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त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़े इतिहास के बारे में कितना जानते हैं आप?

Neemuch headlines February 26, 2025, 2:19 pm Technology

सावन का महीना पूरी तरह से देवों के देव यानी महादेव को समर्पित होता है और इस दौरान जो भक्त पूरे श्राद्ध भाव से शिव की पूजा एवं जल अभिषेक करते हैं तो उनकों पापों से मुक्ति मिल जाती है। सावन के इस पावन दिनों में भक्त शिव मंदिर या फिर प्रमुख ज्योतिर्लिंग के दर्शन के लिए जाते रहते हैं।

भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंग का दर्शन करने के लिए भक्त पहुंचते रहते हैं। ऐसे में अगर आप भी शिव भक्त हैं और आप महाराष्ट्र में मौजूद त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास और कुछ रोचक तथ्य जानना चाहते हैं तो फिर आपको इस लेख को ज़रूर पढ़ना चाहिए। क्योंकि इस लेख में हम आपको त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर से जुड़ी कुछ रोचक बातें बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं। त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर का इतिहास:- त्र्यम्बकेश्वर मंदिर नासिक से लगभग 28 किमी की दूरी पर स्थित है। इस भव्य मंदिर के निर्माण को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ने लगभग (1740-1760) के आसपास एक पुराने मंदिर के स्थान पर कराया था। इस मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इस मंदिर को बनाने में कई साल लग गए थे। कई लोगों का यह मानना है कि मंदिर के निर्माण में बड़ी रकम लगी थी।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा:- त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास बेहद ही दिलचस्प है। कहा जाता है कि यहां कई ऋषि एक साथ रहते थे, लेकिन इनमें से कई ऋषि गौतम ऋषि से ईर्ष्या करते थे और उन्हें नीचा दिखाने की कोशिश करते रहते थे। एक बार ऋषियों ने गौतम ऋषि पर गौ हत्या का आरोप लगा दिया और उन्होंने कहा कि पाप मिटाने के लिए आपको देवी गंगा को लेकर यहां आना होगा। (मदुरै के फेमस मंदिर) इसके बाद गौतम ऋषि ने इसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना करके पूजा करने लगे। तपस्या के बाद भगवान शिव प्रसन्न होकर माता पार्वती के साथ प्रकट हुए हुए। इसके बाद उन्होंने वरदान में गंगा को भेजने के लिए बोला, लेकिन देवी ने कहा कि यदि शिव जी भी इस स्थान पर रहेंगे, तभी वह भी यहां रहेगी।

इसके बाद शिवजी वहां त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप वास करने को तैयार हो गए।

त्र्यम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग दर्शन का सही समय:-

वैसे तो यहां हर समय भक्तों की भीड़ रहती है, लेकिन त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग के सबसे अच्छा समय सावन का माना जाता है, क्योंकि सावन में भगवान शिव की पूजा करना और दर्शन करना शुभ माना जाता है। यहां आप सुबह 5 बजे से लेकर रात 8 बजे के बीच दर्शन के लिए जा सकते हैं। मुकुट दर्शन के लिए सोमवार को शाम 4 बजे से 5 बजे के बीच जा सकते हैं। यहां होती है भीम की पत्नी की पूजा

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