जम्मू, तरह से स्थगित रहने के बाद अधिकारियों ने आज श्रीनगर-जम्मू राष्ट्रीय राजमार्ग पर आवश्यक वाहनों की आंशिक आवाजाही की अनुमति दे दी, जबकि सैकड़ों फलों से लदे ट्रक अभी भी फंसे हुए हैं, जिससे कश्मीर के बागवानी क्षेत्र को भारी नुकसान की आशंका बढ़ गई है।
एसएसपी ट्रैफ़िक एनएचडब्ल्यू राजा आदिल ने कहा कि उधमपुर-रामबन खंड में भूस्खलन से प्रभावित कई स्थानों पर बहाली का काम चल रहा है। उन्होंने सलाह दी कि हम यातायात को सुचारू रूप से चलाने के लिए काम कर रहे हैं। हालांकि यात्रियों को अपनी यात्रा की योजना बनाने से पहले नियंत्रण कक्ष से मंजूरी का इंतजार करना होगा। उधमपुर की उपायुक्त सलोनी राय, जिन्होंने बली नाला में स्थिति की समीक्षा की, ने कहा कि भारी बारिश के कारण कई स्थानों पर मरम्मत कार्य में देरी हुई है। वे कहती थीं कि थोड़े समय के व्यवधान के बाद बहाली का काम फिर से शुरू हो गया।
आज शाम से आवश्यक भारी मोटर वाहनों की आवाजाही की अनुमति दी जाएगी, पर इस सीमित राहत के बावजूद, फल उत्पादक चिंतित हैं। कश्मीर घाटी फल उत्पादक सह विक्रेता संघ के अध्यक्ष बशीर अहमद बशीर कहते थे कि बागोगोशा नाशपाती, गलामस्त और लाल घाला सेब ले जाने वाले 700-800 से ज्यादा ट्रक अभी भी फंसे हुए हैं। उन्होंने चेतावनी दी कि फल मंडियां ऐसे माल से भरी पड़ी हैं जिनकी शेल्फ लाइफ खत्म हो रही है। बाग तोड़े गए फलों से भरे हैं जिन्हें भेजा नहीं जा सकता। जब तक फलों के ट्रकों को प्राथमिकता से गुजरने की अनुमति नहीं दी जाती, उत्पादकों को अपूरणीय क्षति होगी। एशिया की दूसरी सबसे बड़ी मानी जाने वाली सोपोर फल मंडी के अध्यक्ष फयाज अहमद मलिक के बकौल, व्यापार लगभग ठप हो गया है। वे कहते थे कि रोजाना 100 से ज्यादा ट्रकों से घटकर अब मुश्किल से 20 रह गए हैं। बागोगोशा जैसी जल्दी खराब होने वाली वस्तुएं इस देरी को बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी।
अगर राजमार्ग जल्द ही पूरी तरह से बहाल नहीं किया गया, तो बागवानी क्षेत्र को करोड़ों का नुकसान हो सकता है। जबकि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कह रहे हैं कि राजमार्ग को खोलने में 20 से 25 दिनों का समय लगेगा और रेल यातायात सामान्य होने में भी इससे अधिक वक्त लगने की शंका है। दरअसल लखनपुर, जम्मू, उधमपुर, नगरोटा और काजीगुंड में ट्रकों और यात्री वाहनों सहित 2,000 से ज़्यादा वाहन फंसे हुए हैं। इस बीच, उत्पादकों और व्यापारियों ने सरकार से फलों से लदे ट्रकों को प्राथमिकता से मंजूरी देने की अपील की है और चेतावनी दी है कि लगातार देरी से कश्मीर की सेब अर्थव्यवस्था चरमरा सकती है, जो घाटी भर में हजारों परिवारों का भरण-पोषण करती है।