जावद। नगर की एकमात्र गौशाला लगभग पिछले 20 से 25 वर्षों से विवादों में रही है कभी गौशाला समिति के चुनाव नहीं होना कभी दुकानदारों के किराए को लेकर तो कभी जमीन बेचने का आरोप कभी गायों की देखभाल नहीं करने का आरोप पिछले डेढ़ वर्ष से एक नया विवाद गौशाला की विवादित भूमि के कोने पर निर्माणाधीन 5 दुकानों को लेकर जुड़ गया है डेढ़ वर्ष पूर्व वर्तमान में जहां पर दुकानों का निर्माण हो रहा है।
इसी निर्माण को लेकर कुछ जागरूक लोगों ने तत्कालीन एसडीएम एवं तहसीलदार को शिकायत दर्ज करवाई थी जांच प्रतिवेदन के अनुसार सर्वे नंबर 2007 2008 2010 2011 रकबा क्रमश 00 21 0 146 0073 हेक्टर भूमि राजस्व रिकार्ड में अंकित है उक्त भूमि पर गौशाला बनी हुई है इसके अलावा जांच प्रतिवेदन में पशुओं के बाड़े की लंबाई चौड़ाई चारा रखने के गोडाउन का क्षेत्रफल वर्ग मीटर में दर्ज है रिकॉर्ड के अनुसार गौशाला के बाहर 11 दुकाने दर्शाई गई है दक्षिण की ओर 5 दुकाने निर्माणाधीन है गौशाला का कुल 3097 25 वर्ग मीटर पर आधिपत्य पाया गया जबकि राजस्व रिकार्ड में गौशाला के नाम पर जीरो 29 हेक्टर 29 00 वर्ग मीटर भूमि अंकित है इस प्रकार गौशाला द्वारा 197 25 वर्ग मीटर भूमि पर अधिक कब्जा पाया गया जो लगभग 00 2 हेक्टर के बराबर है इस जांच प्रतिवेदन के अनुसार यह भूमि विवादित मानी जा रही है कल दिनांक 8 अगस्त को सत्य नारायण ओझा एवं साथियों ने एसडीएम पीएल देवड़ा से जिलाधीश महोदय से की गई शिकायत एवं दुकानों के निर्माण को रुकवाने के संबंध में चर्चा की जिस पर उन्होंने कहा मेरे द्वारा तहसीलदार महोदय को जांच प्रकरण भेज दिया गया है शाम को लगभग 5:00 बजे तहसीलदार विवेक कुमार गुप्ता पटवारी मनोहर पाटीदार मौके पर पहुंचे।
आपत्ति करता सत्यनारायण ओझा पूर्व पार्षद सतनारायण शर्मा प्रकाश सेन सुरेश बलदावा ने दुकाने निर्माण को लेकर आपत्ति जताई जिस पर प्रकाश सेन ने कहा मैं समिति का सदस्य हूं चुनाव कभी होते नहीं और हमारी बात कोई सुनता नहीं जो निर्माण हो रहा है वह अवैध है हमारी बिना अनुमति के हो रहा है मैं सत्यनारायण ओझा ने कहा जब 15 माह पूर्व निर्माण कार्य रुकवा दिया गया था तो बिना अनुमति के दुकानों का निर्माण किस प्रकार किया जा रहा है उन्होंने निर्माण कार्य रुकवाने की मांग की वहीं पूर्व पार्षद सतनारायण शर्मा ने भी निर्माण कार्य को गलत बताया गौशाला को भूमि दान करने वाले दानदाता परिवार के सदस्य रामप्रकाश बलदावा ने मांग की है कि शासन समस्त गौशाला की भूमि एवं दुकानों को अपने अधीन करें वहीं दूसरी ओर गौशाला के प्रबंधक सुधीर अग्रवाल ने सर्वे क्रमांक कुल रकबा 0 292 हरिभूमि को 275 रुपए मैं संग 1937 में क्राय कर गौशाला की स्थापना करना बताया और कहां हम गौशाला के लिए किसी प्रकार का गांव से कोई चंदा एकत्रित नहीं करते हैं दुकानों के किराए से जैसे तैसे हम गौशाला को संचालित कर रहे हैं पूरा कार्य पारदर्शिता से नगर परिषद की अनुमति से किया जा रहा है जबकि नगर परिषद अधिकारी ने एसडीएम महोदय के सामने कहा की दुकानों के निर्माण की अनुमति एक वर्ष पूर्व मांगी गई थी निर्माण कार्य एक वर्ष तक नहीं करने पर अनुमति स्वत ही निरस्त हो जाती है तहसीलदार ने दोनों पक्षों को सुना मौके पर पंचनामा बनाया और दोनों ही पक्षों को अपने अपने दस्तावेज लेकर सोमवार को तहसील कार्यालय में उपस्थित होने के लिए कहा एक तरफ देखा जाए तो अगर दुकानों का निर्माण होता है मुख्य सड़क की चौड़ाई कम होने से भविष्य में कभी कोई दुर्घटना हो सकती है इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता फिलहाल दुकानों के निर्माण को लेकर दोनों पक्ष आमने-सामने हैं अब देखना यह है की दुकानों का निर्माण होता है या नहीं।