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कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने PM Modi को लिखा पत्र, जम्मू कश्मीर के लिए की ये मांग

Neemuch headlines July 16, 2025, 3:58 pm Technology

नई दिल्ली। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने जा रहा है वहीं बिहार में भी विधानसभा चुनाव होने वाले हैं ऐसे में कांग्रेस ने जम्मू कश्मीर को पूर्व राज्य दिए जाने का मुद्दा एक बार फिर उठाया है, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इसकी मांग की है कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा – पिछले पाँच वर्षों से, जम्मू-कश्मीर के लोग लगातार पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने की माँग कर रहे हैं। यह माँग जायज़ भी है और उनके संवैधानिक व लोकतांत्रिक अधिकारों पर पूरी तरह आधारित भी है। यह समझना ज़रूरी है कि जहाँ पहले भी केंद्र शासित प्रदेशों को राज्य का दर्जा दिए जाने के उदाहरण रहे हैं, वहीं जम्मू-कश्मीर का मामला स्वतंत्र भारत में सबसे अलग है। यह पहली बार है जब किसी पूर्ण राज्य को उसके विभाजन के बाद दर्जा घटाकर केंद्र शासित प्रदेश कर दिया गया है। PM Modi को याद दिलाये उनके वादे पत्र में दोनों नेताओं ने आगे लिखा- आपने स्वयं कई मौकों पर राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई है। 19 मई 2024 को भुवनेश्वर में दिए अपने साक्षात्कार में आपने कहा था “राज्य का दर्जा बहाल करना हमारा एक गंभीर वादा है और हम इस पर कायम हैं। 19 सितंबर 2024 को श्रीनगर में एक रैली को संबोधित करते हुए आपने फिर से कहा “हमने संसद में कहा है कि हम इस क्षेत्र का राज्य का दर्जा बहाल करेंगे। इसके अलावा, केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष इसी तरह का आश्वासन दिया है , जिसमें कहा गया है कि राज्य का दर्जा “शीघ्र और जितनी जल्दी हो सके” बहाल कर दिया जाएगा। ये सब देखते हुए हम सरकार से आग्रह करते हैं कि वह संसद के आगामी मानसून सत्र में जम्मू और कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र को पूर्ण राज्य का दर्जा देने के लिए एक कानून लाए। जम्मू कश्मीर के साथ लद्दाख के लिए भी की ये मांग कांग्रेस ने एक और मांग करते हुए कहा- इसके अतिरिक्त, हम सरकार से अनुरोध करते हैं कि वह केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने के लिए कानून बनाए। यह लद्दाख के लोगों की सांस्कृतिक, विकासात्मक और राजनीतिक आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, साथ ही उनके अधिकारों, भूमि और पहचान की भी रक्षा करेगा।

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