राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष, आमलीभाट मंडल में पहली बार निकला विशाल पथ संचलन, 100 से ज्यादा स्वयंसेवक हुए समिलित, जगह जगह हुआ पुष्प वर्षा से ऐतिहासिक स्वागत।

Neemuch headlines November 5, 2025, 7:35 pm Technology

सरवानिया महाराज संघ शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में जावद खण्ड के आमलीभाट मंडल में पहली बार विशाल पथ संचलन निकाला गया। जिसमे मंडल क्षेत्र के 100 अधिक स्वयंसेवकों ने हिस्सा लिया। यह पथ संचलन बुधवार को प्रातः 9:00 बजे आमलीभाट के माध्यमिक विद्यालय से शुरू होकर प्रमुख मार्गों से गुजरा।

जिसमे पूर्ण गणवेश में स्वयंसेवक घोष की धुन पर अनुशासित तरीके से कदमताल करते हुए आगे बढ़ रहे थे। बाल स्वयंसेवकों से लेकर वयोवृद्ध स्वयंसेवकों तक सभी में उत्साह स्पष्ट दिख रहा था। पंथ संचलन का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर भव्य स्वागत किया। सड़कों के किनारे और छतों से भी लोगों ने फूलों की बारिश की। हाथों में दंड लिए स्वयंसेवकों का उद्देश्य सामाजिक समरसता, राष्ट्रभक्ति और अनुशासन का संदेश देना था। यह संचलन संघ के 100 वर्ष पूरे होने की अनुभूति को दर्शाता है, जो प्रत्येक स्वयंसेवक में नई ऊर्जा और दायित्व का बोध करा रहा था। इससे पहले मुख्य वक्ता जिला बौद्धिक प्रमुख वैभव जी ओझा व माननीय खंड संघचालक घनश्याम जी शर्मा द्वारा शस्त्र पूजन किया गया।

जिसमें बाद जिला बौद्धिक प्रमुख वैभव जी ओझा ने बौद्धिक देते हुए बताया कि हिन्दू समाज का पुनर्जागरण ही संघ का उद्देश्य रहा है। संघ का लक्ष्य हिन्दू समाज को संगठित करना है। अस्पृश्यता जैसे कई अंतर्निहित दोषों के कारण यह एक कठिन कार्य था। संघ अपनी शाखाओं और राष्ट्रव्यापी गतिविधियों के माध्यम से इसी लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए लगातार काम कर रहा है, जो एक सामंजस्यपूर्ण समाज और राष्ट्र के लिए सभी को एक साथ लाता है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ विगत 100 वर्षों से निरंतर शाखों के माध्यम से व्यक्ति निर्माण का कार्य करता चला आ रहा है। वर्तमान में दर्जनों की संख्या में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अनुसार एक संगठन राष्ट्र सेवा के कार्य में जुटे हुए हैं। संघ जैसा कोई विश्व में दूसरा संगठन नहीं है जो निस्वार्थ भाव से निरंतर 100 वर्षों तक सेवा क्षेत्र में कार्यरत हो। पांच परिवर्तन आगामी वर्षों में भारतीय समाज को दिशा देने वाले हैं। विषय रूप में देखने में हमें प्राप्त होता है कि इन सभी का आज के समाज में कितना महत्व और अवश्यकता है। पंच परिवर्तन को अपने दैनिक जीवन मे अपना कर समाज में बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है। स्व के बोध से नागरिक अपने कर्तव्यों के प्रति सजग होंगे। नागरिक कर्तव्य बोध अर्थात कानून की पालना से राष्ट्र समृद्ध व उन्नत होगा। सामाजिक समरसता व सद्भाव से ऊंच-नीच जाति भेद समाप्त होंगे। पर्यावरण से सृष्टि का संरक्षण होगा तथा कुटुम्ब प्रबोधन से परिवार बचेंगे और बच्चों में संस्कार बढ़ेंगे।

समाज में बढ़ते एकल परिवार के चलन को रोक कर भारत की प्राचीन परिवार परंपरा को बढ़ावा देने की आज महती आवश्यकता है।

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