जावद। मुस्लिम समाज के लिए रमज़ान का महीना बहुत ही पवित्र माना जाता है। समाजजन इस महीने में खूब इबादत करते है रोजा रखते है और अपने रब से दुआ करते है। माहे रमजान का शनिवार को 21वां रोजा रहा। यह दिन हजरत अली यानी मौला अली के नाम से जाना जाता है। इसीलिए इस दिन रोजा इफ्तार और शरबत, लंगर आदि किये गए।मिली जानकारी अनुसार हुसैनी मस्जिद नीमच दरवाजा जावद मे पीर-ए-तरीक़त हज़रत सैयद मोहम्मद आक़ील अख्तरुल क़ादरी साहब अलयहिर्रहमा की रूहानी सरपरस्ती मे एवं जावद शहर काजी सैयद आदिल कादरी द्वारा मौला-ए-क़ायनात के शहादत के मौक़े पर हर साल की तरह इस साल भी रमजान माह की 21 वीं तारीख को रोजा इफ्तार करवाया।
बज्मे कादरी फाउंडेशन ग्रुप की ओर से करवाए गए इफ्तार में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।इसमें शहर की लगभग सभी मस्जिद के इमाम सहित अन्य गणमान्य लोगों ने भी शिरकत की। इफ्तार आयोजन में आस्ताना ए कादरिया फाउंडेशन के समस्त मेम्बरो का सरायनिय योगदान रहा। हजरत मौला अली की सालाना इफ्तार पर खादिम आकिल अख़्तर कादरी डॉ. सैयद रिजवान रजा कादरी ने बताया की माहे रमजान के सभी 30 रोजों का अपना- अपना महत्व हैं।
इनमें कुछ न कुछ तारीखी वाक्यात हुए है जिसमें 21 वां रोजा भी शामिल है, इसे हजरत अली की शहादत के रूप में जाना जाता है। हजरत अली को पूरी दुनिया में मौला अली, मुश्किल कुशा और शेर-ए-खुदा के नाम से भी जाना जाता है। हजरत अली पूरी दुनिया की इकलौती ऐसी शख्सियत हैं जिनकी पैदाईश काबा शरीफ के अंदर हुई थी।
उन्होंने हमेशा गरीबों, यतिमों और बेसहाराओं की खिदमत में पूरी जिंदगी गुजार दी और लोगों को नसीहत दी कि हमेशा गरीबों, यतिमों और बेसहाराओं की मदद करते रहो। हजरत अली अल्लह के नेक बंदे और सच्चे आशिक-ए- रसूल हैं। 21 वें रोजे को आपने जामे शहादत नोश फरमाई। आपकी मजार मुबारक कुफा में है माहे रमजान में आपको मानने और चाहने वाले आपके नाम की फतिहा करते है। पूरी दुनिया में मुस्लिमानों को आपके बताए गए मार्ग पर चलने की नसीहत दी जाती है।21वें रोजे पर पूरी दुनिया में शहादत-ए-मौला अली मनाया जाता है। मस्जिद-मदरसों में जलसे होते हैं। तकरीर में शेर-ए-खुदा की खूबियां बयां की जाती है। 21 रमजान पर हर साल रोजा इफ्तार करवाने के बाद ईशा की नमाज के बाद महफिल हजरत मौला अली का आयोजन किया गया।
जिसमें हाफिज आसिफ साहब, हाफिज फरीद साहब, हाफिज उस्मान साहब, हाफिज समीर साहब, हाफिज ओहददुदीन सहित अन्य लोग मौजूद रहे। पूर्व मे यह आयोजन शहर काजी सैयद मोहम्मद आकिल अख़्तर कादरी साहब द्वारा किया जाता रहा है अब उसी परंपरा को उनके परिवार और अनुयायियों द्वारा किया जाता है और आगे भी किया जाता रहेगा। उक्त जानकारी मीडिया प्रभारी हबीब राही द्वारा दी गई।