राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का वार्षिक उत्सव कार्यक्रम संपन्न, शाखा के माध्यम से होता है व्यक्तित्व का विकास ।

Neemuch headlines March 24, 2025, 7:07 pm Technology

नीमच ।गांधी वाटिका के समीप वात्सल्य भवन में के खेल मैदान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के स्वयंसेवकों द्वारा प्रतिदिन शाखा में होने वाले तिलक शाखा के वार्षिक उत्सव के पावन उपलक्ष्य में शारीरिक विषय का प्रकट कार्यक्रम रविवार शाम 5.30 बजे किया गया। संघ की शाखा में स्वयंसेवक विभिन्न प्रकार की शारीरिक और बौद्धिक गतिविधियां करते हैं हैं इन्हीं में से कुछ गतिविधि है जिसे नियुद्ध कला पदविन्यास, पदविन्यास, सामूहिक सामूहिक क्षमता, मनोरा, योग मुद्राओं गीत गतिविधि गतिविधि का प्रक्टीकरण नगर के गणमान्यजन माताओं बहनों की उपस्थिति में किया गया।

कार्यक्रम में मंचासीन मुख्य वक्ता जिला सह कार्यवाह विश्वास यादव, मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उपनगर कार्यवाह जितेंद्र सोनी थे। विश्वास यादव द्वारा अपने संबोधन में संघ के स्वयंसेवक में अनुशासन के महत्व को बताया गया साथ ही संघ द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न प्रकल्पों से सभी का परिचय कराते हुए बताया कि किस प्रकार शाखा से स्वयंसेवक का शारीरिक और मानसिक रूप से दृणीकरण होता है जिससे अपने कार्यों से समाज में वह एक अलग पहचान बनाता है। साथ ही उसका व्यक्तित्व विकास भी शाखा के माध्यम से होता है। संघ विभिन्न गतिविधियों से पर्यावरण, समरसता, सेवा नागरिक कर्तव्य, धर्म जागरण, कुटुंब प्रबोधन आदि से सभी को अवगत कराया और अपने क्षेत्र में बनी स्वदेशी वस्तुओं के इस्तेमाल का संकल्प दिलाया इसी क्रम में संघ विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से समाज में सतत कार्य कर रहा है पर्यावरण के क्षेत्र में स्वयंसेवकों द्वारा जहां पर पौधारोपण किया जा रहा है। वहीं प्लास्टिक को कम से कम उपयोग करने के साथ ही समरसता के क्षेत्र में भी के संघ कार्य कर रहा है इस दौरान समाज में व्याप्त छुआछूत जैसी कुरीति को भी दूर करने का प्रयास संघ द्वारा किया जा रहा है। सभी देशवासी देश की रक्षा को सर्वोच्च माने। एक छोटी से छोटी शाखा भी बस्ती का प्रतिनिधित्व करती है। प्राचीन काल में समरसता का अभाव तथा जाति का गौरव था, धर्म ग्रंथ में नर सेवा नारायण, सेवा सर्वे भवंतु सुखिनः सभी हिंदू हमारे भाई है यह भाव स्थापित करने का संदेश दिया है। हैडग्वार ने भी संघ की शाखा में स्वयंसेवक संघ के यही उद्देश्य बताए थे छोटे-छोटे आयोजन का उद्देश्य से शाखा लगती थी।

युवा वर्ग में अनुशासन का संस्कार आता है। समपत से ममता आती है। एक साथ सेवा का भाव होता होता है। व्यायाम योग दंड योग मानव बुद्धि और शरीर का एक मेल को स्थापित करता है। शरीर के साथ मन बुद्धि का एक होना चाहिए। ऋषि मुनि के जैसे आयोजन होते रहना चाहिए । दंड शारीरिक क्षमता बढ़ाने के लिए है। यह शक्ति दूसरों को डराने के लिए नहीं, सज्जनों की सुरक्षा का वचन पूर्ण करने के लिए होती है। कभी परिवार पर कोई आक्रमण हो तो आत्मरक्षा और परिवार की रक्षा हो सके यह किसी को डराने के लिए नहीं सज्जनों की रक्षा के लिए उपयोग में होना चाहिए। दुर्जनों से परिवार की रक्षा के लिए आवश्यक है। संघ में सामूहिक कल्याण का चिंतन होता है व्यक्ति का नहीं सामाजिक व्यवस्था में सुधार की बात होती है। समाज में विभिन्नता में एकता की बात स्वयंसेवक करता है। वह सर्वस्व न्योछावर करने वाले की लंबी श्रृंखला में सेवा करता है। उनके खेल सहायता करने का संदेश सीखाते हैं। गुजरात में भूकंप आया तो एक संघचालक जी ने अपने परिवार को दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद भी दूसरे परिवारों की रक्षा के लिए आगे बढ़ गए थे। संघ पूरे हिंदू परिवार को अपना मानकर सेवा का लक्ष्य पूरा करता है। जब-जब देश पर आक्रांता के अत्याचार बढ़ेंगे तो शिवाजी की तरह संघ का कार्यकर्ता उनसे मुकाबला करता है। अपने साहस और शोर्य का प्रतीक कबड्डी खेल के माध्यम से देश की रक्षा के लिए लगता है। संघ को 100 वर्ष बीत गए हैं व्यक्ति निर्माण और गुण समाज बस्ती के लिए संघ काम करता है। शताब्दी वर्ष में संघ स्वयंसेवक के साथ समाज को भी अपनी भूमिका का निर्वहन करना चाहिए। प्रथम गुरु मां होती है मां का स्थान गुरु का स्थान होता है मां परिवार का संचालन करती है।

मातृशक्ति का देश को स्वतंत्र कराने में भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है जो आज भी अमूल्य है। मां का समर्पण और त्याग का उदारहण हाडा रानी ने अपने बलिदान से दिया था जो हमें आदर्श प्रेरणा देता है। झांसी की रानी का नाम भी इस सूची में शामिल है। कुटुंब समाप्त हो रहा है परिवारवाद चल गया है माता-पिता पुत्र यह पश्चिमी संस्कृति का परिवार है फिर एक और नॉरेटिव समाज में फैलाया गया छोटा परिवार सुखी परिवार यह विदेशी वामपंथियों की साजिश है जबकि बड़े परिवार में संस्कारों का आदान-प्रदान गतिशील होता है। टीवी और मोबाइल से बच्चे डिप्रेशन में जा रहे हैं। बड़े परिवार में प्राचीन काल में संस्कृति का आदान-प्रदान तेजी से होता था। आज एमबीबीएस इंजीनियरिंग पास युवा भी आत्महत्या करने में पीछे नहीं हटता है चिंतन का विषय है। लेकिन जहां संयुक्त परिवार होता है वहां नियमित सामूहिक बैठक सामूहिक भोजन होता था तो वहां युवा अपनी बात ताऊजी या काका से भी कह सकता था और अपनी समस्या का निराकरण कर सकता था लेकिन मोबाइल ने संवाद को समाप्त कर दिया है परिवार और समाज में संवाद आवश्यक है। परिवार के विकास व सुरक्षा के लिए प्रतिदिन सामूहिक आरती भोजन, भजन, होना चाहिए। जापानी, फ्रेंच और अंग्रेजी भाषा को सिखना अवश्य चाहिए लेकिन जहां इसका उपयोग आवश्यक हो वही करना चाहिए अन्यथा बाकी समय अपनी मातृभाषा का ही उपयोग करना चाहिए। अमेरिका के लोग शांति के लिए भारत की ओर आ रहे हैं लेकिन हमारे युवा वर्ग अमेरिका की ओर जा रहा है चिंतन का विषय है। हमें विचार करना होगा। नागरिक कर्तव्य के पालन से राष्ट्र के संस्कार का निर्माण होता है। समरसता का भाव हमारे भीतर हो तभी हमारा विकास हो सकता है। समरसता के बिना भारत विश्व गुरु नहीं बन सकता है। व्यक्ति पूरी जीवन व्यापार व्यवसाय नौकरी में लगा रहता है जबकि उसे तीर्थ दर्शन गौशाला में भी सेवा करना चाहिए। सिंगल प्लास्टिक का उपयोग नहीं करना चाहिए इसस इससे सदैव बचना चाहिए। कपड़े का थेला थेला और बर्तन लेकर ही खाद्य सामग्री लेने बाजार जाना चाहिए तो हम कैंसर जैसे घातक रोग से भी बचाव कर सकते हैं। जिला प्रचार प्रमुख पल्लव अग्रवाल ने बताया कि इस अवसर पर सामूहिक ध्वज वंदना, प्रार्थना, भजन गीत योग व्यायाम, दंड संचालन सहित विभिन्न सामूहिक गतिविधियां भी आयोजित की गई। वार्षिक उत्सव प्रकट कार्यक्रम के दौरान स्वयंसेवकों द्वारा वर्ष भर किए गए कार्यों के महत्व पर भी विस्तार से प्रकाश डाला गया।

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