण है,सरलता है।जो सुख समर्पण व सरलता में है,वह अकड़ता में नहीं है।जो अकड़ता है,यमराज उसे जल्दी पकड़ता है।राम,कृष्ण,महावीर,बुद्ध ये ऐसे महापुरुष है,जो सदैव समर्पण में जिएँ हैं।मुनिद्वय श्री की प्रेरणा व आशीर्वाद से 4 अक्टूबर को श्री महावीर स्वामी जिनालय,विकास नगर व जैन सोशल ग्रुप संस्कार,नीमच के तत्वावधान में लाभार्थी प्रीतमचंद्र खिमेसरा की ओर से भाटखेड़ा गौशाला में गौओं को गौग्रास खिलाया गया।मुनि श्री ने कहा कि घर में माँ बचा-कुचा खाती है,गाय भी बचा-कुचा खाती है,जैसे केला हमने खाया छिलका गाय ने,गेहूँ हमने खाया भूसा गाय ने।जो मनुष्य के लिए वेस्ट है,उस वेस्ट को खाकर गाय अमृत जैसा बेस्ट दूध देती है,इसलिए गाय माँ कहलाती है।

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