चीताखेड़ा। इस आधुनिक जीवन शैली में मूक पक्षियों की सामान्य रूप से रहने में बाधक बन गई है, पेड़ों की अंधाधुंध कटाई, खेतों में कृषि रसायनों का अधिकाधिक प्रयोग, टेलीफोन टावरों से निकलने वाली तरंगें, डीजे की ध्वनि प्रदुषण ,पक्के मकानों(बिल्डिंगों) पर जाल डालने और कांच की खिड़कियां तथा खेतों में लगे बगीचों एवं अन्य फसलों पर जाल बिछा कर रखने से इनके जीवन के लिए प्रतिकूल है।
मकानों की मिट्टी की दीवारों की दरारों में बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन पर बने टिन शेडों और घरों के आंगन में चहचहाहट पक्षियों की धीरे-धीरे शहरों एवं ग्रामीण अंचलों से गायब होने लगी है। इनके संरक्षण में सरकारें भी गणना जैसे अभियान चलाती है पर सिर्फ दिखावा मात्र बनकर रह जाती है। चहचहाहट की मधुर ध्वनि को बचाएं, नन्ही गौरैया के आशियाने बसाएं।
विश्व गौरैया दिवस पर आइए,प्रकृति के इस नन्ही सी दूत के संरक्षण का संकल्प लें। इसकी चहकती आवाज हमारी धरती की शान है,इसे संरक्षित करना हमारा कर्तव्य है। पूरे उज्जैन संभाग में यह दूसरा पक्षी रात्रि विश्राम टावर है जो जीरन तहसील का एक मात्र चीताखेड़ा गांव के आवरी माता जी माता जी मन्दिर परिसर में बना है।
जहां 160 सदस्यों की नर सेवा नारायण सेवा एवं पक्षी दाना समिति है जिन्होंने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर पीडित व्यक्ति हो या पशु,पक्षी उनकी रक्षार्थ हेतु दाना पानी, दवा और दुआओं के लिए हर पल तत्पर रहते हुए उनके समाधान हेतु निकल पड़ते हैं। बीना कोई लोभ लालच के पक्षियों की ओलावृष्टि, बारिश शीतलहर एवं लूं के थपेड़ो से जान मान की रक्षा एवं भूखें को भोजन, पानी के अलावा रात्रि विश्राम हेतु जीवों रक्षार्थ हेतु परमार्थी कदम उठाए हुए हैं।
नीमच जिले के जीरन तहसील के चीताखेड़ा गांव से लगा तीर्थ स्थल आरोग्य देवी महामाया आवरी माता जी मन्दिर परिसर में लाखों रुपए की लागत से बनाया गया था लेकिन गत वर्ष प्राकृतिक प्रकोप से तेज अंधड़ और बारिश से जमीदोज हो गया था लेकिन पक्षी प्रेमियों ने पक्षियों की रक्षार्थ हेतु हिम्मत नहीं हारी और एक बार फिर लाखों रुपए खर्च करके निर्माण कार्य कर पूरा किया गया है।