मंदसौर। त्रि-स्तरीय पंचायतीराज में ग्राम पंचायतो का महत्वपूर्ण स्थान होता है तथा भारत सरकार की और राज्य सरकार की विभिन्न जनकल्याणकारी, गरीब कल्याणकारी योजनायें तथा विकास की योजनाओं को लेकर पंचायत स्तर पर कार्य व्यवस्था एवं कार्यों की पूर्णता को लेकर अंजाम तक पहुंचाने मे पंचायतों से उम्मीद की जाती है, पंचायतो को इन कार्य योजनाओं के लिये जिम्मेदार भी माना गया है।
अक्सर पंचायतो में गडबड़ी, अनियमितता एवं भ्रष्टाचार को लेकर प्राप्त शिकायतो पर कार्यवाही का शिकार धारा-40 एवं अन्य नियमों के अंतर्गत संरपंचों पर कार्यवाही हो जाती है और सारी जिम्मेदारी का ठिकरा सरपंचों के माथे फोड दिया जाता है। यह बात पूर्व विधायक एवं भाजपा प्रदेश प्रवक्ता यशपाल सिंह सिसौदिया ने कही।
आपने पंचायत मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल को लिखे पत्र में कहा कि शिकायतो से दो-दो हाथ सरपंचो को जनपद पंचायत, जिला पंचायत अनविभागीय अधिकारी राजस्व, अतिरिक्त कलेक्टर, कलेक्टर न्यायालय, कमिश्नर न्यायालय और उच्च न्यायालय तक अपने बचाव के लिये व स्पष्टीकरण देने के लिये दौडभाग करना पडती है, जिसमे शारीरिक, मानसिक और आर्थिक सब तरह की परेशानी सरपंचो को ही झेलना पड़ती है। निर्माण विकास कार्यों एवं गरीब कल्याण ऐजेण्डे को लेकर कार्य व्यवस्था की तकनीकी स्वीकृती, प्रशासकीय स्वीकृती, ऐजेंण्डे से संबंधित खानापूर्ति तथा लेखा का कार्य यह सब अन्य अधिकारी एवं कर्मचारी भी करते है और इन सारी प्रक्रियाओं मे ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत एवं जिला पंचायत के जिम्मेदार अधिकारी एवं कर्मचारी भी शामिल रहते है लेकिन दोषारोपण एवं दोष करार सिर्फ सरपंचों को ही भोगना पड़ता है।
सिसौदिया ने कहा कि जनप्रतिनिधियों से संबंधित जितनी भी अन्य संस्थायें होती है उन संस्थाओ (विभाग) मे कार्यवाही अधिकारी एवं कर्मचारी पर भी होती है, सरपंच अपने आप को निर्दोष ठहराने को लेकर तथा पद से हटा दिये जाने के निर्णय पर न्यायालय की शरण मे निर्दोष होने को लेकर अभिभाषकों (वकीलों) के माध्यम से परेशानी झेलना रहता है।
सिसौदिया ने पत्र के माध्यम से आग्रह किया कि सिस्टम में अकेला सरपंच दोषी न हो और अधिकारी एवं कर्मचारी जिनके संझान मे निर्माण/विकास कार्य, हितग्राहीमूलक योजनायें, सामाजिक सुरक्षा पेंशन, गरीब कल्याण योजनायें आती है पर जिम्मेदारी सरपंच के साथ-साथ अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर भी सुनिश्चित किये जाने को लेकर आप नीतिगत निर्णय लेने का कष्ट कर आदेश प्रदान करें।