आज विश्व डाक दिवस है। डाक सेवाओं के महत्व और उनके योगदान को उजागर करने के लिए हर साल 9 अक्टूबर को ये दिन मनाया जाता है। इस दिन का मुख्य उद्देश्य दुनियाभर में डाक सेवाओं की भूमिका के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। यह दिन डाक सेवाओं के महत्व और समाज में उनके योगदान को रेखांकित करने के लिए समर्पित है। इसका उद्देश्य अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर डाक सेवाओं के प्रति जागरूकता बढ़ाना और उनके विकास व भूमिका को सम्मान देना है।
हालांकि इंटरनेट और ईमेल ने संचार के नए रास्ते खोल दिए हैं, लेकिन डाक सेवाएं आज भी महत्वपूर्ण हैं। खासतौर पर ऑनलाइन शॉपिंग और ई-कॉमर्स के विस्तार के साथ, डाक सेवाओं का उपयोग बढ़ता जा रहा है। डाक सेवाएं न केवल पार्सल और सामान की डिलीवरी करती हैं, बल्कि ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में बैंकिंग और वित्तीय सेवाएं भी प्रदान करती हैं। सीएम डॉ मोहन यादव ने आज के दिन सभी को शुभकामनाएं दी हैं।
डाक सेवाओं का वैश्विक महत्व:-
डाक सेवाएं आधुनिक समाज के लिए संचार का सबसे पुराना और विश्वसनीय माध्यम रही हैं। डिजिटल युग के आगमन से पहले डाक सेवाएं ही एकमात्र तरीका थीं जिसके जरिए लोग एक-दूसरे से संपर्क स्थापित कर सकते थे। यह सेवा न केवल व्यक्तिगत संदेशों के आदान-प्रदान के लिए बल्कि व्यवसायिक और सरकारी सूचना को सुरक्षित तरीके से पहुंचाने का माध्यम भी रही है। डाक सेवाओं का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना है। प्राचीन काल में संदेशों को पहुंचाने के लिए लोग घोड़ों, धावकों और कबूतरों का इस्तेमाल करते थे।
बाद में, सरकारों ने संगठित डाक प्रणाली की शुरुआत की, जिससे सूचना के आदान-प्रदान में तेज़ी और विश्वसनीयता आई। 1969 में जापान के टोक्यो में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन (UPU) की स्थापना की वर्षगांठ पर विश्व डाक दिवस की शुरुआत की गई थी। इसी के साथ यह यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की वर्षगांठ का भी प्रतीक है। 1874 में स्विट्ज़रलैंड के बर्न में यूनिवर्सल पोस्टल यूनियन की स्थापना हुई, जिसका उद्देश्य था एक अंतर्राष्ट्रीय डाक सेवा नेटवर्क की स्थापना करना। UPU के गठन ने वैश्विक डाक सेवाओं को संगठित किया, जिससे देशों के बीच पत्र और पैकेज भेजने की प्रक्रिया सरल हो गई।
डिजिटल युग में डाक सेवाओं की प्रासंगिकता डिजिटल युग में जहां इंटरनेट और इलेक्ट्रॉनिक संचार तेज़ी से बढ़े हैं, ऐसे समय में भी डाक सेवाओं का महत्व कम नहीं हुआ है। ऑनलाइन शॉपिंग की बढ़ती प्रवृत्ति के कारण डाक सेवाओं का उपयोग ई-कॉमर्स सेक्टर में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। डाक सेवाएं आज भी सरकारी दस्तावेजों, चुनावी सामग्री, पासपोर्ट, मेडिकल सामान और अन्य आवश्यक वस्तुओं की डिलीवरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इसके अलावा, ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में डाक सेवाएं बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं को भी पहुंचाती हैं। डाक सेवाएं कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में प्रासंगिक बनी हुई हैं। यह धारणा कि डाक सेवाओं का महत्व डिजिटल क्रांति के साथ कम हो गया है, पूरी तरह से सत्य नहीं है।
वर्तमान में डाक सेवाएं पारंपरिक कागजी पत्रों और दस्तावेजों के आदान-प्रदान से आगे बढ़कर, विभिन्न आधुनिक आवश्यकताओं को पूरा कर रही हैं।
1. ई–कॉमर्स और लॉजिस्टिक्स में बढ़ती भूमिका :-
डिजिटल युग में ई-कॉमर्स का उदय हुआ है, जिससे वस्त्र, इलेक्ट्रॉनिक्स, किताबें, दवाइयाँ, और अन्य उत्पादों की ऑनलाइन खरीद-बिक्री तेज़ी से बढ़ी है। ऑनलाइन शॉपिंग के इस विस्तार ने डाक सेवाओं के महत्व को फिर से स्थापित किया है। ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म अपनी वस्तुओं की डिलीवरी के लिए डाक सेवाओं पर बहुत निर्भर करते हैं। डाक सेवाएं इन उत्पादों को शहरों के साथ-साथ ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जहां निजी लॉजिस्टिक सेवाएं सीमित हो सकती हैं।
2. सरकारी दस्तावेज और महत्वपूर्ण सामग्री की डिलीवरी :-
डिजिटलकरण के बावजूद, कई सरकारी दस्तावेज जैसे पासपोर्ट, आधार कार्ड, पेंशन दस्तावेज, और अन्य महत्वपूर्ण कागजात की फिजिकल डिलीवरी आज भी डाक सेवाओं के माध्यम से की जाती है। सरकारी एजेंसियां डाक सेवाओं का उपयोग कर विश्वसनीय और सुरक्षित तरीके से नागरिकों तक आवश्यक सामग्री पहुंचाती हैं।
3. बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं की पहुंच :-
डिजिटल बैंकिंग और फिनटेक सेवाओं के विस्तार के बावजूद, ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में, जहां इंटरनेट की पहुंच कम है, डाक सेवाएं महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। भारत जैसे देश में, डाक सेवाओं द्वारा वित्तीय सेवाएं (जैसे पोस्ट ऑफिस सेविंग्स बैंक और डाक जीवन बीमा) उन क्षेत्रों में लोगों तक पहुंचाई जाती हैं जहां वाणिज्यिक बैंक उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, भारत में सरकार द्वारा “इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक” (IPPB) की स्थापना डाक सेवाओं के माध्यम से वित्तीय समावेशन को और बढ़ावा दे रही है, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं की पहुंच को मजबूत किया जा सके।
4. डिजिटल और भौतिक संचार के संयोजन का महत्व :-
डिजिटल संचार तेजी से बढ़ा है, लेकिन भौतिक डाक की अपनी एक विशिष्ट भूमिका है, खासकर कानूनी और कॉर्पोरेट संचार में। कई मामलों में, कागजी दस्तावेज़ों की फिजिकल कॉपी की आवश्यकता होती है, जिसे केवल डाक सेवा द्वारा ही सुरक्षित और प्रमाणित रूप से भेजा जा सकता है। कुछ क्षेत्रों में, विशेषकर स्वास्थ्य सेवा और सरकारी विभागों में, मूल हस्ताक्षरित दस्तावेज़ों की आवश्यकता होती है, और ऐसे में डिजिटल माध्यम पर्याप्त नहीं होते।
5. ह्यूमन टच :-
डिजिटल संचार व्यक्तिगत संपर्क की भावना को हटा देता है, जबकि डाक सेवा का हर पत्र या पार्सल मानवीय जुड़ाव का प्रतीक होता है। कई लोग अब भी विशेष अवसरों पर पोस्टकार्ड, बधाई कार्ड और व्यक्तिगत पत्र भेजना पसंद करते हैं, जिनमें व्यक्तिगत भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है।
6. सुरक्षा और गोपनीयता :-
कुछ महत्वपूर्ण दस्तावेज और सामग्री, जिन्हें सुरक्षित रूप से पहुंचाना आवश्यक होता है, वे डिजिटल प्लेटफार्मों के माध्यम से भेजने में गोपनीयता और सुरक्षा के लिहाज से जोखिम में हो सकते हैं। ऐसे मामलों में, पंजीकृत डाक सेवाएं एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करती हैं, जिसमें सामग्री की डिलीवरी पर हस्ताक्षर का प्रमाण भी मिलता है।
भारत में डाक सेवाएं:-
भारत में डाक सेवा की औपचारिक शुरुआत 1 अक्टूबर 1854 को हुई जब तत्कालीन ब्रिटिश प्रशासन ने भारतीय डाक विभाग (Indian Postal Department) की स्थापना की। इस विभाग की स्थापना के साथ ही डाक सेवा देशभर में सभी नागरिकों के लिए सुलभ हो गई। यह दुनिया की सबसे बड़ी डाक नेटवर्क प्रणाली है।
भारतीय डाक विभाग हर वर्ष करोड़ों पत्र और पैकेज्स को डिलीवर करता है। भारतीय डाक सेवा न केवल पत्र और पार्सल भेजने का काम करती है, बल्कि आज वित्तीय सेवाएं, जैसे कि पोस्ट ऑफिस सेविंग्स बैंक और डाक जीवन बीमा, जैसी सेवाएं भी प्रदान करती है। 1854 में पूरे भारत में एक एकीकृत डाक प्रणाली लागू की गई। डाक टिकटों का उपयोग शुरू हुआ, जिससे लोगों को पत्र भेजने में सुविधा और मानकीकरण मिला। डाक सेवा को व्यवस्थित और नियमित रूप से संचालित करने के लिए कार्यालय और कर्मचारी नियुक्त किए गए। पहला डाक टिकट “सिंड स्कॉड्रन” 1852 में कराची में जारी किया गया था, लेकिन यह क्षेत्रीय स्तर पर ही उपयोगी था। 1854 में पूरे भारत के लिए एक सामान्य डाक टिकट प्रणाली लागू की गई। भारतीय डाक सेवा का विस्तार 1854 के बाद भारतीय डाक सेवा का तेजी से विस्तार हुआ। डाकघरों की संख्या बढ़ाई गई और यह सेवा शहरों, कस्बों, और गांवों तक पहुंचाई गई। ब्रिटिश शासन के दौरान रेलगाड़ियों के उपयोग से डाक की तेजी से डिलीवरी की व्यवस्था हुई। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान, भारतीय डाक सेवा ने स्वतंत्रता सेनानियों और नागरिकों के बीच संदेशों का आदान-प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
डाकघरों का नेटवर्क पूरे देश में फैल चुका था, जिससे स्वतंत्रता आंदोलन के लिए सूचना और संदेशों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना आसान हुआ। स्वतंत्रता के बाद का विस्तार:- भारत की आजादी के बाद, डाक सेवा का विस्तार और आधुनिकीकरण जारी रहा। आज भारतीय डाक सेवा (India Post) दुनिया का सबसे बड़ा डाक नेटवर्क है, जिसमें देशभर में लगभग 1.5 लाख डाकघर हैं, जिनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में हैं। भारतीय डाक सेवा सिर्फ पत्र और पार्सल भेजने तक सीमित नहीं रही, बल्कि यह वित्तीय सेवाएं, जैसे कि पोस्ट ऑफिस सेविंग्स बैंक, डाक जीवन बीमा, और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक जैसी सेवाएं भी प्रदान करती है। भारतीय डाक सेवा न केवल संचार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बनी हुई है, बल्कि यह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।
आज जब हम विश्व डाक दिवस मना रहे हैं तो ये दिन हमें यह याद दिलाता है कि संचार का यह माध्यम, चाहे डिजिटल युग कितना भी उन्नत हो, समाज के लिए अति आवश्यक है। डाक सेवाएं विश्वभर में लोगों को जोड़ने, सूचनाओं का आदान-प्रदान करने और आर्थिक प्रगति में योगदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। विश्व की सबसे बड़ी डाक व्यवस्था "भारतीय डाक विभाग" के समस्त कर्मियों को विश्व डाक दिवस की हार्दिक बधाई देता हूँ।