मध्य प्रदेश का एकमात्र मंदिर जहां कार्तिक पूर्णिमा पर साल में एक बार होते भगवान कार्तिकेय के दर्शन

Neemuch headlines November 5, 2025, 7:51 pm Technology

आज कार्तिक पूर्णिमा है, इसे देव पूर्णिमा भी कहा जाता है, शास्त्रों में इस दिन का बहुत महत्व माना गया है, लोग पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, दीपदान करते हैं, आज एक दिन भगवान शिव, भगवान् विष्णु की पूजा लोग करते हैं, मान्यता है कि आज के दिन यानि कार्तिक पूर्णिमा के दिन की गई पूजा व्यर्थ नहीं जाती, देवताओं का आशीर्वाद मिलता है, इसी के साथ आज का दिन भगवान कार्तिकेय का भी विशेष दिन है,

आज ही के दिन उनका जन्म हुआ था और साल में केवल आज ही के दिन वे दर्शन देते हैं, इस खबर में हम आपको स्वामी कार्तिकेय से जुड़ी एक कथा बताएँगे और साथ ही एमपी के एकलौते मंदिर में भगवान कार्तिकेय के दर्शन कराएँगे जो साल में केवल एक ही दिन खुलता है। भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े बेटे कार्तिकेय का जन्म कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ था इसलिए शिव उपासकों के लिए ये दिन बहुत महत्व का दिन है, इस दिन मध्य प्रदेश के इकलौते और करीब 450 साल पुराने कार्तिकेय मंदिर के पट खुलते हैं जहाँ दूर दूर से भक्त भगवान कार्तिकेय के दर्शन करने आते हैं, ग्वालियर के जीवाजीगंज में स्थित इस मंदिर पर सिर्फ मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ से ही नहीं महाराष्ट्र , राजस्थान सहित कई राज्यों से भी दर्शनार्थी आते हैं। साल में केवल एक दिन ही दर्शन देते हैं कार्तिकेय कार्तिकेय साल में केवल एक दिन ही दर्शन क्यों देते है? इसकी एक पौराणिक कथा है,

कथा के अनुसार एक बार बाल्यावस्था में कार्तिकेय और गणेश के बीच बुद्धि और शक्ति को लेकर बहस छिड़ गई, दोनों भाई भगवान शिव और माता पार्वती के पास पहुँच गए और उनसे प्रश्न किया पहले तो शिव – पार्वती ने उन्हें समझाया लेकिन जब नहीं माने तो उन्होंने कहा कि तुम दोनों में जो कोई भी अपने वाहन पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा कर लौट आएगा वो ही विजयी होगा। 182 दिनों तक अस्त रहेंगे मंगल, इन 3 राशियों के जीवन में आएगा भूचाल, होगा नुकसान कार्तिकेय अपने वाहन मयूर पर बैठकर उड़ गए माता पिता की बात सुनकर बड़े बेटे कार्तिकेय अपने वाहन मयूर (मोर) पर सवार होकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए निकल गए लेकिन गणेश अपनी सवारी चूहे के साथ वहीं खड़े रहे, कुछ देर सोचने के बाद वे शिव- पार्वती की परिक्रमा करें लगे और फिर वहीं बैठ गए, जब कार्तिकेय लौटकर आये और वहां गणेश को प्रसन्न मुद्रा में देखा तो चौंक गए, कारण पूछने पर उन्हें शिव-पर्वती ने बताया कि गणेश ने हम दोनों की परिक्रमा कर ली और वो जीत गए हैं क्योंकि शास्त्र कहता है कि माता पिता की परिक्रमा तीनों लोकों की परिक्रमा के समान है जबकि पृथ्वी तो उसका एक हिस्सा मात्र है। गणेश जी के विजयी होने से नाराज कार्तिकेय ने खुद को दिया श्राप गणेश जी को विजयी घोषित करने के शिव और पार्वती का फैसला सुनकर कार्तिकेय नाराज हो गए और कह दिया कि कैलाश छोड़कर जा रहा हूँ, नाराज कार्तिकेय ने खुद को श्राप दे दिया कि अब से कोई भी मेरा चेहरा नहीं देखेगा, उन्होंने कहा यदि स्त्री ने चेहरा देखा तो सात जन्मों तक उसे विधवा का संताप झेलना होगा और जो पुरुष मेरे दर्शन करेगा तो वो सात जन्मों तक नरक का भागीदार होगा, इतना कहकर कार्तिकेय दक्षिण दिशा की तरफ निकल गए और एक गुफा में जाकर बैठ गए। देवताओं के बहुत मनाने पर कार्तिकेय ने फैसले में किया संशोधन कार्तिकेय द्वारा खुद को श्राप देने से सिर्फ शंकर पार्वती ही नहीं देवता भी परेशान हो गए, गणेश ने भी कार्तिकेय को मनाने की कोशिश की लेकिन वे नहीं माने, सभी ने मिलकर कार्तिकेय को मनाने और श्राप वापस लेने का निवेदन किया, बहुत मनाने पर कार्तिकेय गुफा से बाहर आये और कहा कि आप लोगों की बात मानकर मैं केवल एक दिन बाहर आऊंगा, मेरे जन्मदिन कार्तिक पूर्णिमा पर मेरे भक्त दर्शन कर सक्तेव हैं, यदि साल में शेष दिन कोई मेरे दर्शन करेगा तो उसे श्राप लगेगा। दर्शनार्थियों की लगती है लम्बी लाइन ग्वालियर के जीवाजीगंज में स्थित कार्तिकेय भगवान का करीब 450 साल पुराने मंदिर के पट बीती रात 12 बजे खोल दिए गए, दर्शनार्थी तभी से लाइन में खड़े हो गए, सुबह 4 बजे भगवान कार्तिकेय का अभिषेक किया गया उनकी पूजा अर्चना पर भोग प्रसादी लगाई गई फिर मंदिर को दर्शनों के लिए खोल दिया गया। इस मंदिर पर दूर दूर से लाखों श्रद्धालु आते हैं, आस्था और विश्वास से भरे लोग मानते हैं कि भगवान कार्तिकेय स्वामी के दर्शनों से ना सिर्फ उनके कष्ट दूर होते हैं बल्कि उनकी मनोकामनाएं भी पूरी होती है, दर्शनार्थियों की भीड़ को देखते हुए पुलिस की भी व्यवस्था मंदिर के आसपास रहती है ।

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