सिंगोली। पूर्व मंत्री एवं जावद विधायक स्वर्गीय घनश्याम पाटीदार के समय बना पटियाल पंचायत मार्ग ब्राह्मणी नदी पर स्थित पुल जर्जर हो चुका है।यह पुल आगे कुआं पीछे खाईं, वाली कहावत को चरितार्थ कर रहा है।
स्कूली छात्र छात्राओं, राहगीरों व ग्रामीणों के सामने सबसे बड़ी समस्या यह है।कि पुल से होकर जाएं तो कुआं नुमा बड़े गड्ढे से नदी में गिरने का भय बना रहता है।और इस रास्ते से नहीं जाएं तो फिर कई रोजमर्रा के कामों एवं पढ़ाई का नुकसान होता है। विगत एक वर्ष से आए दिन होने वाले गम्भीर हादसों का सबब बन चुके इस पुल की मरम्मत के लिए ग्रामीणों द्वारा स्थानीय प्रशासन, पंचायत सरपंच एवं पूर्व मंत्री व वर्तमान विधायक ओमप्रकाश सकलेचा से लगाई गई गुहार भी काम नहीं आ रही है। पटियाल पंचायत को सिंगोली से जोड़ने वाली यह पुलिया जगह जगह से गढ्ढो में तब्दील होकर एक तरफ से पूरी तरह से टूट गई है। और उसमें कुए के समान गड्ढा बन गया है। जिसमें कई दुर्घटनाऐ हो चुकी है। जो कभी भी बड़े जानलेवा हादसे का कारण बन सकता है।
ग्रामीणों के अनुसार गत एक वर्ष से इस पुलिया पर यह कुऐ नुमा गढ्ढा बना हुआ है। गत मंगलवार को भी हेमगंज के एक बाईक सवार दंपति बच्चों के साथ रामनगर से वापिस हेमगंज जा रहे थे। गम्भीर दुर्घटना के शिकार हो गए। जिन्हें ग्रामीणो ने बड़ी मुश्किल से बचाया। वही ग्रामीणों के प्रयास से तीन चार घटनाएं और भी टली हैं।लोगों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों ने वहां पेड़ की टहनी काट कर गढ्ढे के चारों और बडे बड़े पत्थर रख दिये है। पंचायत ग्रुप में सूचना की पर कोई सार नही निकला। ग्रामीण विशाल धाकड़, कमल धाकड़, रामलाल धाकड़, गोपाल, रमेश धाकड़, भेरू सेन, पूर्व उप सरपंच विक्रम सिंह चुण्डावत, जोगेन्द्र सिंह, रणजीत सिंह, लालुराम प्रजापत, रामा भील सहित अन्य कई ग्रामीणो और राहगीरों ने बताया कि जराड़ से एक किलोमीटर की दूरी पर ब्राह्मणी नदी पर स्थित पुलिया पर जगह जगह गढ्ढे होकर जर्जर होकर खतरनाक हो गई है।
मंगलवार को नदी पार करते समय कुए नुमा बड़े गड्ढे में कई लोग गिर पडे़ थे।गनीमत रही कि मौके पर मौजूद लोगों ने तत्काल उनके पास पहुँच पानी में बहने से रोक उनकी जान बचा ली। सरपंच व सरपंच प्रतिनिधि भी इस गढ्ढे में गिर गये थे।उस समय उस गड्ढे के ऊपर जनहितैषी लोगों ने पेड़ की झाड़ी व पत्थर रख दीये गये। ताकि लोगों का बचाव हो सके। गत वर्ष पंचायत व आपसी सहयोग से ग्रामीणों ने पत्थर डाल कर उसकी मरम्मत भी की थी। लेकिन पानी के बहाव में सब बेकार हो गया।
इस पुल के संबंध में प्रशासन को सूचना दे दी गई है।स्थानीय प्रशासन एवं जन प्रतिनिधियों को भी विषय संज्ञान में दिलाया लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पाई है। ग्रामीणों ने अनुसार लगभग दो दर्जन गांवों को जोड़ने वाली इस सड़क से आवागमन का एक मात्र सुलभ माध्यम यही पुलिया है। इस पर हर बार समस्या के स्थाई निदान के लिए पुराने ग्वालियर स्टेट के समय के गेट जो बंद कर दिये गये उन्हें खोलने की मांग की।यदी पुराने गेट खुल जाते हैं। तो नदी किनारे खेतो के किसानों को भी खेतो में जलभराव से फसल बर्बादी से राहत मिलेगी। हालांकि प्रशासन द्वारा आमजन को सावधान करने के लिए संकेतक 'जब पुल पर पानी हो तो पुल पार करना सख्त मना है' लगाकर अपने कर्तव्य से इतिश्री कर ली गई है। पटियाल पंचायत को सिंगोली से जोड़ने वाला यह मुख्य मार्ग है। खेत खलिहानों एवं स्कूल आदि आवश्यक कार्य होने से प्रतिदिन सैकड़ों राहगीर इस पुल से जान जोखिम में डालकर निकलते हैं। ग्रामीणों के अलावा पंचायत से सिंगोली शासकीय व अशासकीय विद्यालयों के बच्चों का भी इसी पुल से होकर आना-जाना होता है।
शासकिय कन्या उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के प्राचार्य राजेन्द्र जोशी स्टाफ सदस्यों के साथ स्कूल समय पर पुल पर पहुँच पानी के बहाव की स्थिति देख उस पार खड़े छात्र छात्राओं से स्थिति अनुकूल होने पर ही पुल पार करने का दिशा निर्देश देते है। व स्कुल आये विद्यार्थीयों को स्वयं स्टाफ सहित जाकर पुल पर छात्राओं के साथ कोई हादसा ना हो जाये सावधानी पूर्वक पुल पार कराते है।
अन्यथा अब तक कई हादसों का दर्द ग्रामीणों को झेलना पड़ता। कोई बड़ी दुर्घटना कारित होने से पहले ग्रामीणों राहगीरों ने क्षेत्रिय प्रशासनिक अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों से इस समस्या के स्थाई निदान की पुरजोर मांग की है।