हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व माना जाता है. हर माह के शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत रखा जाता है. इस तरह से एक माह में 2 प्रदोष व्रत आते हैं, एक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को, और दूसरा कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को. यह व्रत भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित होता है. इस दिन पूरे शिव परिवार की पूजा अर्चना करने का विधान है. यह व्रत भोलेनाथ की कृपा प्राप्त करने का विशेष अवसर होता है. सिर्फ इस एक व्रत के करने से ही पूरे शिव परिवार की कृपा प्राप्त होती है.
मान्यता है कि विधि विधान के साथ प्रदोष व्रत करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और संतान सुख से वंचित लोगों को संतान की प्राप्ति होती है.
कार्तिक प्रदोष व्रत तिथि :-
वैदिक पंचांग के अनुसार अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का आरंभ 29 अक्टूबर, दिन मंगलवार को सुबह 10 बजकर 31 मिनट पर होगा और इसका समापन अगले दिन, 30 अक्टूबर 2024 की दोपहर 1 बजकर 15 मिनट पर होगा.
इसलिए उदया तिथि के अनुसार, 29 अक्टूबर 2024 दिन मंगलवार को कार्तिक
माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा.
इस बार प्रदोष व्रत 29 अक्टूबर, दिन मंगलवार को पड रहा है. मंगलवार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत को भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है.
मंगलवार होने के कारण भौम प्रदोष व्रत के दिन शिव परिवार के साथ-साथ हनुमान जी की भी पूजा अर्चना करने की परंपरा है. मान्यता है कि विधि विधान के साथ भौम प्रदोष व्रत रखने से भक्तों के सभी प्रकार के संकटों का नाश होता है और कुंडली में स्थित मांगलिक दोष से भी राहत मिलती है. पंचांग के अनुसार, प्रदोष व्रत की पूजा प्रदोष काल में की जाती है.
इस कार्तिक प्रदोष व्रत के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 29 अक्टूबर 2024 की शाम 5 बजकर 38 मिनट से लेकर रात के 8 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.
कार्तिक प्रदोष व्रत पूजा विधि :-
कार्तिक माह का पहला प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है. इसलिए यह व्रत भौम भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. इस दिन सुबह जल्दी उठें और घर की साफ सफाई करें. इसके बाद स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें. अब भगवान शिव का स्मरण करते हुए प्रदोष व्रत का संकल्प लें. अब घर के मंदिर या पूजा स्थल की अच्छे से साफ सफाई करें और शुद्धि के लिए गंगाजल छिड़कें. भौम प्रदोष व्रत में हनुमान जी की पूजा अर्चना करना विशेष शुभ फलदायक माना जाता है, इसलिए भगवान शिव और माता पार्वती के साथ साथ हनुमान जी की भी प्रतिमा स्थापित करें और पूजा अर्चना करें. प्रदोष काल की पूजा के समय भी भगवान शिव और माता पार्वती के साथ साथ हनुमान जी की पूजा अर्चना करें. शुद्ध घी का दीपक और धूप जलाएं और शिवलिंग का गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी आदि से अभिषेक करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, धतूरा, चंदन, फूल आदि चढ़ाएं. मां पार्वती और हनुमान जी को भी तिलक करें और अक्षत, फल और फूल आदि अर्पित करें. फिर भगवान शिव की पूजा करते हुए मंत्रों का जाप करें. भौम प्रदोष व्रत की कथा सुनें. हनुमान जी की पूजा अर्चना के लिए हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें और प्रसाद में उनको बूंदी या बूंदी के लड्डू अर्पित करें.
मान्यता है कि भौम प्रदोष व्रत के दिन हनुमान जी की पूजा अर्चना करने से मंगल ग्रह की शांति होती है और मंगल ग्रह से संबंधित दोष दूर हो जाते हैं.
प्रदोष व्रत का महत्व :-
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का बहुत महत्व माना जाता है. यह व्रत बहुत शुभ और लाभदायक माना जाता है. भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष कृपा पाने का यह एक खास अवसर होता है. प्रदोष व्रत करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और व्यक्ति बीमारियों और समस्याओं से मुक्त हो जाता है. यह व्रत स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी माना जाता है. मान्यता है कि यह व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और साधक को संतान प्राप्ति का आशीर्वाद प्राप्त होता है. संतान प्राप्ति की इच्छा के लिए भी यह यह व्रत विशेष फलदायक माना जाता है. इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है. यह व्रत ग्रह दोषों को दूर करने में भी सहायक होता है. विशेषकर मंगल ग्रह से संबंधित दोषों के निवारण के लिए भौम प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना है.