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पर्यावरण एवं खेत की मिट्टी का स्वास्थ्य बचाएं, किसान भाई नरवाई न जलाएं

neemuch headlines September 10, 2020, 4:17 pm Technology

नीमच! नीमच जिले में आजकल देखा जा रहा है, कि कहीं कहीं किसान भाई फसल कटाई के बाद खेत में शेष बचे अवशेष(नरवाई)में आग लगा देते है। कृषि विज्ञान केन्द्र, नीमच के वैज्ञानिकों,विभागीय अधिकारियों द्वारा समय-समय पर नरवाई नहीं जलाने हेतु जागरूकता रैली, कृषक प्रशिक्षण, कृषक संगोष्ठी व मिडिया का सहयोग लेकर अखबार, रेडियों एवं टीवी के माध्यम से जानकारी दी जाती है। नरवाई जलाने के बारे में किसान भाईयों में विगत वर्षो में काफी जागरूकता आयी है। फिर भी कुछ किसानबन्‍धु सहयोग नहीं कर रहें एवं चोरी छुपे सुबह, शाम या देर रात में खेत में नरवाई जला देते है।

अतः किसान भाईयों से आग्रह है,कि वे अपने खेत में आग न लगाएं एवं नरवाई न जलाएं। अपने खेत की मिट्टी को जीवित रखे एवं शासन प्रशासन का सहयोग करें, पर्यावरण को बचाएं।

नरवाई जलाने से नुकसान:- कृषि वैज्ञानिक श्री सी.पी.पचोरी ने बताया,कि फसल काटने के बाद जो नरवाई होती है, किसानभाई उसे आग लगाकर नष्ट कर देते है। नरवाई में लगभग नत्रजन 0.5 प्रतिशत, स्फुर 0.6 और पोटाश 0.8 प्रतिशत पाया जाता है, जो नरवाई में जलकर नष्ट हो जाता है। फसल के दाने से डेढ़ गुना भूसा होता है। यदि एक हेक्टर में 40 क्विंटल का उत्पादन होगा, तो भूसे की मात्रा 60 क्विंटल होगी, भूसे से 30 किलों नत्रजन, 36 किलों स्फुर, 90 किलों पोटाश प्रति हेक्टेयर प्राप्त होगा। जो जलकर नष्ट हो जाता है। भूमि में उपलब्ध जैव विविधता समाप्त हो जाती है, अर्थात भूमि में उपस्थित सूक्ष्म जीव एवं केचुआं आदि जलकर नष्ट होने से खेत की उर्वरकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। भूमि की उपरी पर्त में उपलब्ध पोषक तत्व आग से जलकर नष्ट हो जाते है। भूमि की भौतिक दशा खराब हो जाती है। भूमि कठोर हो जाती है, इस कारण भूमि की जल धारण क्षमता कम हो जाती है। फलस्वरूप फसलें जल्द सूखती है। भूमि में होने वाली रासायनिक क्रियाएं भी प्रभावित होती है, जैसे कार्बन-नाईट्रोजन एवं कार्बन-फास्फोरस का अनुपात बिगड़ जाता है। जिससे पौधों को पोषक तत्व ग्रहण करने में कठिनाई होती है। नरवाई की आग फैलने से जन-धान की हानि होती है एवं पेड़ पौधे जलकर नष्ट हो जाते है।

नरवाई नहीं जलाने के फायदे:- प्रति हेक्टेयर लगभग रूपये 3000 की बचत,भूमि में पाये जाने वाले लाभदायी जीवणुओं का संरक्षण, पोषक तत्वों का संरक्षण,भूमि की भौतिक दशा में सुधार होगा।भूमि की रासायनिक क्रियाओं में सन्तुलन होने से पोषक तत्वों की उपलब्धता सुलभ होगी।पर्यावरण प्रदुषण में कमी आवेगी।अतः किसान भाई नरवाई में आग न लगाये। खेत की जुताई करे या रोटावेटर चलाकर नरवाई को यथास्थान जमीन में मिला दे। जिससे जैविक खाद तैयार होगी और नरवाई जलाने के दुष्परिणामों को कम किया जा सकेगा।

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