पिपलिया मंडी। मंदसौर जिले के ग्राम मिण्डलाखेड़ा में बुधवार सुबह बिजली लाइन सुधारने के दौरान एक अस्थायी लाइनमैन की करंट लगने से दर्दनाक मौत हो गई। मृतक दशरथ जाटव पोल पर चढ़कर लाइन दुरुस्त कर रहा था, तभी मून्दड़ी ग्रिड से अचानक बिजली सप्लाई चालू कर दी गई, जिससे वह करंट की चपेट में आ गया।
करंट लगने के बाद दशरथ का करेंट में ही उलझकर बुरी तरह जल गया और नीचे गिर गया।
घटना के बाद गांव में फैला रोष, लापरवाही का आरोप :-
दशरथ जाटव गांव का ही निवासी था और अस्थायी रूप से बिजली लाइन सुधार का कार्य कर रहा था। ग्रामीणों का आरोप है कि दशरथ की मौत सीधे तौर पर विद्युत विभाग की लापरवाही का नतीजा है। लाइन क्लियर की कोई व्यवस्था नहीं थी और सुरक्षा के कोई मानक नहीं अपनाए गए थे।
मौके पर जुटी भीड़, पुलिस अधिकारियों ने लिया जायजा :-
हादसे के तुरंत बाद बड़ी संख्या में ग्रामीण मौके पर पहुंच गए और आक्रोश प्रकट किया। मौके पर श्यामलाल जोकचंद्र, थाना प्रभारी विक्रम सिंह इनवे और चौकी प्रभारी धर्मेश सिंह यादव सहित पुलिस बल भी पहुंचा और स्थिति का जायजा लिया। 5 घंटे तक नहीं पहुंचे विभागीय अधिकारी, आक्रोश और बढ़ा :- ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि घटना के बाद पांच घंटे तक कोई भी विद्युत विभाग का जिम्मेदार अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। अंततः श्यामलाल जोकचंद्र द्वारा फोन किए जाने के बाद एक अधिकारी वहां पहुंचा। इससे ग्रामीणों में और आक्रोश फैल गया।
विद्युत मंडल ने दी सफाई, सहायता देने का आश्वासन :-
विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि दशरथ ने लाइन सुधारने के लिए विधिवत परमिट लेकर लाइन बंद करवाई थी, लेकिन किसी अन्य व्यक्ति द्वारा बिजली सप्लाई पुनः चालू कर दी गई, जिससे हादसा हुआ। विभाग ने यह भी बताया कि मृतक के परिजन को सहायता स्वरूप दो बीमा योजनाओं के तहत 3-3 लाख रुपये की राशि दी जाएगी। साथ ही मृतक की पत्नी को आजीवन पेंशन और एक बालक को विभाग में नौकरी दी जाएगी।
दशरथ जाटव की दर्दनाक मौत सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि विभागीय लापरवाही और गैरजिम्मेदारी का गंभीर उदाहरण है। बिना समुचित सुरक्षा और निगरानी के ऐसे जानलेवा कार्य करवाना अस्थायी कर्मचारियों के जीवन के साथ खिलवाड़ है। अब देखना यह होगा कि प्रशासन और विभाग इस लापरवाही की कितनी गंभीरता से जांच करता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई होती है।