नीमच। पूरे संसार में परमात्मा की भक्ति जैसा जैन समाज करता है ऐसी भक्ति कोई भी समाज नहीं कर सकता है इसलिए जैन समाज सुखी और शांति प्रिय है हमारे पास जो कुछ है परमात्मा के पुण्य से ही मिला है। मनुष्य जन्म हमें मिला है तो इसे सद् कार्य में लगाना चाहिए पक्षियों को दाना, भिखारी को दान, निराश्रित की सहायता, पहली रोटी गाय को, सड़क पर यदि केले का छिलका गिरा हो तो उसे हटाना चाहिए और सभी से जय जिनेंद्र करना चाहिए यदि मनुष्य इन सब सेवा और सद्कार्यों में लगा रहे तो उसके जीवन का कल्याण हो सकता है। आसक्ति के त्याग बिना आत्मा का कल्याण नहीं हो सकता है।
यह बात पंजाब केसरी वल्लभ सूरी समुदाय की साध्वी कीर्ति प्रभा श्री जी महाराज साहब की शिष्य स्मित दशिर्ता जी महाराज ने कही। वे जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय मंदिर ट्रस्ट विकास नगर के तत्वावधान में सुबह 9.15 बजे महावीर जिनालय विकास नगरआराधना भवन सभागार में आयोजित प्रवचन श्रृंखला में बोल रहे थी। उन्होंने कहा कि मनुष्य जन्म में मनुष्य को प्रतिदिन मंदिर के भंडारे में ₹10 का दान करना चाहिए। यदि हम जीवन पर्यंत प्रतिदिन ₹10 मंदिर में दान करते हैं तो हमारी धन के प्रति आसक्ती का त्याग होता है और अगले जन्म में हमें पुण्य कर्म मिलता है। संसार में भाई-भाई पैसे के लिए झगड़ रहा है।
पूरे विश्व में झगड़े चल रहे हैं संसार में पैसे की इस आसक्ति के त्याग के लिए हमें दान की प्रवृत्ति को अपनाना चाहिए। शुभारंभ में गुरु वंदना करवाई गई। साध्वी जी द्वारा मंगलिक श्रवण करवा कर सभी को आशीर्वाद प्रदान किया गया। इस अवसर पर समाज जन सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे।
उक्त जानकारी जैन श्वेतांबर महावीर जिनालय विकास नगर ट्रस्ट के अध्यक्ष राकेश जैन आंचलिया ने दी।