प्रदोष व्रत आज, नोट कर लें पूजा का शुभ मुहूर्त, विधि और महत्व

Neemuch headlines September 30, 2024, 8:15 am Technology

प्रदोष व्रत हर महीने शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है. प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है. इस दिन भगवान शिव के साथ मां पार्वती की भी पूजा की जाती है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामना भी पूरी होती है. आश्विन माह का यह प्रदोष व्रत रविवार को है. इसी वजह से इसे रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है. यह व्रत पितृ पक्ष में रखा जाएगा, इसलिए यह और भी अधिक फलदायी और शुभ माना जा रहा है.

प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त :-

पंचांग के अनुसार, अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 29 सितंबर दिन रविवार को शाम 04 बजकर 47 मिनट पर शुरू होगी और 30 सितंबर को शाम 07 बजकर 06 मिनट पर समाप्त होगी. वहीं, 30 सितंबर को शाम 07: 06 मिनट से भद्राकाल लग जाएगा. जिसका समापन 01 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 14 मिनट पर होगा.

प्रदोष व्रत पूजा सामग्री :-

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने के लिए फल, फूल, बेल पत्र, अक्षत, नैवेद्य, पान, सुपारी,लौंग, इलाइची, चंदन, शहद, दही, देसी घी, धतूरा, रोली, दीपक, पूजा के बर्तन, गंगाजल आदि मुख्य रूप से अवश्य शामिल करें. मान्यता है कि इस चीजों के बिना प्रदोष व्रत की पूजा अधूरी मानी जाती है.

प्रदोष व्रत पूजा विधि :-

प्रदोष व्रत के दिन सबसे पहले स्नान करके साफ कपड़े धारण करें और पूजा स्थल को साफ कर लें. उसके बाद शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा को एक चौकी पर स्थापित करें और उस पर गंगाजल छिड़कें. फिर शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और बेलपत्र से अभिषेक करें. इसके बाद शिवलिंग और माता पार्वती की प्रतिमा को चंदन, रोली और फूलों से सजाएं. फिर दीपक जलाएं और धूप जलाकर आरती करें और कथा का पाठ करें. अंत में शिव-पार्वती को भोग लगाएं और उसी भोग को लोगों को प्रसाद के रूप में बांटें. भगवान शिव और माता पार्वती से मनचाहा वर प्राप्त करने की प्रार्थना करें. यह पूजा प्रदोष काल में करनी चाहिए. प्रदोष काल सूर्यास्त के समय शुरू होता है.

शिव मंत्रों का करें जाप :-

प्रदोष व्रत के दिन मन की शांति और सुख समृद्धि के लिए भगवान शिव के इन मंत्रों का जाप जरूर करना चाहिए. ॐ नमः शिवाय: ॐ नमो भगवते रुद्राय नमः ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥ ऊं पषुप्ताय नमः ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ रवि

प्रदोष व्रत का महत्व :-

रवि प्रदोष व्रत व्यक्ति के कल्याण के लिए और बहुत ही शुभ और मंगलकारी माना जाता है. मान्यता है कि पूर्ण श्रद्धा और विधि विधान के अनुसार को कोई भी इस व्रत को करता है और इस व्रत की कथा को पढ़ता या सुनता है तो उसपर भगवान शिव की कृपा बरसती है जिसके परिणामस्वरूप उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और उसके जीवन में सुख व समृद्धि भी आती है. कईं जगह इस दिन भगवान शंकर के नटराज रूप की भी पूजा की जाती है.

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