नई दिल्ली। कैफ़ भोपाली ने कहा है ‘इधर आ रक़ीब मेरे मैं तुझे गले लगा लूँ/मिरा इश्क़ बे-मज़ा था तिरी दुश्मनी से पहले”। मायने साफ़ हैं..जिंदगी में लुत्फ़ के लिए इश्क़ ही सबकुछ नहीं होता..कभी कभी थोड़ी मुख़ालफ़त भी चाहिए।
अब ज़रा इस तस्वीर को गौर से देखिए। ये राजनीति के उस पहलू को दर्शाती है जहां मतभेद को मनभेद नहीं बनाया जाता। ये तस्वीर है संसद भवन लॉन की, जब डॉ. भीमराव अंबेडकर को 69वें महापरिनिर्वाण दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मल्लिकार्जुन खड़गे का आमना सामना हुआ और दोनों बड़े ही ख़ुशमिज़ाज अंदाज़ में एक दूसरे से मिले। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला सहित पक्ष और विपक्ष के कई नेताओं ने बाबा साहब को श्रद्धांजलि अर्पित की। संसद भवन के भीतर एक दूसरे का विरोध करने वाले देश के दो शीर्षस्थ नेता जब संसद भवन के लॉन में मिले..तो उन्होंने मुस्कुराते हुए एक दूसरे का हाथ थामा। मतभेद का अर्थ मनभेद नहीं लोकतंत्र में जितना महत्वपूर्ण सत्ता पक्ष है..उतना ही जरूरी विपक्ष है। जब सरकार निर्णय ले, नीतियां बनाए, कानून निर्माण करे तब एक विवेकशील विपक्ष की ज़रूरत होती है जो नज़र रखे, ज़रूरत पड़ने पर विरोध करे और आवाज़ भी उठाए। इसीलिए इन्हें पक्ष और विपक्ष कहते हैं।
लेकिन राजनीतिक तौर पर विपक्षी होना या वैचारिक विरोधी होने का अर्थ ये नहीं है कि कोई निजी बैर हो। कई बार धुर राजनीतिक विरोधियों में भी निजी तौर पर बेहद आत्मीय और मधुर संबंध होते हैं। ऐसे तमाम उदाहरण मिल जाएंगे जहां दो विपक्षी नेता राजनीतिक मंचों के बरक्स एक दूसरे के साथ सौहार्द्रपूर्ण रहे हों। फिर चाहे इंदिरा गांधी और अटल बिहारी बाजपेयी हों, सुषमा स्वराज और सोनिया गांधी, अरूणाचल जेटली अमर सिंह या प्रणब मुखर्जी और लालकृष्ण आडवाणी। ऐसे तमाम बड़े नेता रहे हैं जो राजनीतिक विचारधारा में भले ही विरोधी हों..लेकिन निजी तौर पर एक दूसरे का सम्मान करते रहे हैं और कई बार सामने वाले की प्रशंसा भी की। EPFO : कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर, UAN एक्टिवेशन और बैंक खाते से आधार लिंक की डेट बढ़ी, अब इस तारीख तक कर लें पूरा काम पीएम मोदी और मल्लिकार्जुन खड़गे की मुलाकात का सुंदर दृश्य ये तस्वीर इसी विरासत को आगे बढ़ाती है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे एक दूसरे से हाथ मिला रहे हैं। दोनों नेता ठहरकर..एक दूसरे का हाथ पकड़कर कुछ देर बातें करते हैं। इसी दौरान पीएम मोदी किसी बात पर ठहाका लगाकर हंसते हुए नज़र आते हैं और खड़के के चेहरे पर भी बड़ी सी मुस्कुराहट है। ये अवसर था बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के महापरिनिर्वाण दिवस का, जब संसद भवन लॉन में जब पीएम मोदी और मल्लिकार्जुन खड़गे सहित पक्ष विपक्ष के कई नेता इकट्ठे हुए थे। यहां पीएम मोदी और खड़गे ने एक-दूसरे से बातचीत की। प्रधानमंत्री ने खड़गे का हाथ पकड़ रखा था और खड़गे कुछ कह रहे थे जिसपर मोदी जी ठहाका लगाकर हंस पड़े। इस दोस्ताना बातचीत का प्रभाव वहां मौजूद अन्य गणमान्य व्यक्तियों पर भी देखा गया।
वहां पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे। पीएम और खड़गे की बातचीत के दौरान रामनाथ कोविंद और ओम बिरला भी मुस्कुराते हुए नजर आए, वहीं उपराष्ट्रपति धनखड़ जो पीएम मोदी के ठीक पीछे खड़े थे, उनके चेहरे पर हल्की मुस्कान झलक रही थी। ये मौका इसलिए भी खास बन गया है क्योंकि ऐसे अवसर बहुत कम आते हैं जब दो विरोधी नेताओं को एक साथ इस तरह हल्के फुल्के अंदाज़ में बातचीत करते, मजाक करते और साथ साथ हंसते हुए देखा जा सके। यह दृश्य राजनीतिक वैचारिक मतभेदों के बावजूद भारतीय लोकतंत्र की सुंदरता और सौहार्द का प्रतीक बनकर सामने आया है।